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मुस्लिम समुदाय का भरोसा जीतने में सफल हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत – RSS chief Mohan Bhagwat succeeded in winning trust of Muslim community

निश्चित रूप से संघ प्रमुख अपने विचारों से मुस्लिम समुदाय के विश्वासपात्रों में सफल हो रहे हैं। पिछले माह नई दिल्ली में मोहन भागवत से मुस्लिम बुद्धिजीवियों के एक सिद्धांत की सच्चाई को भी इसी धारणा का परिचायक कहना गलत नहीं होगा।

द्वारा नवोदित शक्तावत

प्रकाशित तिथि: शनिवार, 24 सितंबर 2022 05:41 अपराह्न (IST)

अद्यतन दिनांक: शनिवार, 24 सितंबर 2022 05:44 अपराह्न (IST)

मुस्लिम समुदाय के वफादारों में सफल संघ के प्रमुख मोहन भागवत शामिल हैं

कृष्णमोहन झा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने देश की प्रगति के लिए हमेशा अपने भाषणों में साम्प्रदायिक आश्रमों और सामुहिक संघों की सबसे पहली आवश्यकता बताई है। विवेचक का कहना है कि पिछले दिनों उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर दो टूक दस्तावेजों में कहा था कि हर मस्जिद में मौजूद वैधानिक विश्वास का हमें परीक्षण करना चाहिए। भागवत ने मंदिर मस्जिद मस्जिद को मित्रतापूर्ण बातचीत से संगीत पर जोर दिया था। संघ प्रमुखों ने धर्म संसद में साधु-संतों द्वारा दिए गए आतंकवादियों के खिलाफ़ की गई रिहाई की मांग की। संघ प्रमुखों ने अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यहां तक ​​कहा था कि संघ अब किसी भी आंदोलन का हिस्सा नहीं बनेगा।

इसमें दो राय नहीं हो सकती कि देश में भाईचारे और सांप्रदायिक सौहार्द का निर्माण करने में सरसंघ चालक मोहन भागवत के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह हुई है। इस दिशा में समय समय पर मोहन भागवत ने जो विचार बोले हैं उनके मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने जिस तरह ताहे दिल से स्वागत किया है उनका यही संदेश है कि मोहन भागवत हमेशा अपने भाषणों में जिस तरह के विचारधाराओं की चर्चा करते हैं वह सर्वसाधारण के साथ लेकर चलते हैं में विश्वास करता है. निश्चित रूप से संघ प्रमुख अपने विचारों से मुस्लिम समुदाय के विश्वासपात्रों में सफल हो रहे हैं। पिछले माह नई दिल्ली में मोहन भागवत से मुस्लिम बुद्धिजीवियों के एक सिद्धांत की सच्चाई को भी इसी धारणा का परिचायक कहना गलत नहीं होगा।

यहां यह भी विशेष उल्लेख है कि इस बैठक में मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ हुई बातचीत से पहले भी संघ प्रमुखों की मुस्लिम नेताओं से बातचीत हुई थी। सबसे पहले आपको किस तरह की जानकारी चाहिए। पिछले माह नई दिल्ली में संघ प्रमुखों के संबंध में मुस्लिम बुद्धिजीवियों के प्रतिनिधि मंडल ने जो संतोष से बात की थी, उन्होंने यह संदेश भी दिया था कि मुस्लिम बुद्धिजीवियों के प्रतिनिधि मंडल में संघ प्रमुखों के संबंध में मुस्लिम बुद्धिजीवियों के संबंध में विशेष महत्व है। यह निश्चित रूप से हर्ष का विषय है कि मुस्लिम बुद्धिजीवियों और संघ प्रमुखों के बीच विचार-विमर्श के लिए यह विचारधारा आगे भी रहती है।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि सकारात्मक महासागर में हुए सार्थक संवाद से उपयुक्त परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। इसी भावना से प्रेरित होकर देश के प्रमुख मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने गत माह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत को एक पत्र लिखकर उनसे मुलाकात के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया था। मोहन भागवत के साथ बातचीत के लिए इस्लामिक स्टेट के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई बोल्ट, दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, क्रिक्रेटर मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त जमीरुद्दीन शाह, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई सईदवी और समाज सेवी सईदवी शेरवानी शामिल थे। बैठक में भाजपा के पूर्व महासचिव रामलाल की उपस्थिति का भी उल्लेख किया गया।

