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World Book Day 2024: समाज को जो जितना बेहतर पढ़ेगा, उतना ही बेहतर लिखेगा

विश्व पुस्तक दिवस जो बेहतर पढ़ेगा, समाज वही बेहतर लिखेगा

विश्व पुस्तक दिवस
– फोटो : अमर उजाला

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विकिपीडिया को सहजने, संरक्षित करने और उन्हें बढ़ावा देने के अलावा पढ़ाई के अलावा विशेष रूप से युवाओं में ललक जागने के लिए हर साल 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि समाज को जो थोड़ा बेहतर पढ़ेगा, वह समाज ही सबसे अच्छा लिखागा।

डिजिटल में जहां डॉक्यूमेंट्री की विश्व सहसंबंधी सुविधा अच्छी है, वहीं साहित्य के प्रति कम प्रवृत्ति से चिंताजनक है। वहीं लमही स्थित विश्व प्रसिद्ध साकीत महंत प्रेमचंद और मस्जिद स्थित दारुल मुसन्नफिन शिबली की लाइब्रेरी में लाखों अनमोल छात्रों को डिजिटल स्वरूप में लाने के लिए सरकारी बजट की बात चल रही है।

लमही स्थित प्रेमचंद स्मारक न्यास के अध्यक्ष सुरेश चंद्र दुबे कहते हैं कि प्रेमचंद के साहित्य की दुकान आज भी है। उनकी रचनाएँ कालजीवी हैं। भारत सरकार आज बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ आज अभियान चला रही है, लेकिन मुंशी प्रेमचंद ने सवा सौ साल पहले अपने उपन्यासों के माध्यम से यह संदेश दिया था।

उनका कहना है कि डिजिटल के मूल में भी स्टार से प्रेमचंद की पहचान हो गई है। उदाहरण के लिए लाइब्रेरी को डिजिटल रूप में बनाने और शोध करने के लिए नेतृत्व के नाम पर कोरा की स्वतंत्रता को बढ़ावा देना है। शोध केंद्र की स्थापना के कागजों में काम किया गया है, लेकिन इसमें सामग्री की कमी है।

डिजिटल युग में साहित्य ख़त्म नहीं हो रहा बल्कि उसका स्वरूप बदल गया है। पहले लोग किताब की तलाश में भटकते रहते थे लेकिन अब मोबाइल फोन पर इंटरनेट की पहुंच से लोग कहीं भी ऑफ़लाइन साहित्य लिख रहे हैं और पढ़ रहे हैं।

इस मुद्दे पर दारुल मुसन्नेफिन शिबली एकेडमी के सीनियर रिसर्च फेलोशिप उमर सिद्दीक नदवी का कहना है कि डिजिटल मार्केट में स्टूडेंट और राइटर को नुकसान हुआ है। उर्दू पढ़ने वालों की संख्या कम हो रही है। इस मूल में लोग अब किताबी ज्ञान की गहराई में नहीं जाना चाहते।

मुजफ्फरपुर जिले के अतरौलिया निवासी बुजुर्ग साकेत राजाराम सिंह ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अब किताब वाले ही नहीं पढ़ रहे हैं। हिंदी के सुविख्यात कवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था कि 100 पृष्ठों के बाद एक पृष्ठ का लेखन।

रिवायत पीढ़ी को पढ़ाई के प्रति रुझान बढ़ाने की जिम्मेदारी और राजनीति दोनों पर है। जो समाज टूरिज्म नहीं, वो ग्रोथ नहीं। समाज को पढ़ने का सबसे अच्छा माध्यम अखबार ही है। इसके लिए लेखक को दैनिक समाचार पत्र अवश्य पढ़ना चाहिए।


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