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Chalte-Chalte Indore: सेंव ही नहीं, सेवा में भी मोक्ष पा रहे इंदौरी – Chalte Chalte Indore Indores are finding salvation not only in beans but also in service

ग्रीष्मकाल में पूरे शहर में कई मठ, पुलों, पुजारी, बगीचों आदि स्थानों पर आदि मुख परिंदों के लिए दाना-पानी और सकोरे दिख रहे हैं।

द्वारा समीर देशपांडे

प्रकाशित तिथि: शनिवार, 13 अप्रैल 2024 12:44 अपराह्न (IST)

अद्यतन दिनांक: शनिवार, 13 अप्रैल 2024 12:44 अपराह्न (IST)

चलते-चलते इंदौर: सेवा ही नहीं, सेवा में भी मोक्ष पा रहे इंदौरी
पक्षी प्रेमियों को दादू महाराज संस्थान द्वारा साकोरों में वितरित किया गया। -इंटरनेट मीडिया

चलते-चलते इंदौर: चलते-चलते, चलते-चलते

इंदौर के सेवा कार्य को कोरोना काल में पूरे देश में देखा गया है। उस समय बायपास से गुजर रहे अन्य कूड़े-कचरे के लोगों के लिए शहर ने पाले-पावड़े दिए थे। असली, इंदौरी लोग सिर्फ सेव के ही शौकीन नहीं हैं, बल्कि उनकी सेवा करना भी आता है। यह बात एक बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में भी कही थी। इंदौर सेवा प्रदाताओं को एक भी नंबर नहीं मिला। इसकी बनगी इन दिनों शहर के कई जिलों में देखी जा सकती है। गर्मी शुरू हो गई है ही शहर में कई सेवा संस्थाएं, ट्रस्ट, धार्मिक संस्थान, पक्षी प्रेमियों के लिए सकोरे ग्लास से लेकर जगह-जगह पुजारी की प्याऊ जैसी सेवा करते नजर आते हैं। ग्रीष्मकाल में पूरे शहर में कई मठ, पुलों, पुजारी, बगीचों आदि स्थानों पर आदि मुख परिंदों के लिए दाना-पानी और सकोरे दिख रहे हैं।

अप-डाउन के फेर में उलझे हैं इंदौरी भैया

की घोषणा हो या बड़े नेताओं के अपने-अपने दौरे, हर बात में भाजपा पारंगत कांग्रेस से आगे नजर आ रही है। इसके बाद भी भाजपा पार्टी हाईकमान चुनाव में कोई कोर-कसर नहीं रखना चाहती। पार्टी के दिग्गज नेताओं के लिए इस बार अलग-अलग पार्टी की सीट का रास्ता साफ हो रहा है। मालवा-निमाड़ अधिकांश योगदान पर एडोरेटो के नेताओं को प्रभारी का दायित्व दिया गया है। इन सहायक कर्मचारियों की हालत इन दिनों दूसरे शहर में काम करने वाले किसी कर्मचारी यानी अप-डाउनर की तरह हो गई है। प्रभारी अधिकारी अल सब्सिटेंट डेकोरेटिव से अपने-अपने विभाग वाले क्षेत्र में जाते हैं, अस्थायी बैठकें और प्रचार अभियान में देर रात तक घर के सामान शामिल होते हैं। कोई पूर्व विधायक सुबह से मस्जिद जा रहा है, तो कोई देवता के लिए निकल रहा है। जिन लीडर्स के पास मंदसौर या झाबुआ जैसी दूर की यात्रा का दायित्व है, वे अप-डाउन करने के बजाय जगह-जगह समुद्र तट में आराम कर रहे हैं।

शुक्ला के जाते ही पुरानी एक नंबरी कांग्रेसी सक्रियता

इन दिनों एक नंबर क्षेत्र में कांग्रेस नेतृत्व दिखाई दे रही है। पूर्व अभिनेता संजय शुक्ला भगवा दुपट्टा पहने हुए हैं। कमलेश खंडेलवाल शुरू से ही दो नंबर के पाले में रह रहे हैं। उन्हें तो फूलछाप कांग्रेसी ही कहते थे। गोलू अग्निहोत्री कभी भी भाजपा के खेमे में जा सकते हैं। ले-देकर बस बहुत दीपू यादव ही बचे हैं, मगर वे कांग्रेस के बड़े कार्यक्रम से दूर ही रहते हैं। ऐसे में कई नेता कांग्रेस के इस खालीपन को घोषणा की तैयारी कर रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि एक नंबर में अब उनकी छुट्टी साफ हो गई है। इसी तरह पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के खास समर्थक माने वाले पहलवान गजेंद्र वर्मा ने एक नंबर के कालानी नगर इलाके में बड़ा जलसा लिया था। जलसे में मजमा भी अच्छा जमा लिया। विधानसभा चुनाव में अभी चार साल से ज्यादा का समय लगा है, पर वर्मा ने अभी से ‘वर्जी’ शुरू कर दी है।

सफाई के मामले में नहीं चला किसी की सफाई

उत्सवप्रिय डेकोर में उत्साह के साथ-साथ निर्देश की भी परंपरा रही है। जबसे इंदौरी स्वच्छता में नंबर वन का तमगा मिला है, तबसे सजावट में कुछ ज्यादा ही सतर्कता भी हो गई है। पूर्व महामहिम मालिनी गॉड के पद से ही चली आ रही परंपरा बाद में सामाजिक रैलियों में गिरावट आई, स्वतंत्रता का शुल्क पहले चुकाया गया। बजरंगबली हनुमान की प्रभातफेरी के लिए यह खर्च वह खुद कई बार मनाते हैं। मगर गत दिवस नगर निगम को चेटीचंड उत्सव समिति पर अर्थदंड लगाया गया क्योंकि समारोह के बाद सोसाइटी पर गंदगी बिखरी थी। यह आयोजन उस समाज का था, जिसका अर्थ अगुआई अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र हैं। जब ‘माननीय’ हीस्वच्छता को लेकर सतर्कता नहीं तो किसी से क्या कहा। खैर, नगर निगम ने किसी के भी प्रभाव में कोई कार्रवाई नहीं करते हुए स्वतंत्रता के प्रति अपनी विचारधारा दी।


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