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MP 1st Phase Voting Analysis: छिंदवाड़ा में भाजपा का ‘दिखावा’ मतदान बढ़ाने में बना बाधक, आंतरिक प्रबंधन भी कमजोर – MP 1st Phase Voting Analysis BJP show in Chhindwara becomes a hindrance in increasing voting internal management also weak

हिंद व्होवोमास में वोट प्रतिशत का विश्लेषण किया जाए तो पता चलता है कि बीजेपी ने यहां कई गलतियां कीं।

द्वारा धनन्जय प्रताप सिंह

प्रकाशित तिथि: शनिवार, 20 अप्रैल 2024 04:00 पूर्वाह्न (IST)

अद्यतन दिनांक: शनिवार, 20 अप्रैल 2024 04:00 पूर्वाह्न (IST)

एमपी प्रथम चरण के मतदान का विश्लेषण: हिंद में भाजपा का 'दिखावा' मतदान में बढ़त बना बाधक, आंतरिक प्रबंधन भी कमजोर
हिंद में एक मतदान केंद्र पर वोट देने वाली पनडुब्बी दुल्हन।

पर प्रकाश डाला गया

  1. पहले चरण में सत्य और जबलपुर की उम्मीद में अतिछाप के कारण से कम मतदान।
  2. मंडला-बालाघाट में मतदान प्रतिशत वृद्धि से भगवा ब्रिगेड खुश।
  3. सीधे तौर पर- शहडोल में लगभग 10 प्रतिशत कम वोटिंग से बीजेपी-कांग्रेस दोनों की वोटिंग जारी है।

एमपी प्रथम चरण के मतदान का विश्लेषण: धनंजय प्रताप सिंह, नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश में पहले चरण की छह सीटों पर प्रतिस्पर्धा से कम हुई वोटिंग में एक बार फिर राजनीतिक आश्रम की चिंता है। कहा जा रहा है कि हिंदुवे, जापान और इंडिविजुअल्स के बीच आम सहमति के कारण मतदान लक्ष्य के दायरे में नहीं आए।

पिछली बार मो चुनाव यानि वर्ष 2019 में 82.39 प्रतिशत मत पड़े थे। इस बार भाजपा का प्रयास था कि मत प्रतिशत 83 से अधिक ले जाया जाए लेकिन पार्टी का ‘दिखावा’ यानी ऊपरी मोरचा भारी पड़ गया। अधिकांश नेता कांग्रेस से जुड़े नेताओं को मंच पर फॉर-लिए फिराते रहे और बूथ प्रबंधन पर ध्यान नहीं दे पाए।

इस अंतिम नामांकन में इस सीट पर छापा मारा गया, जहां कांग्रेस नेता कमल नाथ ने अपने आंतरिक प्रबंधन के दम पर चप्पा-चप्पा अच्छा और विश्वसनीयता कार्ड के किले को बूथ तक पहुंचाया, जहां काफी हद तक सफलता प्राप्त हुई। इधर, बालाघाट-मंडला आदिवासियों जैसे आंचलिक में हुई बम्पर भक्ति ने उन यूनेस्को के चेहरों पर लालिमा दी, जिसमें हारा हुआ माना जा रहा था। शहडोल संसदीय सीट में कोई मूलचुनाव परिवर्तन की उम्मीद नहीं थी इसलिए कम वोटिंग के बावजूद वहां किसी भी तरह के बदलाव की उम्मीद नहीं है।

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मंडला में ‘मतादान’ से भाजपा सफल हुई

बात बात मंडला में नेता कांग्रेस राहुल गांधी की सभा से शुरू करें तो बेहतर होगा। इस सभा में माहौल देखकर लग रहा था कि यहां बीजेपी के ‘मतादान’ नहीं हो। इसकी कई वजहें भी हैं। सबसे पहले, भाजपा साएठ फग्गन सिंह कुलस्ते ने कुछ दिन पहले ही अपने विधानसभा चुनाव में ऐसा माहौल बनाया था कि घोड़ा दौड़ेगा। इसके बावजूद बीजेपी अपने पोर्टफोलियो को बूथ तक में सफल रही। वहीं, कांग्रेस ने कई बूथ तक अपने एजेंट भी नहीं पहुंचाए।

नई पत्रिका से बीजेपी को नुकसान

हिंद व्होवोमास में वोट प्रतिशत का विश्लेषण किया जाए तो पता चलता है कि बीजेपी ने यहां कई गलतियां कीं। सबसे पहले, मोदी गठबंधन चुनाव और विवेकाधीन बंटी साहूकार चुनाव लड़ाई। दूसरी ओर, जिन नेताओं ने कांग्रेस से झूठ बोला, उन्हें ऐसे सिर पर डांटया कि पुराने कार्यकर्ता नाराज हो गए।

इसी कारण से कई क्षेत्रों में पार्टी के दार्शनिकों ने ‘मतदान’ बढ़ाने के बजाय केवल प्रभावशालीता प्रदर्शित की। बीजेपी के मंत्र से अहितित नेताओं ने रोड शो और भाषण में आग में घी का काम किया। कहीं न कहीं नई मछलियां भाजपा के लिए ‘मतदान’ बढ़ाने के लिए ‘प्रतिवर्ष’ नहीं रही।


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