संजय सिंह की रिहाई से क्या आम आदमी पार्टी को लोकसभा चुनावों में फ़ायदा होगा? – BBC News हिंदी
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रिलीज के बाद फिल्म के बीच में संजय सिंह थे
सुप्रीम कोर्ट से धर्मनिरपेक्ष ज़मानत पर छह महीने बाद आम आदमी पार्टी के नेता और सांसद संजय सिंह को बुधवार को जेल से बाहर कर दिया गया।
तिहाड़ जेल के बाहर संजय सिंह का इंतजार आम आदमी पार्टी के नेताओं और मुसलमानों की भीड़ खड़ी थी।
आउटसाइड ही संजय सिंह ने अपने सिद्धांत से कहा कि ये समय जश्न का नहीं बल्कि संघर्ष का है। उनका कहना है कि उनका इशारा अभी भी जेल में बंद पार्टी के कमिश्नर अरविंद मिर्ज़ाख़िन, मनीषी सिसौदी और जैन की ओर से था।
संजय सिंह ने अपनी पार्टी में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बेरोजगारी पर लेने के साथ ही ये भी कहा कि ‘जेल का जवाब जनता वोट से देवी।’
लोकसभा चुनाव में मुखिया रहे हैं और इससे पहले आम आदमी पार्टी के शीर्ष चार नेता जेल में थे।
विश्वास है कि इन चार में से एक यानी संजय सिंह की रिलीज संकट से लेकर आम आदमी पार्टी के लिए सार्वभौम लेकर आई है।
ये न सारसोचियों और अन्य नेताओं में उत्साहवर्धन का काम है बल्कि इससे आने वाले लोकसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी को फ़ायदा हो सकता है।
पार्टी को मिलेगा नेतृत्व
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पार्टी के नेताओं के साथ काम कर रहे हैं संजय सिंह
21 मार्च को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी के बाद आम आदमी पार्टी के आदेश आतिशी, सौरभ भारद्वाज, गोपाल राय, दुर्गेश पाठक जैसे कई नेता मंडली शामिल हो रहे हैं।
इस दौरान 31 मार्च को दिल्ली में हुई ऑर्किड आश्रम की महारैली में कई लोग शामिल हुए, जिसमें शामिल अरविंद भी शामिल थे।
इस बीच पार्टी का दूसरा बड़ा चेहरा राघव चन्ना देश में नहीं हैं। वह पूरी घटना के दौरान लंदन में रहीं और अभी भी कहीं हैं। वहीं, भगवंत मान के पास पहले से ही पंजाब की जिम्मेदारी है।
मान्यता है कि संजय सिंह की रिलीज इस नेतृत्व में दिख रही है, आम आदमी पार्टी के लाइसेंस में फिर से जोश की अपील से अहम है और इससे पार्टी को नेतृत्व भी मिलेगा।
संजय सिंह आम आदमी पार्टी के संस्थापक मंडल में से एक हैं और उनकी पार्टी के व्यापारी, व्यापारी, नेता, सोसाइटी के बीच फर्म होल्ड मनी हैं।
जेल से रिलीज के बाद संजय सिंह ने अपने पहले ही ट्वीट उन्होंने दार्शनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, “ये जश्न का नहीं, जंग का समय है।” सभी देशभक्त कार्यकर्ता संघर्ष के लिए तैयार रहें। हमारे क्रांतिकारी साथी अरविंद केजरीवाल, मनीषी सिसोदिया और संत जैन जेल में हैं। जेल के शेयर तोड़ेंगे, हमारे दोस्त छूटेंगे।”
आम आदमी पार्टी के पूर्व सदस्य और वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष इसी का ज़िक्र करते हुए कहा गया है, ”जब तक संजय सिंह रिहा नहीं हुए थे, तब तक पार्टी के दिग्गज नेता अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और खुद संजय सिंह जेल में थे।” पार्टी एक तरह की सेललेस लैब्राडोर हो गई थी। संजय सिंह के आने से पहला फ़ायदा तो ये होगा कि पार्टी को एक जगह नेतृत्व मिलेगा।”
उनका कहना है कि संजय सिंह आम आदमी पार्टी के उन लोगों में से हैं जो राजनीतिक रूप से फ़ायदेमंद हैं। उनकी पार्टी के कैडर में, डेमोक्रेट्स, मेट्रिक्स, के बीच अच्छी पकड़ है। साथ ही उन्होंने पंजाब में भी बहुत अच्छा काम किया है तो दिल्ली और पंजाब दोनों ही जगह पर पार्टी यूनिट उनका बहुत सम्मान करती है। इस दावे से भी वह पार्टी को बहुत फ़ायदा दे सकते हैं।
वैसे द हिंदू की राजनीतिक संपादक निस्तुला हेब्बर यहां तक कि संजय सिंह की रिलीज का सबसे बड़ा फ़ायदा यह भी है कि एक्टर्स की रिलीज का सबसे बड़ा कारण यह है।
उनका कहना है कि अभी तक आम आदमी पार्टी की पूरी टॉप लीडरशिप जेल में रहकर पूरे मैदान में साफ दिख रही थी। अब कम से कम ये राहत मिली है कि कोई तो बाहर निकले।
उन्होंने कहा, ”सवाल ये आ रहा था कि जब सभी शीर्ष नेता जेल में हैं तो पार्टी कौन संभालेगा, पार्टी में लीडरशिप की दूसरी पंक्ति में कौन है?” इस बीच अनोख़िल फ्रांसिस्को भी मंच सहयोगी बने, तो एक कनफ़्यूज़न था लोगों में, पार्टी के समर्थकों में क्या होगा। संजय सिंह पार्टी के संस्थापकों में से एक हैं। अब ये बाहर आये तो ये भावना जगी कि कम से कम नहीं तो बड़े नेता के साथ है।”
उनका कहना है कि ये विनाशक हतोत्साहित करने वाला है कि जब आम चुनाव आ रहे हैं तब पार्टी के सभी शीर्ष नेता जेल में हैं। पार्टी के लोग चुनावी प्रचार में आक्रामकता की बजाय कानूनी जंग में उलझे हुए हैं। इसके लिए प्रदर्शन करना पड़ रहा है. “जब आप इतनी डिफ़ेंसिव पर हों तो आप अग्रेसिवली चुनाव कैसे लड़ सकते हैं।”
दिल्ली से लेकर पंजाब तक असर?
आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता जैस्मिन शाह बीबीसी का कहना है कि संजय सिंह मोदी सरकार के खिलाफ़ बहाली वाली साड़ियाँ सबसे ज़्यादा लोकप्रिय हैं। उन्हें अन्य कार्मिक जेल भेजा गया था. अब पार्टी पूरी तरह से साधारण चुनाव में अपनी साड़ी सीट के मिशन में शामिल हो गई है।
आम आदमी पार्टी पंजाब की सभी 13 पार्टियां अकेले और दिल्ली में कांग्रेस के साथ गठबंधन में सात से चार सीटों पर चुनावी लड़ाई जारी है।
पिछले लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने इन दोनों राज्यों में केवल एक सीट पर जीत दर्ज की थी।
लेकिन 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में पार्टी को 117 में से 92 वें पर बड़ी जीत मिली थी, जिसके बाद वह लोकसभा चुनाव में भी पार्टी के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है।
हालाँकि, वरिष्ठ पत्रकार पामेला जोशी के अनुसार,नोज़्म के चुनाव में अन्य प्रकार के फ़ैक्टर काम करते हैं। खास बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी की राय सबसे बड़ा फैक्टर है। दिल्ली के विधानसभा चुनावों के नतीजे अलग तरह के आते हैं और आम चुनावों के नतीजे अलग तरह के आते हैं।
वह कहते हैं, “मतदाता एक साइलेंट मैलोरिटी में जो ये तय नहीं कर सकता कि कई बार यहां या उधर जाएं, उनमें से कुछ प्रतिशत हो सकता है कि आम आदमी पार्टी की ओर झुक जाए।”
वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का दावा है कि संजय सिंह की पार्टी कोमो चुनाव में नफा देवी निश्चित तौर पर रिलीज हुई हैं।
उनके मुताबिक, पहले तो संजय सिंह बहुत अच्छे वक्ता हैं। फिर वह पॉलिटेक्लीफ शार्प हैं। उनके अरेस्ट से पार्टी कैडर का फीफ़ियल समर्थन बढ़ाया गया है। उनका जोड है कैडर और पार्टी के साथ वो बहुत ज़बरदस्त है। पार्टी को संगठित करने और दिशा निर्देश देने में, इलिनोइस इलिनोइस की प्रगति करने में वो अहम भूमिका निभा सकते हैं।
अब आगे क्या?
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संजय सिंह, भगवंत मान, अरविंद केजरीवाल, मनीषी सिसोदिया और गोपाल राय (बाएं से)
अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया और संजय सिंह की गिरफ़्तारी साल 2021-22 के बीच आई दिल्ली की आतिशबाज़ी में कथित तौर पर जुड़े कलाकारों की जोड़ी में हुई थी।
सबसे पहले इस केस में केस दर्ज किया गया था और फिर पीएचडी ने किया था। जांच के अनुसार अब ली जा चुकी दिल्ली की डॉक्यूमेंट्री नीति को लागू करने से समय-समय पर शेयरों की बिक्री होती रहती है और इससे शराब लाइसेंस धाकड़ों को अनुचित लाभ मिलता है।
वहीं साझीत जैन पर खुद से जुड़े एसोसिएट्स के सोसाइटी मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है।
राज्यसभा सांसद संजय सिंह की रिहाई के बाद ही बीजेपी ने कहा कि अब आम आदमी पार्टी ये दावा नहीं कर सकती कि उनके नेताओं की जांच से राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई हुई है।
तो क्या संजय सिंह की भर्ती की ओर से केंद्र सरकार की ओर से प्लांट लगाने वाले बदले की कार्रवाई को प्रभावित कर सकते हैं?
इसपर वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष कहते हैं, ”संजय सिंह कोई भी भारतीय जनता पार्टी के रहम-करम पर तो छूटे नहीं हैं। ये तो उनके समर्थक केश ही इतने कमजोर थे कि उन्हें निदेशालय का अधिकार नहीं मिला। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने जब ये कहा कि अगर हम बेल दे देंगे तो इसका असर पड़ सकता है. ये जो एक जानकारी में फैलाया जा रहा है कि मंत्रालय के निदेशक ने संजय सिंह की बेल का विरोध नहीं किया था, ये पूरा सच नहीं है।”
लेकिन अब आने वाले समय में संजय सिंह के आउट आने से क्या होगा?
इसपर आशुतोष कहते हैं, ”ये कहना बड़ी मुश्किल है क्योंकि मनीषी सिसोदिया तो संजय सिंह से पहले जेल गए थे।” मनीषी को अभी तक बेल नहीं मिली है। वो करीब 13 महीने से जेल में ही हैं। केस-केस पर प्रतिबंध है।”
निस्तुला हेब्बर का कहना है कि संजय सिंह की फिल्म ‘फिल्म का ज़िक्र’ रिलीज होने वाली है। ऐसे लोगों की चुनाव में अहम भूमिका होती है. उनकी रिलीज से कैडर को एक साइकोलॉजिकल बूस्ट मिला है, जो कि सड़क पर उतरने के लिए बहुत कुछ खोजता है।