World Water Day: गंगा किनारे प्यासी काशी… हर साल 1 मीटर तक नीचे जा रहा जलस्तर, समाधान बताएगी ये खबर
कई जंगलों में गौशालाओं के काम के कारण ऐसे ही खराब हो गए हैं कई किसान।
– फोटो : अमर उजाला
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वाराणसी शहर के कई बिल्डरों और दुकानदारों ने पानी छोड़ दिया है। इसका आकार भेलूपुर के मालती बाग और बेनियाबाग में लगे ट्रेलरों को देखने के लिए जा सकते हैं। जो पूरी तरह से फेल हो चुके हैं। सन 2000 में बनारस में 10 से 12 मीटर की रेंज में बोरिंग करने पर पानी मिलना प्रतीत हुआ। अब यहां औसत 20 से 23.90 मीटर की रेंज में बोरिंग करने पर पानी मिल रहा है।
पहले कम जनसंख्या के भूमंडल का स्तर कम था। अब जनसंख्या 40 लाख से ऊपर हो गयी है। ऐसी स्थिति में हर साल 80 सेमी से एक मीटर के दायरे में गिरावट दर्ज की जा रही है। ये हो रहा है तो आने वाले दिनों में काशी का भी हाल केपटाउन जैसा होगा। यहां के लोग बूर-बूंद के लिए तरसेंगे।
जलदोहन के रहते भूगर्भ में कैंसर की स्थिति बनी रहती है। जल संरक्षण के लिए लंबे समय से प्रयास जारी है, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नहीं हुई है। यही कारण है कि साल दर साल पानी का मास्क नीचे जा रहा है। बारिश के बाद पानी का नुकसान सबसे ऊपर होता है। बारिश से पहले यह मास्क नीचे चला जाता है। शहर के कुछ जिलों के अलावा अराजी लाइन, हरहुआ ब्लॉक, स्टेशनरा ब्लॉक डार्क जोन में हैं। यहां बोरिंग प्रतिबंधित है। इनके अलावा बड़ागांव, चिरईगांव, चोलापुर, काशी विद्यापीठ और सेवापुरी ब्लॉक क्रिटिकल जोन में हैं।
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