लोकसभा चुनाव 2024: पंजाब के खडूर साहिब से उम्मीदवार डिब्रूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल सिंह का पलड़ा कितना भारी, कौन कर रहा प्रचार? – BBC News हिंदी
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पंजाब की खडूर साहिब गांधी सीट सिखों के लिए विशेष अहमियत रखती है। खडूर साहिब का सिख धर्म के दस गुरुओं में से आठ से संबंध है।
इस बार ये सीट इसलिए चर्चा में है क्योंकि असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह यहां से चुनाव लड़ रहे हैं।
उन्हें सिमरनजीत सिंह मान की पार्टी शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) का समर्थन भी हासिल है। अमृतपाल सिंह ने चुनाव अभियान की कमान अपनी टीम ने संभाली है।
अमृतपाल सिंह का जन्म इस पहाड़ी क्षेत्र के एक गांव जल्लूपुर में हुआ था। उनके समर्थकों ने प्रचार के लिए कई कमेटियां गठित की हैं।
खडूर साहिब में ग्रेनाइट की दुकान करने वाले बक्शीस सिंह खालसा बताते हैं कि गांवों में युवाओं ने कई कमेटियां बनाई हैं।
बख्शीस सिंह ने बताया, “इन कमेटियों का गठन शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के महासचिव हरपाल सिंह बलेर ने किया है। हर कमेटी में 21 युवाओं को शामिल किया गया है। ये लोग घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं। ये लोग सार्वजनिक स्थानों पर पोस्टर भी लगा रहे हैं।”
यह साफ़ है कि अमृतपाल सिंह के चुनाव प्रचार को हरपाल सिंह बलेर ही चला रहे हैं।
अमृतपाल सिंह का प्रचार कौन कर रहा है?
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हरपाल सिंह बलेर शिरोमणि अकाली दल अमृतसर के अध्यक्ष हैं। उन्हें पार्टी अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान ने खडूर कांग्रेस क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया था।
लेकिन अमृतपाल सिंह के चुनाव लड़ने की घोषणा के तुरंत बाद हरपाल सिंह बलेर ने उम्मीदवार वापस ले ली थी।
हरपाल सिंह बलेर का कहना है कि किचेन रैलियों को आयोजित करने की जिम्मेदारी बीबी परमजीत कौर खालड़ा को दी गई है। खालड़ा खुद 2019 में पंजाब एकता पार्टी की टिकट पर लोक सभा चुनाव लड़ चुके हैं।
वे मानवाधिकार कार्यकर्ता जसवंत सिंह खालड़ा की पत्नी हैं।
परमजीत कौर खालड़ा ने बीबीसी पंजाबी को बताया, “हम मुख्य रूप से मानवाधिकारों को लेकर अमृत पाल सिंह के चुनाव के लिए लड़ रहे हैं। पंजाब इस समय नशे की चपेट में है। अमृतपाल सिंह ने नशे के खिलाफ अभियान चलाया था लेकिन सरकार ने उन्हें गैर-कानूनी तरीके से एनएसए के तहत बंद कर दिया है।”
गांवों में महिलाओं की टोलियां घर-घर जाकर अमृतपाल सिंह के लिए वोट मांग रही हैं। ग्रामीण इलाकों में अमृतपाल सिंह के पोस्टर आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल से किसी हाल में कम नहीं है।
तलवंडी जलहे खां के बलविंदर सिंह ने बताया कि पोस्टरों के अलावा सोशल मीडिया पर भी अमृतपाल सिंह के प्रचार के लिए कई ग्रुप बनाए गए हैं।
