Indore News: इंदौर में एक ऐसी जगह यहां सोना बेचा, पहना ही नहीं बल्कि कुल्फी पर लपेटकर खाया भी जाता है – Indore News At a place in Indore gold is sold not only worn but also eaten wrapped in kulfi
यहां सामान्य कुल्फी पर 24 कैरेट सोने की वर्क इस तरह की चाहत को दी जाती है कि सोने की वर्क और डंडी ही नजर आती है।
द्वारा समीर देशपांडे
प्रकाशित तिथि: बुध, 03 अप्रैल 2024 01:16 अपराह्न (IST)
अद्यतन दिनांक: बुध, 03 अप्रैल 2024 01:16 अपराह्न (IST)
पर प्रकाश डाला गया
- शहर के सराफा बाजार में सामान्य कुल्फी पर 24 कैरेट सोने की वर्क इस तरह से निवेश को दिया जाता है।
- अंदाज भी ऐसा कि कुल्फी भी शाही नजर आती है और उसे खाने वाला खुद को किसी राजा-महाराजा से कम नहीं दिखाता।
- रॉयल कुल्फी सहित करीब 18 तरह की कुल्फी सराफा में लाइट कुल्फी और फालूदा दुकान में बंटी यादव रेस्तरां रह रहे हैं।
इंदौर समाचार: नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। गर्मी के दिन और गली-मोहल्लों में घंटी बजाते हुए आने वाले ठेले जिनपर लाल कपड़ों में लिपटे बड़े-बड़े मटके रखे रहते थे और उनके बीच बर्फ के बीच दबी तीन की छोटी-छोटी गोल डिब्बियां थीं। ये जमीम कुल्फी में रहता था और कुल्फी वाले की गली में अपने बच्चों-बड़ों की टोली में आकर अपने-अपने पसंद की कुल्फी की फरमाइश करना शुरू कर दिया था।
तेजी से बदलते शहर में बेशक कुल्फी स्टाइल के तरीके और फ्लेवर में भी बदलाव आ गए हैं, पर कुछ क्लासिक्स पर अभी भी उसे मटके में ही जमा रहे हैं और उसे अलहदा स्टाइल में बना रहे हैं। अंदाज भी ऐसा कि कुल्फी भी शाही नजर आती है और उसे खाने वाला खुद को किसी राजा-महाराजा से कम नहीं दिखाता। आख़िर हो भी क्यों ना ये कुल्फी सोने की जो है।
पहले सिर्फ केसर की कुल्फी थी, अब कई फ्लेवर उपलब्ध
मूर्तिकार हैं कि 1965 में यह दुकान उनके दादाजी ईश्वरीलाल ने शुरू की थी। तब वे केसर कुल्फी ही तोड़ गए। जब विंटेज ने स्टोर सॅपॅथी बनाई तो कुल्फी में काजू-केवड़ा, सीताफल और आम के फ्लेवर भी शामिल हो गए। अब जब मैं और मेरा भाई शिवा इसे संभाल रहे हैं तो इनोवेशन करते हुए काजू-गुलकंद, पान, स्ट्रॉबेरी, जामिन, मलाई, चकलेट, स्कूल-ड्रायफ्रूट आदि फ्लेवर की कुल्फी देना शुरू किया। हमें सोने की वर्क का शौक है इसी तरह की कुल्फी पर सोने वाली कुल्फी का शौक है और इस तरह की कुल्फी पर सोने की वर्क लगा इसे बेच रहे हैं।
जहां तक कुल्फी तैयार करने की बात है तो इसका स्वाद बढ़ जाता है। कुल्फी को पारंपरिक ढांग से मटके में ही जमाया जाता है। मटके में डली बर्फ और खड़े नमक के बीच कुल्फी की डब्बी मठके को करीब एक घंटे तक हिलाया जाता है ताकि कुल्फी अच्छे से जम जाए। अलग-अलग वैरायटी की कुल्फी होनी और जगह का भाव के साथ उन्हें सराफा में फ़िरोज़ में रखा जाता है ताकि ग्राहक को उसकी पसंद की कुल्फी ही दी जाए।
खुद भी सोने से लड़े रहते हैं
सोने के प्रति दावा इतना है कि कुल्फी चुराने वाले दोनों भाई खुद भी दुकान पर सोने से चिपके हुए हैं। गले में मोती की चेन, हाथों में मोटी वुंठियां बनी हुई हैं। कई बार लोगों के परामर्श पर कहा जाता है कि ये सभी नकली हैं। ये सोने की कुल्फी के वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हैं, जिन पर तरह-तरह के कमेंट्स भी हैं।
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