संजय सिंह छह महीने बाद हुए रिहा, कहा- जेल के ताले टूटेंगे और अरविंद केजरीवाल छूटेंगे… – BBC News हिंदी
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सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मीटिंग के बाद आम आदमी पार्टी के नेता और समाजवादी पार्टी के नेता संजय सिंह तिहाड़ जेल से रिहा हो गए हैं।
वे रविवार रात आठ बजे के सबसे बड़े तिहाड़ से निकले।
जेल से बाहर रवाना होने के बाद संजय सिंह और आम आदमी पार्टी के समर्थक बड़ी संख्या में वहां मौजूद थे।
संजय सिंह ने एक गाड़ी की छत पर चढ़ते हुए और सलामी बल्लेबाज की सलामी देते हुए कहा, “यह वक्ता जश्न मनाने का नहीं है। यह वक्ता संघर्ष करने का है।”
उन्होंने कहा, “हमारी पार्टी के सबसे बड़े नेता अरविंद केजरीवाल, मनीषी सिसोदिया और संत जैन को जेल में रखा गया है, हमें पूरा यकीन है कि इस जेल के टुकड़े टूटेंगे और अरविंद केजरीवाल हैरान होंगे।”
रिहाई पर पिता की प्रतिक्रिया
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संजय सिंह के पिता दिनेश सिंह
संजय सिंह के आउटिंग पर उनके पिता दिनेश सिंह ने दुख की बात कही है।
दिनेश सिंह ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “सब बड़ी हस्ती भारी इंटरैक्टिव से देख रही थी।”
दिनेश सिंह ने पूछा कि वो अपने बेटे का स्वागत कैसे करेंगे?
इसके जवाब में कहा गया है, “बाप बेटे का स्वागत फार्मूला में हो रहा है। मैं गले नहीं पहनूंगा। उनका इलाज चल रहा है। डॉक्टरी खाना खाना होगा।”
क्या बोले सौरभ भारद्वाज
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के ज़मानत पर आने के बाद दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने मीडिया से बात की।
सौरभ भारद्वाज ने कहा, “अभी-अभी संजय सिंह जेल से बाहर निकले। हजारों संगीतकारों ने उनका स्वागत किया। है।”
उन्होंने कहा, “अभी हमारे तीन बड़े नेता अरविंद केजरीवाल, मनीषी सिसोदिया और संत जैन के अंदर हैं, जब तक वो छूट नहीं देंगे, तब तक हम खुशियां नहीं मनाएंगे। जेल के शेयर तोड़ेंगे…”
ज़मानत पर बाहर आना अपराध मुक्त होना नहीं:बीजेपी
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संजय सिंह की ज़मानत पर आउट आने के बाद बीजेपी ने पहली प्रतिक्रिया दी है।
बीजेपी के दिल्ली अध्यक्ष शेख सचदेवा ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “भ्रष्टाचारी पार्टी के एक नेता अगर ज़मानत पर आते हैं और उनके वो जश्न मनाते हैं तो उस पार्टी की सोच पता चलती है।”
उन्होंने कहा, “ज़मानत पर बाहरी अपराध मुक्त होना नहीं है। ज़मानत डेट है तो ज़मानत ठीक भी होती है। नाबालिग या अपराधी को उसकी विरासत का पालन करना होता है।”
सचदेवा कहते हैं, “मुझे लगता है कि शराब घोटाला एक बहुत बड़ा घोटाला है। उस घोटाले में दोषी लोग हैं, अंशकालिक भूमिका की जांच हो रही है।”
किन लोन पर मिली ज़मानत?
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सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह स्पष्ट कर दिया था कि संजय सिंह ट्रायल कोर्ट की ओर से जमानत के आधार पर रहेंगे।
संजय सिंह के वकील ऋषभ कुमार ने न्यूज एजेंसी एनी को बताया कि संजय सिंह की जमीन की गारंटी क्या-क्या है। उनके मुताबिक कोर्ट ने जो मांग रखीं वो इस तरह हैं:
- दो लाख रुपए का मुचलका
- देश ठीक नहीं किया जा सकता
- पासपोर्ट कोर्ट में जमा करना होगा
- इस केस में अपनी भूमिका को लेकर कोई बात नहीं करेंगे
- दिल्ली के बाहर जाने की स्थिति में अपना फ्लैट इस केस के जांच अधिकारी से साझा करेंगे
सुप्रीम कोर्ट ने दी थी ज़मानत
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सुप्रीम कोर्ट ने संजय सिंह को मंगलवार को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। हालाँकि सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि उनकी ज़मानत की सज़ा सज़ा अदालत की ओर से तय की गई थी।
संजय सिंह दिल्ली की शराब नीति से जुड़े हुए थे। उन्हें दिनेश अरोड़ा की बैसाखी के आधार पर पिछले साल अक्टूबर में गिरफ़्तार किया गया था।
इस कथित आरोपी के मामले में दिल्ली के पूर्व कयादिर मसूद पहले से जेल में बंद हैं। हाल ही में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को भी इसी मामले में गिरफ्तार किया गया था.
कोर्ट में वकील सॉलिसिटर जनरल एस.
संजय सिंह अक्टूबर 2023 से जेल में बंद थे। एचडी की टीम ने संजय सिंह को दिल्ली की शराब नीति से जुड़े कथित डॉक्यूमेंट्री केस में गिरफ़्तार किया था।
दिल्ली की शराब नीति
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दिल्ली सरकार ने नवंबर, 2021 में एक नई सरकारी नीति लागू की थी। इस नीति को लागू करने के बाद दिल्ली का शराब कारोबार निजी हाथों में आ गया। शराब की सभी दुकानें निजी हाथों में चली गईं। दिल्ली सरकार ने तर्क दिया कि इस व्यवसाय से होने वाले राजस्व में वृद्धि होगी। ये नीति सब्जी में ही रही से शुरू हुई.
लेकिन जब विवाद बढ़ा तो नई नीति को खारिज करते हुए सरकार ने जुलाई, 2022 में एक बार फिर पुरानी नीति को ही लागू कर दिया।
इस विवाद की शुरुआत दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार की उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सैना, आर्थिक अपराध शाखा नई दिल्ली से हुई, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है। यह रिपोर्ट 8 जुलाई, 2022 को जारी की गई थी।
इसमें एक्साइज डिपार्टमेंट के प्रभारी के रूप में शामिल होने के नाते के दामाद सोसाद पर उपराज्यपाल की मंज़ूरी के बिना नई साजो-सामान नीति के तहत फ़ायदे तरीक़े से राजस्व आवंटन के आरोप लगाए गए हैं।
अधिकारियों के अनुसार, लागू होने वाली औद्योगिक नीति में किसी भी तरह के बदलाव से पूर्व सचिवालय विभाग को पहले एनसीएबी और फिर उप-राज्यपाल के पास के लिए उपभोग्य सामग्रियों का उपयोग करना पड़ता है। गैर-कानूनी और उप-राज्यपाल की अनुमति के बिना कोई भी बदलाव गैर-कानूनी कहलाएगा।
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