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Hate Crime: विदेशों में हिन्दुओं पर बढ़ते हमले, जिम्मेदार कौन – Increasing attacks on Hindus abroad who is responsible

कनाडा में ही सबसे पहले मां काली का एक फिल्म के माध्यम से अपमान हुआ फिर कनाडा के टोरंटो में ही कालिस्तानी विद्वान ने एक प्रमुख मंदिर स्वामी नारायण मंदिर में तोड़फोड़ की। मंदिर की दीवारों पर खालिस्तान के समर्थन में नारा लिखा।

द्वारा नवोदित शक्तावत

प्रकाशित तिथि: शनिवार, 24 सितंबर 2022 05:31 अपराह्न (IST)

अद्यतन दिनांक: शनिवार, 24 सितंबर 2022 05:33 अपराह्न (IST)

घृणा अपराध: कार्टूनिस्ट पर बढ़ते हमले, जिम्मेदार कौन

मृत्युंजय लेखक

पाकिस्तान और बांग्लादेश में सऊदी अरब पाकिस्तानियों और अन्य मुस्लिमों के बीच संबंध समाज के लोगों को बनाया जा रहा है वह बेहद चिंता का विषय है। कनाडा में तो भारत विरोधी खालिस्तानी गिरोह पहले से ही सक्रिय है जिसे पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई का सहयोग प्राप्त है लेकिन ब्रिटेन में महारानी एलिजाबेथ का अंतिम संस्कार होने के बाद ही जिस तरह से हिंदू धर्मगुरुओं पर हमले हुए वह हैरान करने वाले हैं।

कनाडा में ही सबसे पहले मां काली का एक फिल्म के माध्यम से अपमान हुआ फिर कनाडा के टोरंटो में ही कालिस्तानी विद्वान ने एक प्रमुख मंदिर स्वामी नारायण मंदिर में तोड़फोड़ की। मंदिर की दीवारों पर खालिस्तान के समर्थन में नारा लिखा। इससे पूर्व कनाडा के गौरी शंकर मंदिर और जगन्नाथ मंदिर पर भी हमला किया गया था। कनाडा को एक शांति प्रिय देश माना जाता था लेकिन अब वहां पर खालिस्तानी सागर ने अपना बेस बना लिया है जिसमें पाक खुफिया एजेंसी आई असोसिएशन का सहयोग संरक्षण संरक्षण रहता है।

रामजन्मभूमि चित्रण के प्रमुख चेहरे व वात्सल्य ग्राम की रचना करने वाली वसीयत में प्रमुख नाम ऋतंभरा द्वारा एक टीवी पत्रकार को दिए गए साक्षात्कार के अनुसार अमेरिका से भारत आए थे लंदन से ट्रांजिट करना था ब्रिटेन के शहरों में उग्रवादियों के कारण लंदन प्रशासन ने ट्रांजिट नहीं करने दिया और एंटी टाइम में दूसरे विकल्प का चयन करना पेज पर दिया गया। इस घटना से यह सिद्ध होता है कि ब्रिटेन प्रशासन पाकिस्तान के मुस्लिम कट्टरपंथियों के दबाव में है।

ब्रिटेन और कनाडा में हिंसक अपराधियों के बाद वहां बसे हिंदू समाज में भय के माहौल के बीच यहां के धर्मनिरपेक्ष समाज ने मौन साध लिया है। अभी तक भारत के किसी भी सेकुलर दल ने ब्रिटेन की हिंसा पर अपने विचार नहीं रखे हैं, एक समाजवादी पार्टी के अल्पसंख्यक एस.टी. हसन ने ब्रिटेन की हिंसा के लिए भी बीजेपी और संघ को जिम्मेदार बताया, उन्होंने मुस्लिम तुष्टिकन और हिंदू फोबिया के खिलाफ अपनी बयानबाजी में कहा कि इन साधु संतों के नेताओं के दिमाग में कितना कुछ लिखा है। ब्रिटेन और कनाडा में हिंदू समाज की विचारधारा खत्म हो गई है, इसकी चिंता किसी को भी नहीं है।

ब्रिटेन में हिंदू समाज के साथ हिंसा की एक सुनियोजित साजिश चल रही है। वहां से प्राप्त समाचारों के अनुसार क्रिकेट के एशिया कप के पहले मैच में भारत के हाथ पाक की हार हुई थी और उसके बाद वहां भारतीय अपनी जीत का जश्न मना रहे थे लेकिन यह बात वहां पर रही कि कटटर पंथियों को नजर नहीं आई और भारत के प्रति अपवित्रता से कट्टर पाकिस्तानियों ने हिंसक विरोध प्रदर्शन किया लेकिन उसके बाद वह हिंदू बनाम मुस्लिम की हिंसा हो गई। ब्रिटेन के सोशल मीडिया में भी अफवाहें उड़ाई गईं और कहा गया कि वहां एक मस्जिद में तोड़फोड़ की गई है जबकि असल में वहां ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

