लोकसभा चुनाव 2024: ‘हीट वेव’ से उम्मीदवारों और मतदाताओं को कितनी मुश्किल होने वाली है – BBC News हिंदी
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भारत में 19 अप्रैल से 18वीं लोकसभा का चुनाव शुरू होने वाले थे। सात चरणों में होने वाले आम चुनाव में एक जून को अंतिम चरण के लिए वोट डाल दिये जायेंगे।
अप्रैल और मई के बीच यह मतदान ऐसे समय में होने वाला है जब भारत में साल के सबसे गर्म दिनों की शुरुआत हो गई है।
अप्रैल की शुरुआत से ही भारत के कई राज्य भीषण गर्मी का सामना कर रहे हैं। यूरोप के कई देशों में लू की स्थिति बनी हुई है। कुछ ओरिएंटल में अप्रैल से महीने में ही तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया है।
देश भर में अप्रैल, मई और जून महीने में गर्मी का प्रकोप रहता है। खासकर उत्तर, पश्चिम और दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में हर साल लू का प्रकोप दिखता है।
अप्रैल के अंत और मई में कई तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाते हैं।
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एक्सपर्ट ने पहले ही दी चेतावनी, कहा- इस साल दुनिया भर में अब तक सबसे ज्यादा गर्मी होने वाली है. ऐसे में इस दौरान नतीजे देश में लोकसभा चुनाव होंगे और जून के पहले सप्ताह में आएंगे।
ऐसे में खतरनाक आपदा जा रही है कि भारत में होने वाले लोकसभा चुनाव में लू और भीषण गर्मी से कोई चुनौती कम नहीं होगी।
भारत के मौसम विज्ञान विभाग ने इस अवधि के दौरान औसत से अधिक लू वाले दिनों की भविष्यवाणी की है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि 2024 से लेकर अप्रैल तक भीषण गर्मी पड़ेगी।
मौसम विभाग के अनुसार, अप्रैल से जून के दौरान भारत में तापमान का आंकड़ा अधिक रहेगा और देश के कई सिद्धांतों में लू की स्थिति बनी रहेगी.
ऐसी स्थिति विशेष दौरे पर दक्षिण, मध्य और पूर्वी भारत और उत्तर पश्चिम के मैदानी क्षेत्र में देखने को मिलेगी।
इस बार का पूर्वाभास क्या है?
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मौसम उत्तरी विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक मृत्युंजय महापात्र के, “इस गर्मी में गुजरात के सौराष्ट्र-कच्छ, महाराष्ट्र के अनुसार कुछ सिद्धांत, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में दिन के समय काफी गर्मी होगी। साथ ही कुछ देशों को हिट वेव का भी सामना करना पड़ा” करना”
आमतौर पर गर्मी के तीन महीनों के दौरान औसतन चार से पांच दिन तक की गर्मी की स्थिति बनती है, लेकिन इस साल अलग-अलग इलाकों में 10 से 20 दिन तक की गर्मी की लहर की खतरा मंडरा रहा है।
जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरी ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भी अधिक गर्मी के खतरे की संभावना बनी हुई है।
वर्ष 2023 के बाद 2024 की गर्मियों में भी प्रशांत महासागर में अल नीनो की स्थिति बनी हुई है। आमतौर पर, जब प्रशांत महासागर में अल नीनो की स्थिति होती है, तो दुनिया भर में तापमान में वृद्धि होती है।
हालाँकि, यह पहली बार है कि 2023 का हर महीने औसत से अधिक गर्म हो रहा है।
महापात्र के अनुसार, “अल नीनो जून 2023 में शुरू हुआ और दिसंबर में इसका प्रभाव कम हो गया। लेकिन इसके कारण वैश्विक तापमान वृद्धि में वृद्धि हुई अकेले अल नीनो का कारण है, ऐसा नहीं कहा जा सकता है, लेकिन अल नीनो से वर्ष लू-लहरों की संख्या और दर्द बढ़ गया है।”
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अल नीनो जलवायु परिवर्तन का एक हिस्सा और भारत से हज़ारों किमी दूर प्रशांत महासागर में मूल उत्पत्ति है। इनका दुनिया भर के मौसम पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
