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MP High Court : हाई कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना कानून के दुरुपयोग का मामला किया निरस्त – High Court quashed the case of misuse of dowry harassment law

एमपी हाई कोर्ट: खरगौन निवासी निवासी व्यक्ति के साथ वर्ष 2018 में मुस्लिम रीति-रिवाज के अनुसार विवाह हुआ था।

द्वारा धीरज कुमार बाजपेयी

प्रकाशित तिथि: रविवार, 07 अप्रैल 2024 11:01 पूर्वाह्न (IST)

अद्यतन दिनांक: रविवार, 07 अप्रैल 2024 11:01 पूर्वाह्न (IST)

मप्र उच्च न्यायालय: उच्च न्यायालय ने दहेज प्रताड़ना कानून के खिलाफ मुकदमा दायर किया

पर प्रकाश डाला गया

  1. माता-पिता ने शिकायती से भी बड़ी बढ़ोतरी का विवरण दिया।
  2. फॉक्सने की डेट से लेकर एफआइआर में प्रवेश मांगा गया था।
  3. ताकि पति से अधिक परिवारजन पर आपराधिक प्रकरण दर्ज हो।

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय : जबलपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए नंद, नंदोई और भूटान के आपराधिक प्रकरण में नन्द, नंदोई और भूटान को गिरफ्तार कर लिया। असल में, फरियादी ने नंद, नंदोई और भोट को अनुचित रूप से आपराधिक प्रकरण में फंसाने की नियत से उनके विरुदव को एफआइआर में दर्ज कराया था। जबकि उक्त लोगों की कथित अपराध में कोई संलिप्तता नहीं पाई गई। अदालत ने टिप्पणी की कि यह दिन के उजाले के रूप में साफ है कि शिकायतकर्ता द्वारा एफआइआर में लगाए गए आरोपों पर सिर्फ इसलिए लगाए गए हैं, ताकि वह अपने पति से अधिक परिवारजन के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करा सके।

माता-पिता ने शिकायती से भी बड़ी बढ़ोतरी का विवरण दिया

कोर्ट ने यह पाया कि एपिसोड में नंद, नंदोई और भरत द्वारा वादी की ओर से एफआइआर दर्ज करने से कुछ समय पहले ही तलाक मांगना और उनके खिलाफ कोई आपराधिक प्रकरण नहीं बना है। फरियादी के माता-पिता ने फरियादी से भी बहुत बड़ा पुलिस को बयान दिया, सिर्फ इस नियति से दिए गए हैं कि वर पक्ष के बहुत से बड़े परिवारजन को आपराधिक प्रकरण में घसीटा जा सके। फरियादी के ननद, नंदोई और बारात पर यह भी आरोप लगाया गया था कि उन लोगों ने फरियादी के घर में रहकर इंदौर में फरियादी के पिता के स्वामित्व वाली फलेट की मांग की थी।

ये है मामला

वर्ष 2018 में मुस्लिम रीति-रिवाज के अनुसार आवेदक से विवाह हुआ था और वर्ष 2020 में आवेदक द्वारा उसके समर्थक पुलिस विभाग के साथ संगतजी इंदौर में बंधक प्रताडना, इलिनोइस, गिल ग्लौच आदि की स्नातक दर्ज कराई गई थी। इसमें आरोप लगाया गया है कि शादी के तुरंत बाद ही उक्त लोग शिकायती के साथ वापस आने लगे और फिल्म के लिए उसे प्रस्तुत करने लगे और शिकायती पर यह दवा बनाने लगे कि वह अपने पिता का इंदौर का फ़्लैट अपनी पत्नी का नाम कर दे।

बिना किसी कारण के नंद, नंदोई और सास को प्रकरण में घसीटा

पुलिस के द्वारा प्रताडना आदि के अपराध की मेज कोर्ट के समक्ष पेश किया गया। वार्पक्ष के नामांकित आपराधिक प्रकरण को चुनौती देते हुए वर पक्ष ने राघवेन्द्र सिंह रघुवंशी के मार्फत उच्च न्यायालय में क्वाशिंग प्रकरण प्रस्तुत किया और वार्पक्ष के नामांकित आपराधिक प्रकरण को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय ने यह माना कि कारण के उनके ननद, ननदोई और सेट को आपराधिक प्रकरण में शामिल किया गया है और उनके एटोकोन में कोई अपराध नहीं बनाया गया है और एक आपराधिक प्रकरण में ड्राइव जस्टिस की प्रक्रिया का डुरुपयोग माना गया है कि उनके एप्रोच में कोई अपराध दर्ज नहीं किया गया है। हालाँकि शिकायतकर्ता के पति एवं सास के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण का लाभ न्यायालय द्वारा ही उठाया गया।


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