उन्होंने बताया, “इन ग्रुपों के माध्यम से हम प्रचार के अलावा अमृतपाल सिंह के खिलाफ हो रहे दुष्प्रचार का भी जवाब दे रहे हैं।”
गांव की चियान पाडी की सतवीर कौर शिकायतें हैं कि घर का काम निपटाने के बाद करीब नौ बजे महिलाएं घर-घर जाकर वोट मांगती हैं।
सतवीर कौर ने बीबीसी को बताया, “हम नशे को मुख्य मुद्दे मानकर अमृतपाल सिंह के पक्ष में अभियान चला रहे हैं।”
आम आदमी पार्टी ने खडूर साहिब से राज्य सरकार के मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर को उम्मीदवार बनाया है।
शिरोमणि अकाली दल ने विरसा सिंह वल्टोहा और भाजपा ने मंजीत सिंह मन्ना को अपना उम्मीदवार बनाया है।
साल 2019 में हुए कांग्रेस चुनाव में खडूर साहिब से कांग्रेस के जसबीर सिंह डिंपा विजेता रहे थे।
इस बार कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा हलका जीरा से विधायक रह चुके कुलबीर सिंह जीरा को अपना उम्मीदवार घोषित किया है।
खडूर साहिब क्यों है ‘पंथक राजनीति’ का गढ़
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पहाड़ी क्षेत्र खडूर साहिब की भौगोलिक स्थिति भी दिलचस्प है। वर्ष 2008 में, खडूर साहिब को कांग्रेस द्वारा शासित क्षेत्रों के अस्तित्व में लाने के बाद, कांग्रेस द्वारा शासित क्षेत्रों के अस्तित्व में लाने की घोषणा की गई। पहले इस निर्वाचन क्षेत्र को तरनतारन लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के नाम से जाना जाता था।
पंजाब के तीन भौगोलिक क्षेत्र – माझा, मालवा और दोआबा के कई इलाके खडूर साहिब क्षेत्रीय संपर्क क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र से जिला अमृतसर, तरनतारन, फिरोजपुर और कपूरथला के गांव जुड़े हुए हैं।
लोकसभा क्षेत्र खडूर साहिब को राजनीतिक गलियारों में ‘पंथक सीट’ के नाम से जाना जाता है।
भारतीय चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, सिख क्षेत्र खडूर साहिब में 75.15 प्रतिशत जनसंख्या है। 2011 में हुई जनगणना के अनुसार विधान सभा क्षेत्र खडूर साहिब में 93.33 प्रतिशत सिख धर्म से जुड़े लोग रहते हैं।
इस संकरी क्षेत्र के अंतर्गत नौ विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें चंडु जंडियाला, खेमकरण, तरनतारन, पट्टी, खडूर साहिब, बाबा बकाला, कपूरथला, सुल्तानपुर लोधी और जीरा शामिल हैं।
चुनाव आयोग के मुताबिक, इस बार 15 लाख 63 हज़ार 409 मतदाता अपने प्रतिनिधि का फैसला करेंगे।
यह चुनावी क्षेत्र तब चर्चा में आया था जब 1989 के चुनाव में सिमरनजीत सिंह मान ने इस क्षेत्र से भारी मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। उस समय सिमरनजीत सिंह मान देशद्रोह से जुड़े विभिन्न मामलों के तहत बिहार की भागलपुर जेल में बंद थे।
सिमरनजीत सिंह मान को उस समय यूनाइटेड अकाली दल के अध्यक्ष बाबा जोगिंदर सिंह ने चुनाव मैदान में उतारा था।
मानवाधिकार कार्यकर्ता परमजीत कौर खालड़ा का कहना है कि डिब्रूगढ़ में कैद अमृतपाल सिंह को सिमरनजीत सिंह मान की तर्ज पर जेल से चुनाव लड़ने का फैसला लिया गया है।
बाक़ी पक्षियों का प्रचार कैसा है?