हाल ही में अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख डा. उमर अहमद इलियासी से भी मुस्लिम बुद्धिजीवियों के संघ प्रमुखों ने मुलाकात की। यह मुलाकात नई दिल्ली के कस्तूरबा गांधी मार्ग स्थित मस्जिद में हुई जिसमें संघ प्रमुख के साथ संघ के वरिष्ठ कृष्ण गोपाल, इंद्रेश कुमार और रामलाल भी मौजूद थे। लगभग एक घंटा चला इस बैठक में भागवत के शोक विचारों से उमर इलियासी द्वारा उनके राष्ट्र ऋषि और राष्ट्र पिता की प्रशंसा भागवत के प्रति देश के मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच स्नेह और आदर भाव को चित्रित किया गया है।

इसमें दो राय नहीं हो सकती कि संघ प्रमुख मोहन भागवत अपने संप्रदाय और विशालहृदयता से देश के मुस्लिम समुदाय के भरोसेमंदों में सफल हुए हैं। उमर इलियासी और भागवत के बीच सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार की उपस्थिति महत्वपूर्ण मानी जा रही है। भागवत से बातचीत के बाद उमर अहमद इलियासी के भाई सुहैब इलियासी ने कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हम लोगों को अपने दिवंगत पिता की याद में आमंत्रित किया था।

उन्होंने यहां आकर हमारे बीच जो गहन चर्चा की है, उससे देश में अच्छा संदेश गया है। हमारे बीच इस बात पर पूर्ण सहमति थी कि देश की प्रगति के लिए सांप्रदायिक आंदोलन जरूरी है। अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख सुनील अंबेकर ने मुस्लिम लीग के प्रतिनिधि और अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुखों से संवाद की सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा बताया है कि संघ प्रमुख देश के हर वर्ग के लोगों से जुड़े हुए हैं।

देश में सामुहिक समुदाय और सामुहिक समूहों के मोहरे को और विखंडन की पेशकश करने की परंपरा से मुस्लिम बुद्धिजीवियों और अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख संघ प्रमुख मोहन भागवत से पिछले दिनों हुई मुलाकातों का यह सिलसिला आगे भी जारी हुआ नाराजगी जताई जा रही है कि देश में मित्रवत भाईचारे और अमन चैन के सदस्यों की दिशा में ऐसे मेल मुलाकातों के सार्थक परिणाम सामने आने की चिंता सताने लगती है।

आईएस प्रमाण केंद्र ए आई एम आई एम प्रमुख असदुद्दीन ओबैसी का बयान है कि उन्होंने मुस्लिम बुद्धिजीवियों और अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुखों के साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत की मुलाकात की। बयानों के निष्कर्षों का स्वागत करने के बजाय ओबैसी ने उन पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसने ओबैसी की कुंठा को उजागर किया है। मुस्लिम समुदाय के संप्रदाय के साथ संघ प्रमुखों की सामुद्रिक पूर्णतया में हुई बातचीत से ओबैसी की इस समस्या की असली वजह यह है कि अब वह अपनी राजनीति में खतरे की घंटी बजाते नजर आ रहे हैं।

ओबैसी का यह कहना है कि मुस्लिम समुदाय ने जो लिखा है वह तबका है जब वह अपने आप को ज्ञानी बताता है, उसे जमीनी हकीकत का पता नहीं है, यह साबित करता है कि उनकी राजनीति में शिक्षा के लिए कोई मतलब नहीं है। ओबैसी को इस तरह के मेल से हमेशा केवल मुलाकात करनी होती है, क्योंकि एंब्लिमन एसोसिएट्स और सामुहिक संघ के सदस्यों को सहयोग के लिए आमंत्रित किया जाता है। ओबैसी तो वे भी संघ प्रमुखों से मुलाकात के लिए अपनी इच्छा से बातचीत कर सकते हैं। संघ प्रमुखों ने सदैव यही कहा है कि किसी भी समस्या का समाधान संवाद के माध्यम से किया जा सकता है, इसलिए संवाद की प्रक्रिया निरंतर जारी रहनी चाहिए। ओबैसी के लिए भी बातचीत के दरवाजे खुले हैं लेकिन इसके लिए उन्हें मुस्लिम ही पहली कार्रवाई करनी होगी जैसे पहले मुस्लिम बुद्धिजीवियों के एक शिष्य ने पिछले दिनों कहा था।

  • लेखक के बारे में

    वर्तमान में नईदुनिया डॉट कॉम में शेयरधारक हैं। पत्रकारिता में अलग-अलग नामांकन में 21 साल का दीर्घ अनुभव। वर्ष 2002 से प्रिंट और डिजिटल में कई बड़े दिन सिद्धांत


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