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Bengal SSC Scam: भ्रष्टाचार की अनदेखी से बढ़ेंगी ममता बनर्जी की मुश्किलें – Bengal SSC Scam: Ignoring corruption will increase Mamata Banerjee’s troubles

स्पष्ट रूप से देखने से पता चलता है कि यह महान निर्णय उन्होंने तब लिया, जबकि उनके सामने कोई रास्ता नहीं बचा था।

द्वारा नवोदित शक्तावत

प्रकाशित तिथि: गुरु, 11 अगस्त 2022 08:19 अपराह्न (IST)

अद्यतन दिनांक: गुरु, 11 अगस्त 2022 08:24 अपराह्न (IST)

बंगाल एसएससी घोटाला: गरीबों की अनदेखी से बढ़ेगी ममता बनर्जी की मुश्किलें

कृष्णमोहन झा

पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती पोर्टफोलियो को लेकर रोजाना ही जो नए खुलासे हो रहे हैं वे आश्चर्यजनक चकित करने वाले हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के एक वरिष्ठ मंत्री पार्थ चटर्जी द्वारा गिरफ्तार किए जाने से पहले यह कोशिश की गई थी कि पार्थ चटर्जी को नामांकन से हटाने की नौबत न आए क्योंकि इससे उन्हें सरकार की छवि धूमिल होने का खतरा बना हुआ था, लेकिन इसके लिए उन्हें अंततः इस घोटाले के मुख्य घटक पार्थ चैट को मशविरे से बाहर का रास्ता दिखाना ही पड़ा। स्पष्ट रूप से देखने से पता चलता है कि यह महान निर्णय उन्होंने तब लिया, जबकि उनके सामने कोई रास्ता नहीं बचा था। पार्थ चैट को गणित से निकालने के साथ ही पार्टी संगठन में भी सभी पार्टिओं को मुक्त कर दिया गया है। विदित है कि ममता सरकार के वरिष्ठ मंत्री के रूप में पार्थ चटर्जी उद्योग, सूचना प्रौद्योगिकी और संसदीय कार्य जैसे महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी निभा रहे थे।

वे कांग्रेस के उन कद्दावर नेताओं में प्रमुख थे जिन पर ममता बनर्जी सबसे अधिक विश्वास करती थीं। यह निःसंदेह आश्चर्य की बात है कि ममता बनर्जी के करीबी और विश्वास पात्र वरिष्ठ मंत्री के विभाग में इतनी बड़ी गड़बड़ियाँ हो रही हैं और मुख्यमंत्री को उनकी राजपुत भी नहीं लगी। पार्थो चैट अब यह नकली खुद का दामन पाक-सैफ दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें फाँसी की सजा दी जा रही है लेकिन उनके इस सवाल का जवाब नहीं है कि यह साजिश कौन कर रहा है।

उनका कहना है कि यह वक्ता व्याख्यान है। उनके करीब 55 करोड़ की कलाकृतियां, आभूषण, दलेर और चल अचल संपत्तियों की 30000000000000000000000 बरामद की गई है। निर्भय मुखर्जी यह तर्क दे रहे हैं कि उनके घर से बरामद हुई भारी भरकम याचिका से उनका कुछ लेना देना नहीं है, यह आग्रह तो पार्थ चटर्जी के लोग उनके घर में गए थे और जिस कमरे में यह पैसा रखा गया था वह कमरा में जाने की उन्हें सख्त मनाही थी।

इस प्रस्ताव का उन्होंने कभी भी उपयोग नहीं किया। किसी के गले से नहीं उतर रही ये अजीबो-गरीब पहेली। प्रश्न यह है कि आख़िरकार उन्होंने इतना बड़ा साझीदार अपने घर में क्यों रखा, यह बताया और जब करोड़ों रुपये के साझीदार अपने घर में रह रहे थे तो उन्होंने इसके बारे में कोई पूछताछ करना आवश्यक क्यों नहीं समझा। ऐसे में यह स्वभाविक है कि इस खेल में वे भी शामिल हैं और लोग उन्हें गिरफ्तार भी करते हैं। इस संबंध में फिल्म अभिनेता और भाजपा नेता मिथुन मित्र की यह प्रतिक्रिया निसंदेह गौर करने के लिए ली गई है कि निक्की मुखर्जी के घर से बरामद रुपये न तो पार्थ के हैं और न ही निशिखा के। वे तो लूटे गए सिक्कों की रखवाली कर रहे थे। दोनों को सच बताना चाहिए। इससे उनकी तकलीफ़ कम होगी। मित्र हैं कि मित्र मित्र अतीत में यूक्रेन कांग्रेस के सदस्य रह चुके हैं।

मिथुन मित्र की प्रतिक्रिया यह सलाहकार पर आधारित है कि जब पूरे मामले की गहराई से जांच की जाएगी तो मित्र वाले का खुलासा सामने आएगा। पार्थ चटर्जी की गर्लफ्रेंड ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी दी रक्षा की मुद्रा में ला दिया है। लगभग सावा साल की पहली मैराथन पार्टी में नामांकन के बाद ममता बनर्जी ने अपने करीबी सहयोगियों से भरी हुई पार्टी में भाग लिया। सोया, वे अब अपने मौलिकता का पुनर्मूल्यांकन करने की घोषणा कर चुके हैं। राजनीतिक वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि ममता बनर्जी इस कारखाने में कुछ इंजीनियरों की छुट्टी भी कर सकती हैं और कुछ भी कोलकाता के निजीकरण में शामिल नहीं हो सकते हैं।

