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प्रधानमंत्री का 2047 तक का रोडमैप, भ्रष्टाचार और परिवार वाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की तैयारी – Prime Ministers roadmap till 2047 preparing for a decisive fight against corruption and familism

प्रधानमंत्री ने साफ किया है कि अब गरीबों के खिलाफ चल रही लड़ाई में किसी को भी समर्थन नहीं मिलेगा।

द्वारा नवोदित शक्तावत

प्रकाशित तिथि: गुरु, 18 अगस्त 2022 04:30 अपराह्न (IST)

अद्यतन दिनांक: गुरु, 18 अगस्त 2022 04:34 अपराह्न (IST)

प्रधानमंत्री के खिलाफ 2047 तक का रोडमैप, लोकतंत्र और परिवार वाद के अंतिम युद्ध की तैयारी

मृत्युंजय लेखक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमृत काल की प्रथम प्रभात स्वतंत्रता की 76वीं वर्षगाठ पर लाल किले से ऐतिहासिक संदेश दिया। इस दिन पूरा भारत हर घर का जश्न मनाता हुआ तिरंगे के रंग में डूबा था और हर भारतवासी आनंद और उल्लास में झूम रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह भाषण राष्ट्र प्रथम की भावना से ओटी प्रोत, राजनीति से परे और भारत को विश्व गुरु के पद पर आसीन करने की दृष्टि, दिशा और झुकाव वाला था।

जहां जन सामान्य प्रधानमंत्री के भाषण को लेकर उत्सुकता जताई जा रही है कि वे कहां हैं? प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन में आगामी 25 वर्षों के विकास का रोडमैप खींचा है और यह भी बताया है कि श्रमिक और परिवारवाद देश की सबसे बड़ी समस्याएं हैं और यदि आपका तुरंत समाधान नहीं हुआ तो भारत अपना सपना पूरा नहीं कर पाएगा।

प्रधानमंत्री ने जिस प्रकार से परिवारवाद के खिलाफ लड़ाई में जन सहयोग मांगा है, उन सभी से जिन लोगों पर परिवारवाद के मामले चल रहे हैं या फिर जिन लोगों पर पीएचडी और परिवारवाद के मामले चल रहे हैं, अब उन सभी के लिए चेतने का समय आ गया है। ।। प्रधानमंत्री ने साफ किया है कि अब गरीबों के खिलाफ चल रही लड़ाई में किसी को भी फिर से कोई मदद नहीं मिलेगी, वह जहां भी रहेंगे उच्चपद पर हो या रह चुका हो।

प्रधानमंत्री का यह कथन बहुत महत्वपूर्ण है कि आज जिन लोगों पर आरोप सिद्ध हो गए हैं, ऐसे लोगों का महिमामंडन किया जा रहा है और कुछ लोग उनका समर्थन भी कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब हम मजबूती के खिलाफ कालखंड की लड़ाई में कदम रख रहे हैं। बंधक देश को दीमक की तरह खोखला किया जा रहा है उसके देश को जोड़ा ही जाएगा। हमारी कोशिश है कि उस देश को लूटा जाए जिसे वापस लौटाना भी पड़े।

अपने शोध के दौरान प्रधानमंत्री ने पंच प्राणों की बात की और कहा कि आने वाले 25 साल में हमें इन पांच प्राणों को केंद्र में बिठाकर काम करना है। ये पाँच प्राण तत्व हैं – विकसित भारत, गुलामी की रंच मात्र सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता और एकता और नागरिकों के कर्तव्य। प्रधानमंत्री ने इन प्राणों को विस्तार से समझाया।

प्रधानमत्री जी ने अनुभव कहा है कि एक बार हम संकल्प लेकर चल पड़े तो निर्धारित लक्ष्य को पार कर लेते हैं। यही कारण है कि आजादी के तीन दशक बाद विश्व का भारत की ओर से देखने का नजरिया बदला गया है। दुनिया का समाधान भारत की धरती पर फिर से शुरू हो गया है। विश्व का यह बदलाव, उसकी सोच में यह बदलाव 75 साल की हमारी यात्रा का परिणाम है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सभी आदर्शों पर संकल्प से बढ़ रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने नई शिक्षा नीति का जिक्र करते हुए कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति गुलामी की सोच से मुक्ति का रास्ता है। आजादी के 75 साल बाद भी कई देशों के राज्यों में भाषा को लेकर विवाद उभर रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री ने अपने अध्ययन के माध्यम से सभी आंदोलनकारियों को साफ संदेश देते हुए कहा कि हमें देश की हर भाषा पर गर्व होना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए। जब हम अपनी धरती से जुड़ेंगे तभी ऊँचे उड़ेंगे और तभी विश्व को हल कर देंगे। उन्होंने कहा कि मोटा धान और संयुक्त परिवार हमारी विरासत का हिस्सा है। पर्यावरण सुरक्षा हमारी विरासत से जुड़ी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम जीव में भी शिव देखते हैं हम वो लोग हैं जो नर में नारायण देखते हैं। हम वो लोग हैं जो नारी को नारायणी कहते हैं।

