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Lok Sabha Chunav MP: अपनी ही सीट में उलझ गए कांग्रेस के महारथी, दिग्विजय-भूरिया-कमल नाथ ने भी खुद को किया सीमित – Loksabha chunav Congress masters got entangled in their own seats Digvijay Bhuria Kamal Nath also limited themselves in elections

कांग्रेस ने अपने दिग्गज नेता मुख्यमंत्री पूर्व इरफान सिंह को राजगढ़ से चुनावी मैदान में उतारा है। वह 33 साल बाद फिर राजगढ़ से चुनाव लड़ रहे हैं। पूरे क्षेत्र में अभी वे पदयात्रा की हैं और अब चुनावी प्रचार में हैं और बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। इसी तरह कमल नाथ छिन्दवे में उलझे हुए हैं।

द्वारा वैभव श्रीधर

प्रकाशित तिथि: शनिवार, 13 अप्रैल 2024 06:48 अपराह्न (IST)

अद्यतन दिनांक: शनिवार, 13 अप्रैल 2024 06:48 अपराह्न (IST)

लोकसभा चुनाव एमपी: अपनी ही सीट पर उतरे कांग्रेस के महारथी, विपक्ष-भूरिया-कमल नाथ ने भी खुद को सीमित कर लिया
अपनी ही सीट पर उतरे कांग्रेस के महारथी

पर प्रकाश डाला गया

  1. अपनी ही सीट पर उतरे कांग्रेस के महारथी
  2. क्षेत्र से अब तक बाहर नहीं निकले कमल नाथ
  3. राजगढ़ में कंपनी, होटल में उचेले भूरिया

वैभव श्रीधर, नईदुनिया

भोपाल: मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने उन नेताओं को भी चुनावी मैदान में उतारा है, जिसमें पार्टी के दिग्गजों के पक्ष में संगठन को सक्रिय करने की जिम्मेदारी थी और अब संगठन के ये महारथी चुनाव में ही कुर्सी पर बैठे हैं। पार्टी के प्रारंभिक वर्ग विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सिद्धार्थ शेखावत ने तो जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष रामू टेकाम को बैतूलजनम सीट से चुनाव में उतार दिया है। इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद सिंह राजगढ़, कमल नाथ हिंदवे और कांतिलाल भूरिया रियलिटी में उलझकर रह गए हैं।

विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेताओं को चुनावी मैदान में उतारने के लिए नैतिकता को बढ़ावा देने की रणनीति बनाई। असल, 2018 से पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के हाथों में पार्टी की पूरी बागडोर थी। वह ही सत्ता और संगठन के केंद्र बिंदु थे। उन्होंने अपने खाते से जमावत भी की थी लेकिन जब चार महीने पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पराजय मिली तो पार्टी ने उन्हें नामांकित जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। प्रदेश कांग्रेस कांग्रेस भंग कर दी गई और अब तक नई टीम भी नहीं बन पाई है।

प्रदेश में जनाब और फूल वर्ग को पार्टी के पक्ष में जोड़ने की जिम्मेदारी जिन साथियों की थी, उनके मुखिया ही चुनाव लड़ रहे हैं। ना तो सिद्धार्थ सिद्धार्थ शर्मा छोड़ पा रहे हैं और ना ही रामू टेकाम बैतूल से बाहर निकल पा रहे हैं। इस ऑर्गेनाइजेशन के असिस्टेंट भी एक तरह से हो गए हैं और टीम भी एक दिशा में काम नहीं कर पा रही है। यही स्थिति युवा कांग्रेस के साथ भी हो रही थी। इसके प्रदेश अध्यक्ष डा. विक्रांत भूरिया के पिता कांतिलाल भूरिया समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं। वह स्वयं झाबुआ से विधायक भी हैं, जो समाजवादी क्षेत्र में ही आते हैं, इसलिए वे पूरे समय जहां दे रहे थे। इस संगठन के विशेषज्ञ प्रभावित हो रहे थे, जिसे देखते हुए उन्होंने पद छोड़ दिया, जिसे स्वीकार करते हुए अब मितेंदर सिंह को अध्यक्ष बनाया गया है।

प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता शैलपाल पटेल का कहना है कि निश्चित रूप से जो संगठन के लोग थे, उन्हें चुनावी राजनीति में अवसर देने की आवश्यकता थी। पार्टी ने ऐसे लोगों को चुनावी मैदान में उतारा है. जैसे-जैसे उनका चुनाव होगा, वे पूरे प्रदेश में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। संगठन के अन्य मान्य पूर्ण सक्रिय के साथ काम कर रहे हैं और इसके परिणाम भी सामने आ रहे हैं।

राजगढ़ में युनिवर्सी, छिन्दवे में कमल नाथ, मराठा में उचे भूरिया

कांग्रेस ने अपने दिग्गज नेता मुख्यमंत्री पूर्व इरफान सिंह को राजगढ़ से चुनावी मैदान में उतारा है। वह 33 साल बाद फिर राजगढ़ से चुनाव लड़ रहे हैं। पूरे क्षेत्र में अभी वे पदयात्रा की हैं और अब चुनावी प्रचार में हैं और बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। इसी तरह कमल नाथ छिन्दवे में उलझे हुए हैं। पार्टी ने अपने बेटे नकुल नाथ को दूसरी बार शपथ दिलाई। कमल नाथ ही चुनावी प्रचार के कमान संभाले हुए हैं और क्षेत्र से अब तक बाहर नहीं निकले हैं। ये स्थिति कांतिलाल भूरिया की रेती में है। वह भी क्षेत्र में ही उलझे हुए हैं।


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