बीबीसी गुजराती से बातचीत भारतीय मौसम विभाग के वैज्ञानिक डॉ. सोम सेन रॉय कहते हैं, “सामान्य से अधिक तापमान अब कोई नई बात नहीं है। न्यूनतम और अधिकतम तापमान में गिरावट हो रही है जो चिंता का विषय है। इस साल हिट वेव की संख्या मानक और हिट वेव की अवधि भी लंबी होगी।” सबसे खास बात यह है कि दिन के साथ-साथ रात में भी तापमान में बढ़ोतरी हो रही है।
लोकसभा चुनाव के पहले दो चरण 19 और 26 अप्रैल को होंगे, जिसमें कुल 191 मतदान होंगे। इसके बाद 7, 13, 20 और 25 मई को चार स्टेज का मतदान होगा। यूथ स्टेज का मतदान एक जून को होगा। 296 खण्डों की बात करें तो 296 खण्डों पर मई में चुनाव होगा।
57 एनीमेशन एक जून को चुनाव होगा। चुनाव वैसे ही एक तारीख को हो सकता है लेकिन रैलियां, सार्वजनिक बैठकें, कार्यक्रम और चुनावी एसोसिएट्स सभी विधानसभाओं में शामिल हों।
इस प्रकार 353 न्यूनतम पर चुनाव ऐसे समय में होगा जब देश के कई भागों में अपने-अपने पैमाने पर न्यूनतम तापमान के दौर से गुजर रहे होंगे।
विभिन्न लोगों की खण्डनियाँ
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महत्वपूर्ण बात यह है कि मई में जिन राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, वे राजनीतिक रूप से और चुनावी नतीजों से बहुत महत्वपूर्ण हैं।
उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर, ओडिशा और झारखंड के अधिकांश हिस्सों में मई में चुनाव होंगे।
मई में गुजरात सहित आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, गोवा, दिल्ली और हरियाणा में एक ही चरण में चुनाव होगा।
इन राज्यों में मई और जून के महीने में अत्यधिक गर्मी होती है। कुछ क्षेत्र में मई में तापमान औसत 41 से 42 डिग्री रहता है. जबकि कभी-कभी तापमान 45 से 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है।
गुजरात के गांधीनगर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ के पूर्व निदेशक दिलीप मावलंकर कहते हैं, ”इस महीने में गर्मी सबसे ज्यादा होती है और इसलिए स्वाभाविक है कि इसका प्रभाव चुनाव प्रक्रिया पर भी पड़ता है. सभाओं और रैलियों में पहले से ही कर्मचारी शामिल नहीं होते ऐसे में सभी पार्टियों के लिए ज्यादातर रैलियां, रोड-शो और सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किए जाने की संभावना है।’
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यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इस साल अप्रैल में गुजरात समेत कई राज्यों में भीषण गर्मी पड़ रही है। बेंगलुरु शहर का तापमान 37.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो तीन साल में सबसे ज्यादा है। हैदराबाद में मार्च माह में तापमान 41 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, अप्रैल से जून तक दक्षिण भारत में ‘गंभीर हीट वेव’ की धूम मची हुई है।
साल 2023 में केंद्र सरकार ने एक सवाल के जवाब में बताया कि जून, 2023 तक हीट वेव के कारण 14 राज्यों में 264 लोगों की मौत हो गई थी।
साल 2023 में पूरे उत्तर भारत में मार्च महीने से हीट वेव शुरू हो गया था। उत्तर प्रदेश, बिहार और दिल्ली में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई। पूरे वर्ष में ऐसे 49 दिन थे जब लोगों को भीषण गर्मी और लहरों का सामना करना पड़ा।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, वर्ष 2003 से 2022 की अवधि में लू और अत्यधिक गर्मी के कारण 9675 लोगों की मृत्यु हुई। पिछले प्राचीन अभिलेखों से पता चलता है कि हर साल वृद्धि बढ़ रही है।
हाल ही में केंद्रीय मंत्री रोबॉट बाएर के चुनाव प्रचार रथ का एक वीडियो वायरल हुआ था। वीडियो में प्रमोशन के दौरान रथ में लगे स्प्रिंकलर से पानी का दृश्य देखा जा सकता है।
भीषण गर्मी का चुनावी असर
