BusinessFoodsGamesTravelएंटरटेनमेंटदुनियापॉलिटिक्सवाराणसी तक

योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की नई लहर – New wave of cultural nationalism in Uttar Pradesh under leadership of Yogi Adityanath

प्रदेश में सनातन धर्म सहित सभी पंथों और सम्प्रदायों के पर्व में समान रूप से शांति इकोनाला लागू हो रहे हैं।

द्वारा नवोदित शक्तावत

प्रकाशित तिथि: सोम, 22 अगस्त 2022 06:02 अपराह्न (IST)

अद्यतन दिनांक: सोम, 22 अगस्त 2022 06:04 अपराह्न (IST)

योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की नई लहर

मृत्युंजय लेखक

जब से प्रदेश में योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी है तब से प्रदेश में एक ओर जहां हिंदुत्व और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का रंग बिरंगा होता जा रहा है वहीं दूसरी ओर माफियाओं और माफियाओं के खिलाफ जीरो टैलरेंस की नीति पर भी तेज गति से काम हो रहा है। चल रहा है इसी कारण से कि भाजपा समर्थक ही नहीं रुके, संपूर्ण हिंदू जनमानस का विश्वास मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रति बढ़ रहा है। योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में प्रदेश में बदलाव की बयार दिखाई दे रही है।

प्रदेश में सनातन धर्म सहित सभी पंथों और सम्प्रदायों के पर्व में समान रूप से शांति इकोनाला लागू हो रहे हैं। सावन की पवित्र धार्मिक यात्रा से लेकर रक्षा बंधन, स्वाधीनता का अमृत महोत्सव और कृष्ण जन्मोत्सव तक के सभी पर्व त्योहारों और उत्साह के साथ जुड़े हुए शेयरधारकों ने एक-दो स्थानों पर प्रदेश का पर्यावरण की ओर लौटने का प्रयास किया कोई बड़ी अनहोनी नहीं हो पाई।

आज प्रदेश का एक भी ऐसा धार्मिक स्थल नहीं बचा है जहां विकास कार्य न हो रहे हों या भक्तों की भीड़ न पहुंच रही हो। सावन के पवित्र महाराष्ट्र प्रदेश के सभी संबंधित शिवालयों में स्थित पुरातात्विकों की विशाल भीड़। काशी विश्वनाथ धाम में एक महीने में एक करोड़ से ज्यादा भक्तों ने भगवान शिव पर गंगाजल चढ़ाया और प्राप्त आंकड़ों के आधार पर इस बार भोले के भक्तों ने पांच करोड़ से ज्यादा का चढ़ाया।

काशी के इस काया पलट का सारा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी जी की शिवभक्ति को ही मिलना चाहिए। आज हर हिन्दू एक बार काशी दर्शन करना चाहता है। आज वहां भक्तों के दर्शन के लिए तीन से छह घंटे का समय लग रहा है। वापस आने वाले भक्त विश्वनाथ धाम की शास्त्रीय संपत्ति का भी बखान कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के आदेश पर एक बार फिर हेलीकाप्टर से पुष्पवर्षा की कावंड़ियों पर चढ़ाया गया, जिन्होंने तीर्थयात्रियों को हर्षित किया और पारंपरिक रूपरेखा के लिए प्रेरित किया। यह भी महत्वपूर्ण है कि प्रदेश के अन्य सभी प्रतिष्ठित शिवालयों का भी पुनरुद्धार एवं विकास किया जा रहा है।

इसी प्रकार प्रदेश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। मथुरा से लेकर लखनऊ तक पूरा प्रदेश कृष्णभक्ति में डूबा रहा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मथुरा, बलिया और लखनऊ में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया। मुख्यमंत्री ने मथुरा में श्रीकृष्ण के अवसर पर अन्नपूर्णा भोजनालय का शुभारम्भ किया जो यहां आने वाले शिष्यों को आकर्षित करेगा।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने संदेश दिया कि भगवान श्रीकृष्ण के संदेश के अनुसार हम भी जो कुछ करते हैं वह है – परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम। हमारे समुदाय का आधार साधुओं की रक्षा और दुष्टों का संहार है। मुख्यमंत्री ने यहां संतो का आशीर्वाद भी लिया और कहा कि वह ब्रज के विकास के लिए संकल्प लेते हैं। निश्चित रूप से अयोध्या के श्री राम मंदिर, काशी के विश्वनाथ धाम के मंदिर, बृज क्षेत्र का भी स्वरूप ही सांस्कृतिक सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की लहर को आगे बढ़ाएगा।

आगामी 23 अप्रैल को अयोध्या में बहुत ही धूमधाम से दीपोत्सव मनाया जाएगा। इस बार अयोध्या में 14.50 लाख दीप जलाए जाएंगे, नया विश्व कीर्तिमान बनाया जाएगा। इसके लिए 18 हजार कार्यकर्ता रखे गए। राम की पैड़ी के 32 घाटों सहित लक्ष्मण घाट और चौधरी चरण सिंह घाट पर भी दीपक जलाये जायेंगे। सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी जारी किया जा रहा है। अयोध्या का दीपोत्सव सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का ही विस्तार है।

अयोध्या, मथुरा काशी ही अमृत काल में सभी सांस्कृतिक धार्मिक केंद्रों का विकास प्रगति पर नहीं है। चित्रकूट धाम, मां विंध्यवासिनी, तीर्थराज तीर्थस्थल, नैमिषारण्य, मां शाकंभरी मंदिर ऐसे अन्य तीर्थ क्षेत्र जो विकास की दृष्टि से उपेक्षित पड़े थे आज जगमगा रहे हैं। इससे न केवल सनातन जागृति हो रही है वरन् स्थानीय स्तर पर युवाओं को रोजगार भी मिल रहा है। इसी प्रकार प्रदेश में स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के तहत हर घर झंडा अभियान के तहत भी पूरे उल्लास के साथ मनाया गया और गली में राष्ट्रवाद का सम्मान देखा गया।

सच तो यह है कि हर घर के जनरल जन को पहली बार यह अपना राष्ट्रीय उत्सव आयोजित करना पड़ा, अन्यथा पिछले अगस्त में एक सरकारी कार्यक्रम हुआ था। लगभग हर पड़ोस और हर गाँव में तिरंगे यात्राएँ, हर क्षेत्र को स्वतंत्रता सेनानियों की चर्चा, हर घर में तिरंगे झंडे, पहली बार बाज़ार में लोग तिरंगे तीरों में निकले, बच्चों के लिए नए कपडे ख़रीदे।

संभवतः 15 अगस्त 1947 ऐसा ही होगा। जब मुख्यमंत्री जी ने बलिया क्रांति की चर्चा की तो बहुत से लोगों को आश्चर्य हुआ कि उन्होंने कभी इसके विषय में सुना ही नहीं था। इतना ही नहीं विभाजित विभीषिका स्मृति दिवस ने भी जन सामान्य को अपने राष्ट्र के प्रति कर्तव्य का बोध कराया। कुल मिलाकर दो महीने में प्रदेश में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की लहरें जागने वाले हैं जो धीरे-धीरे और तेजी से होंगी।

  • लेखक के बारे में

    वर्तमान में नईदुनिया डॉट कॉम में शेयरधारक हैं। पत्रकारिता में अलग-अलग नामांकन में 21 साल का दीर्घ अनुभव। वर्ष 2002 से प्रिंट और डिजिटल में कई बड़े दिन सिद्धांत


Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button