ब्रिटेन के लीसेस्टर में पुश्तैनी के बने घरों का भी ढांचा तैयार किया जा रहा है। वहां के नमूने यह हो गए हैं कि जिन घरों के दरवाजे पर तुलसी के पौधे लगे हुए हैं, वहां स्वातिस्क का चिह्न है, शुभ-लाभ लिखा है, गणेश जी की प्रतिमा स्थापित है। वह भी लोग अपने घर से बाहर निकल कर कहीं न कहीं किसी कटटरपंथी की नजर उनके घर पर नहीं पड़ जाते हैं। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ कि एक कार पर हिंदू देवता की मूर्ति लगी थी कट्टरपंथियों ने कार ही पलटा दी, एक और वीडियो में दिख रहा है कि गैंग हिंदुओं के घरो के आगे दोस्ती की जा रही है, एक वीडियो में देख रहा है कि एक आदमी भगवा झंडे को नकाब लगाकर उखाड़कर ले जा रहा है। एक शिव मंदिर पर हमला किया गया और मंदिर के ऊपर लगे भगवा झंडे को भी नीचे गिरा दिया गया। स्मिथविक शहर में भी हिंदू धर्म के आस्था केंद्र मंदिरों पर हमले हुए और गुंडों ने ब्रिटेन में बीजेपी संघ को नहीं आने दिया और हिंदू समाज को अल्ला-हू-अकबर के नारे लगाने के लिए जगह दे दी।

इन कट्टर पंथियों की हिंसा के स्वरूप वैसे ही हैं जैसे भारत में रहते हैं, पहले सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाई जाती हैं फिर उनका सहारा लेकर हिंसा की जाती है। ब्रिटेन में भी सबसे पहले एक मस्जिद को तोड़ने की अफवाह उड़ाई गई थी, फिर हिंदू मूर्तियों और मतावलंबियों पर हिंसक हमले किए गए थे।

पाकिस्तान लगातार भारत विरोधी जहर उगल रहा है और वह भारत और भारत के हितों को नुकसान पहुंचा रहा है, नए नए अवसर की खोज जारी है और उसे यह अवसर अबकी बार ब्रिटेन में मिल गया है। पौराणिक ऋतंभरा का कहना है कि हिंदू सनातन संस्कृति और समाज के विरुद्ध एक बहुत गहरी साजिश चल रही है। आज हम अपनी मेहनत और शांति के बल पर यहां तक ​​हैं। हिंदू शांति प्रिय है वह कभी भी अपनी ओर से हिंसा नहीं करता है जहां हिंदू आबादी अधिक है और मुस्लिम आबादी बहुत कम है वहां पर कभी भी कोई हिंसा नहीं होती है लेकिन जहां मुस्लिम आबादी बढ़ती है वहां अल्पसंख्य हिंदू समाज की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है असरदार नहीं रह जाता है. ब्रिटेन की हिंसा का मूल कारण लीसेस्टर शहर है जहां मुस्लिम आबादी पर हिंसा बहुत अधिक है।

आज तक जिस विदेशी पुलिस की स्मारकों की गाथाएं गाई जा रही हैं आज वो पुलिस इन अपराधियों के सामने मूकदर्शक बनकर खड़ी दिखाई दे रही है। चतुर्थ का कहना है कि यह हिंसा सुनियोजित है और हिंसा के इस षड्यंत्र में भारत की वह आंतरिक शक्तियां भी शामिल हैं जो सत्ता के लालच में देश और मोदी विरोध में अंतर करना भूल गए हैं। इसमें भारत के सभी सेकुलर राजनेता और पत्रकार, विदेशी लिंक वह सब शामिल हैं।

आज पूरे विश्व में हिंदू सनातन संस्कृति आगे बढ़ रही है, अभी कोरोना काल में देखा गया कि विश्व के कई देशों में लोग योग और आयुर्वेद का सहारा लेकर स्वस्थ हो गए। भारत ने अपनी वैक्सीन वैक्सीन और विश्व को दी। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत आत्मनिर्भर बन रहा है और दुनिया की 5वीं अर्थव्यवस्था बन रही है। प्रधानमंत्री जी ने स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अवसर पर विकसित राष्ट्र का आह्वान किया, बात आज भारत और हिंदू सनातन संस्कृति की विरोधी ताकतों को पसंद नहीं आ रही है और यह लोग विरोध में किसी भी तरह से इस स्तर तक जा सकते हैं। यह नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता को कम करने की साजिश का हिस्सा भी हो सकता है।

भारत के विदेश मंत्री एस. ब्रिटेन की पुलिस ने अब तक हिंसा में दो सौ लोगों को शामिल कर लिया है, लेकिन यह हिंसा अभी भी कहीं और जारी नहीं हुई है। यह सभी लक्षण स्पष्ट संकेत दे रहे हैं कि हिंदू समाज ने भारत विरोधी ताकतों के खिलाफ किस प्रकार से नकारात्मकता फैलाई है।

  • लेखक के बारे में

    वर्तमान में नईदुनिया डॉट कॉम में शेयरधारक हैं। पत्रकारिता में अलग-अलग नामांकन में 21 साल का दीर्घ अनुभव। वर्ष 2002 से प्रिंट और डिजिटल में कई बड़े दिन सिद्धांत


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