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लोकसभा चुनाव में भीषण गर्मी और लू के बीच होगा, जो निश्चित रूप से राजनीतिक व्यवस्था, नेताओं, प्रशासन और यहां तक कि चुनाव आयोग की भी जांच करता है।
लोगों को सार्वजनिक सभाओं, जेलों और मतदान केंद्रों तक विशेष व्यवस्था हेतु लाया जाएगा।
दिलीप मावलंकर कहते हैं, “स्वाभाविक रूप से, इस अवधि के दौरान लोगों का मतदान कम होने की संभावना है, जिससे केवल राजनीतिक कार्यक्रम बल्कि मतदान भी प्रभावित होगा। चुनाव आयोग और राजनीतिक मंच पर लोगों के बूथ तक पहुंचने में कड़ी मेहनत करनी होगी।” ।”
उन्होंने यह भी बताया कि आम तौर पर मतदान के दौरान दर्शकों के सामने फिल्में नहीं देखी जाएंगी। दो महीने में बनी रहेगी इसलिए चुनाव आयोग को भी इसके लिए तैयारी करनी होगी।
सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ देवलपिघ सोसाइटी (सीएसडीएस) के निदेशक प्रोफेसर संजय कुमार के मुताबिक, मुख्य रूप से सुबह और शाम को मतदान प्रतिशत अधिक रहेगा और दिन के दौरान प्रतिशत कम रहेगा।
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संजय कहते हैं, ”2014 और 2019 के आम चुनाव भी समर में हुए थे और मतदान प्रतिशत अच्छा था। लोकसभा चुनाव होने के कारण राजनीतिक दल, पोलिंग एजेंट और कलाकार भी गर्मी और समुदाय के साथ सक्रिय रहे। रैलियों के लिए राजनीतिक दल और सार्वजनिक सभा की व्यवस्था क्रियान्वित होगी, जिसमें शेड, पीने का पानी और अन्य चीजें शामिल होंगी।”
विशेषज्ञों का कहना है कि लू और भीषण गर्मी के दौरान राजनीतिक, सार्वजनिक बैठकों और रैलियों में भाग लेने से स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है।
चुनाव आयोग का भी अनुमान है कि आम चुनाव के दौरान गर्मी और लू का सामना करना पड़ेगा। इसलिए आयोग भारतीय मौसम विभाग और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के साथ मिलकर काम कर रहा है।
सात चरण की वोटिंग की घोषणा के साथ ही चुनाव आयोग ने एक एड वोटिंग भी जारी की है।
एड डिक्री में प्रत्येक राज्य के चुनाव अधिकारी से हीट वेव को देखने की व्यवस्था करने को कहा गया है। एड डॉक्युमेंट्री के अनुसार, सभी वोटिंग पर न्यूनतम दस्तावेज़ों की आवश्यकताएं।
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डॉ. सोम सेन रॉय कहते हैं, “चुनाव आयोग मौसम विभाग और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ मिलकर काम कर रहा है क्योंकि मई में चार चरणों में मतदान प्रक्रिया चल रही है। कोशिश की जा रही है कि अधिक से अधिक लोग मतदान प्रक्रिया में भाग ले सकें।” इसके लिए अलग-अलग पार्ट पर काम किया जा रहा है।”
जब किसी क्षेत्र में तापमान स्थानीय मौसम विभाग द्वारा निर्धारित तापमान से ऊपर चला जाता है और कुछ दिन तक बना रहता है तो इसे ‘हिट वेव इवेंट’ कहा जाता है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के सिद्धांत के अनुसार, लू का औसत तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर और शीत लहर का औसत तापमान 10 डिग्री से नीचे रहना चाहिए।
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हीट वेव या लू मनुष्य सहित कई जीवित प्राणी प्रभावित होते हैं। गर्मी की लहर से निर्जलीकरण (डीहाइड्रेशन), थकान, कमजोरी, चक्कर आना, सिरदर्द, उल्टी, पेट में दर्द, मोटापा, अतिताप या हीट स्ट्रोक हो सकता है।
जिन लोगों को दिल से जुड़ी बीमारियाँ होती हैं, उन्हें भी असाध्य गर्मी के कारण स्ट्रोक या दिल का दौरा पड़ने का खतरा होता है।
दिलीप मावलंकर कहते हैं, “अगर लोग किसी सम्मेलन या सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होना चाहते हैं तो उन्हें सावधान रहना होगा। लंबे समय तक गर्मी के संपर्क में रहने से निर्जलीकरण और अन्य कठिनाइयाँ भी हो सकती हैं। वृद्ध और बीमार लोगों को अधिक कठिनाई होगी।”