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UP: जब चंद्रशेखर की जीत की राह में रोड़ा बने जगन्नाथ, 1984 में थी कांग्रेस की लहर, काम न आया सियासी करिश्मा

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– फोटो : अमर उजाला

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बागी बलिया की धरती से अपनी अलग पहचान रखने वाले चन्द्रशेखर सिंह चार दशक तक भारतीय संसद के सदस्य रहे। 1977 से 2007 के बीच आठ बार वह बलिया मिनेसोटा सीट से चुनाव लड़े। हालाँकि एक बार उन्हें 1984 में हार का मुँह देखना पड़ा।

1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के पक्ष में चिल्लाई गई सहानुभूति की लहर को वह भेदने में नाकाम रहे। इस चुनाव में उन्हें जगन्नाथ चौधरी ने हरा दिया। हार की वजह से चन्द्रशेखर जीत की हैट्रिक से बहस हो गयी। शेखर ऐसे थे, जो अपने पूरे सफर में अपने-अपने समाजवादियों की दुर्लभ नस्लों से भरे हुए थे।

वह साहस और दृढ़ विश्वास का प्रतीक थे। इसका उदाहरण उनकी ओर से समय-समय पर दिए गए वोट से मिलता जुलता है। चन्द्रशेखर वैसे तो शुरू हो गए कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे। 1962-1977 तक साझीदारी के सदस्य भी रहे। इस काल में उनके जीवन का काल हट गया तो उन्होंने हमेशा कांग्रेस के विरोध की राजनीति की।

1977 में किशोरावस्था के दौरान उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी। इंदिरा गांधी के ”मुखरविरोधी” के तौर पर उनकी पहचान बनी। बलिया समेत पूरे देश के लोगों को शायद उनकी यही छवि प्रभावित करती थी। पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर ने बलिया से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। हालाँकि उनका दस्तावेजी घर इब्राहिमपट्टी में है, जो बलिया और मऊ जिले की सीमा पर है।


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