पार्थो चटर्जी ने पार्टी को शर्मसार कर दिया है। उन्होंने अपनी सूचना पार्टी में किसी को कुछ नहीं दिया। पार्थ चटर्जी को उनके अपराध की सजा मिलनी चाहिए। क्रांतिकारी राय के बयान से यह स्पष्ट है कि रूढ़िवादी कांग्रेस सरकार की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पहली प्रतिज्ञा अब पार्थ चटर्जी को उनके हाल पर छोड़ कर खुद को निष्कलंक साबित करना है। ममता बनर्जी ने पार्थ चटर्जी और निक्की मुखर्जी के यहां आमिर के अभिनय में करोड़ों रुपये की बैठक और शिक्षक भर्ती अकादमी में अपने कथित घोटाले के संदर्भ में कहा है कि मैं किसी भी गलत काम का समर्थन नहीं करता हूं।

जिसने भी उसे गलत ठहराया है उसे सजा मिलनी को मिलनी चाहिए लेकिन मेरे खिलाफ जो दुर्भावनापूर्ण अभियान चलाया जा रहा है मैं उसकी निंदा करता हूं। ममता बनर्जी का कहना है कि मैंने कभी निजी फायदे की राजनीति नहीं की। यह तो ममता बनर्जी के विरोधी भी हैं लेकिन सवाल यह है कि जब ममता बनर्जी के करीबी लोग बड़े पैमाने पर घोटालेबाज बने रहते हैं तब ममता बनर्जी को प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जाता और जब कोई भी मामला सामने आता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है होता है. सारदा में भी ऐसा हो चुका है भुगतान, जिसमें शामिल थे ओल्ड कांग्रेस के कुछ बड़े नेता।

ममता बनर्जी को यह तो याद ही होगा कि एकमात्र वैष्णव कांग्रेस के नेताओं ने ही उनके ब्लॉगर के साथ भी मित्र और मित्रवत पूछताछ की है। यदि ममता बनर्जी के साथ ऐसा विशेष रूप से होता है कि उनकी पार्टी और सरकार के सहयोगियों के समर्थकों ने उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है, तो फिर उन्हें अपने सहयोगी सहयोगियों के कार्यकलापों के प्रति और भी सावधान रहना चाहिए। राज्य में सरकारी एसोसिएट्स की भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर दस्तावेजों के साक्ष्य मिले थे।

मुख्यमंत्री आज यह कह रहे हैं कि वे भ्रष्टाचार को बढ़ावा नहीं दे सकते तो इस घोटाले के सामने आने के बाद उन्हें पार्थ चटर्जी को उम्मीदवारी से हटाने का निर्णय लेना चाहिए। अगर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पार्थ चटर्जी को एक ही समय में सदस्यता से हटा दिया जाता है तो उन पर आज यह आरोप नहीं लगता है कि उन्होंने पुनर्गठन के लिए कोई कठोर कदम नहीं उठाया है। अब समय आ गया है जबकि उन्हें अपने मंडल के उन सदस्यों को सत्ता से बाहर छोड़ दिया गया था, जिन पर कोई आरक्षण नहीं होना चाहिए था, पिछले काफी समय से इस पर आरोप लगाए जा रहे हैं। रिश्तो भारतीय जनता पार्टी को सरकार पर हमला बोलने का अवसर तो इसलिए मिल गया है क्योंकि वे राज्य में वैश्वीकरण के मामलों को स्थायित्व की इच्छा शक्ति नहीं दिख रही है।

अन्य पार्थ चटर्जी के सामने अब जो बयान दे रहे हैं वह ममता सरकार और कॉलेज कांग्रेस की मुश्किलों को तोड़ सकती हैं। खुद को चारों ओर से घेर लिया गया पा कर उन्हें शायद अब बीजेपी नेता और फिल्म अभिनेता मिथुन मित्र की यह सलाह सही लगी है कि बरामद नकदी के बारे में सब कुछ सच बता दें से उनकी तकलीफें कम हो सकती हैं। डी.एच.डी. के एक अधिकारी के पार्थ चटर्जी ने पूछताछ में बताया कि उन्होंने एसोसिएट की भर्ती के लिए न तो कभी किसी से कहा न तो कुछ मांगा, न ही स्वीकार किया।

उनके शेयरों द्वारा तैयार किए गए स्ट्रेंथों पर हस्ताक्षर करना सीमित था। दस्तावेजों के द्वारा ओबाहिसे जाने वाले धन के वे संरक्षक मात्रा थे। सामूहिक दल में से कुछ हिस्सा पार्टी के उपयोग के लिए लिया गया था। पार्थ तो अब यहां तक ​​देखने को मिल रहा है कि एचडी ने जो नागालैंड के मुखर्जी के घर से बरामदगी की है, वह तो पार्टी द्वारा ओबाही गए धन का केवल एक हिस्सा है। पार्थ चटर्जी के इस बयान से निश्चित रूप से पारंपरिक कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि अब यह सवाल भी उठना स्वाभाविक है कि पीएचडी द्वारा बरामद किए गए नैट पार्टी द्वारा आयोजित धन का एक हिस्सा है तो बाकी पैसा अलग रखा गया है।

  • लेखक के बारे में

    वर्तमान में नईदुनिया डॉट कॉम में शेयरधारक हैं। पत्रकारिता में अलग-अलग नामांकन में 21 साल का दीर्घ अनुभव। वर्ष 2002 से प्रिंट और डिजिटल में कई बड़े दिन सिद्धांत


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