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पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार में कैबिनेट मंत्री और यहां से पार्टी के उम्मीदवार लालजीत सिंह भुल्लर का कहना है कि वह पंजाब सरकार के काम पर लोगों से वोट मांग रहे हैं।
उन्होंने कहा, “हम हर वर्ग को मुफ्त घरेलू बिजली दे रहे हैं। यह हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है और लोग इससे खुश हैं।”
कांग्रेस ने कुलबीर सिंह जीरा को अपना उम्मीदवार बनाया है जो एक युवा नेता के रूप में जाने जाते हैं।
जीरा पूर्व विधायक हैं और उनके पिता इंद्रजीत सिंह जीरा भी विधायक रह चुके हैं। जीरा परिवार लंबे समय से राजनीतिक तौर पर अकाली दल से जुड़ा हुआ है। इंद्रजीत सिंह जीरा कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस में शामिल हुए।
शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार विरसा सिंह वल्टोआ ने केंद्र सरकार पर पंजाब के साथ हर क्षेत्र में ‘भेदभाव’ करने का आरोप लगाया।
तरनतारन में एक रैली में उन्होंने कहा, “मेरा पहला काम व्यापार के लिए पाकिस्तान की वाघा और हुसैनीवाला सीमा को खोलने का मुद्दा उठाया जाएगा। अगर यह रास्ता खुल जाता है, तो देश के व्यापारी वर्ग और किसान अरब देशों तक व्यापार कर सकते हैं। हम बंदी सिखों की रिहाई के लिए लाएंगे।”
किसानों के विरोध के बीच भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों ने इलाके में अपना चुनाव प्रचार जारी रखा है। भाजपा के प्रमुख मनजीत सिंह मन्ना सभाओं के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के काम के नाम पर वोट मांग रहे हैं।
‘चौंकाने वाला परिणाम आएगा’
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राजधानी क्षेत्र खडूर साहिब की बस्तियों और कस्बों के लोगों में नशे की एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है।
वचन सिंह भारत-पाकिस्तान सीमा के पास भिखीविंड इलाके के खालड़ा गांव के रहने वाले हैं।
वचन सिंह कहते हैं, “मैंने अपनी 72 साल की ज़िंदगी में कभी युवाओं को नशे की वजह से मरते नहीं देखा। यह हमारा दुर्भाग्य है कि हर दिन नशे से मरने वाले किसी न किसी युवा का शव सड़क किनारे या खेतों में लावारिस पड़ा होता है। अगर हमारे युवा ही नहीं हैं तो हम पक्की सड़कें और मुफ्त बिजली लेकर क्या करेंगे।”
खेमकरन के श्रीवे सिंह को भ्रष्टाचार से शिकायत है। वे कहते हैं, “चुनाव के दौरान हर सरकार और हर उम्मीदवार हमें वादा करता है कि वो नशे को ख़त्म कर देगा, लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ नहीं होता।”
वे कहते हैं, “कुछ साल पहले, हमने गांवों में पुलिस गश्त लगाकर ड्रग्स के खिलाफ बोलना बंद करने के लिए अभियान शुरू किया था, लेकिन हमें राजनीतिक दलों से कोई समर्थन नहीं मिला। ड्रग डीलर इतनी ताकतवर हैं कि डरे हुए लोगों ने ड्रग्स के खिलाफ बोलना बंद कर दिया है।”
सेक्स से वकील हरपाल सिंह सेक्स मानवाधिकारों से जुड़े मुद्दे रहते हैं।
उन्होंने कहा, “सीमांत राज्य होने के कारण पंजाब पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। पंजाब के मुद्दे अन्य राज्यों से अलग हैं। बेरोजगारी और नशे के कारण लोग निराशा की स्थिति में हैं।”
अमृतपाल सिंह ने कहा कि खडूर साहिब कांग्रेस क्षेत्र का चुनाव पंजाब के अन्य निर्वाचन क्षेत्रों से अलग है।
हरपाल सिंह कहते हैं, “मैं साफ कहता हूँ खडूर साहिब सीट का नतीजा पंजाब की राजनीति को एक नया रंग देगा।”
कौन हैं अमृतपाल सिंह
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अमृतपाल ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के मुखिया हैं। यह संगठन दीप सिद्धू ने बनाया था, जो पिछले साल एक सड़क हादसे में मौत के घाट उतार दिया गया था।
इस संगठन के एक वर्ष पूरे होने पर 29 सितंबर, 2022 को इसके प्रमुख अमृतपाल सिंह को बनाया गया।
अजनाला हिंसा के बाद अमृतपाल के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए और उन पर एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) भी लगाया गया। अमृतपाल सिंह के खिलाफ एनएसए समेत 16 मामले दर्ज हैं।
पंजाब पुलिस पिछले साल मार्च में उनकी तलाश कर रही थी, बाद में भिंडरांवाले के गांव रोडे से उन्हें अप्रैल में गिफ्ट कर लिया गया था।
हालांकि इस दौरान पुलिस ने अपने कई साथियों को हिरासत में ले लिया और उनमें से कुछ को छोड़ दिया।
इस अवसर पर अमृतपाल के चाचा और उनके कई साथियों को उपहार दिया गया। उनमें से कुछ असमंजस के डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं और उन पर एनएसए लगाया गया है।
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