हम वो लोग हैं जो उपचारों में परमात्मा देखते हैं और यही हमारी परिभाषा है। उन्होंने कहा कि जब हम विश्व के सामने स्वयं पर गर्व करेंगे तो विश्व भी हमें उसी भाव से देखेगा। अब हमें किसी भी तरह की गुलामी से मुक्ति पानी मिलेगी। अंतिम रूप से हम कब तक दस्तावेजों के प्रमाण पत्रों पर अधिकारी बने रहेंगे? इसी के साथ प्रधानमंत्री ने उन लोगों को भी संदेश दिया जो समय-समय पर हिंदू देवी-देवताओं और सनातन संस्कृति का अपमान करते हैं। नागरिकों के कर्तव्य का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि नागरिकों के कर्तव्य की प्रगति का रास्ता तैयार करना है। यह वास्तविक प्राण शक्ति है। बिजली की बचत, सरकार को बैठक वाले पानी का पूरा अर्थ और केमिकल मुक्त खेती हर क्षेत्र में नागरिकों की जिम्मेदारी और भूमिका निभाती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी बाइबिल में एक बार फिर नारी सम्मान की बात करते हुए कहा कि नारी का अपमान एक विकृति है जिससे मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होगा। यह सर्वविदित तथ्य है कि देश की नारी समाज प्रधानमंत्री मोदी जी के प्रति बहुत ही सकारात्मक दृष्टिकोण रखती है और प्रधानमंत्री जी भी महिला उत्पीड़न और अपनी सुरक्षा के लिए बहुत ही कठोर रहते हैं। प्रधानमंत्री ने अपने कार्टून में स्पष्ट किया कि आने वाले 25 वर्षों में केंद्र और भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में “सबका साथ-सबका विकास” के साथ अब सबका विश्वास और सबका प्रयास भी कहते हैं। इसी प्रकार प्रधानमंत्री ने ”जय युवा, जय किसान, और जय विज्ञान” के नारे में अब ”जय अनुसंधान” को भी जोड़ दिया है। जय अनुसंधान का नया नारा देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अब देश के विकास के लिए नये अनुसंधान की महती आवश्यकता है। हमारे देश में आजादी के 75 साल बाद भी शोध की गति बहुत कम हो गई है जिसे अब हमें ही हासिल करना होगा।

प्रधानमंत्री ने अपने सपनों में आत्मनिर्भर भारत का भी संदेश दिया और भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जनमानस का आह्वान किया ताकि हम किसी भी प्रकार की विदेशियों की महत्वाकांक्षा पर कायम न रह सकें। उन्होंने बताया कि हम किस प्रकार से बच्चों के उद्यमों के क्षेत्र में तेज गति से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं। अब हम रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर हो रहे हैं। तेजस हेलीकैप्टर और ब्रह्मोस जैसी मिसाइलें अब हर कोई व्यावसायिक तौर पर खरीदना चाहता है।

प्रधानमंत्री ने अपनी प्रारंभिक क्रांति के मतवाले क्रांतिकारियों और नेताओं को नामांकित किया था, जिसमें वीर सावरकर जी का नाम भी शामिल था और उनके व्यक्तित्व के रूप में कांग्रेसियों और वामपंथियों को चिंता थी, इसी प्रकार की क्रांति-आक्रामक का नाम भी उन्हें नहीं भाया था। आज़ादी के 75 वर्षों में किसी भी प्रधानमंत्री का यह पहला ऐसा उद्देश्य था जिसमें विदेश नीति और आर्थिक नीतियों का किसी भी प्रकार से बखान नहीं किया गया था। यह पहला ऐसा भाषण था जिसमें किसी नई योजना की घोषणा नहीं की गई थी।

यह पहला भाषण था जिसमें भारत को विश्व के सबसे अग्रणी राष्ट्रों के साथ विकसित राष्ट्र के रूप में देखने का संकल्प शामिल था। यह पहला भाषण था जिसमें भारत को परमुखापेक्षी होने से मुक्त होने का भाव दिया गया था। यह एक ऐसा भाषण था जिसमें पड़ोसियों का नाम नहीं लिया गया था, लेकिन फिर भी चीन और पाकिस्तान के बीच इसकी चर्चा हो रही है और बार-बार सुनाई जा रही है। सबसे बड़ी बात यह पुरा भाषण “मीडिया मीडिया” के समर्थकों से थी। प्रधानमंत्री ने अपनी राजनीति के उत्तर भाग में अंतिम युद्ध के बिगुल बजाते हुए अंतिम युद्ध के विरुद्ध परिवारवाद की उपलब्धि हासिल की, जिसमें सामान्य जन का सहयोग मांगकर नामांकन की भूमिका निभाई।

  • लेखक के बारे में

    वर्तमान में नईदुनिया डॉट कॉम में शेयरधारक हैं। पत्रकारिता में अलग-अलग नामांकन में 21 साल का दीर्घ अनुभव। वर्ष 2002 से प्रिंट और डिजिटल में कई बड़े दिन सिद्धांत


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