पीएम मोदी ने की इलेक्टोरल बॉन्ड की तारीफ़, राहुल गांधी ने बताया ‘वसूली स्कीम’ – BBC News हिंदी
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भारत में मौसम अपने चरम पर है। की रैलियां, नियुक्तियां, विरोध प्रदर्शन में बने हुए हैं और इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समाचार एजेंसी एएनआई को लगभग सवा घंटे का रिव्यू दिया, जो सोमवार शाम को लगभग सभी मेनस्ट्रीम टीवी चैनलों ने प्रसारित किया।
इस इंटरव्यू में पीएम मोदी ने राम मंदिर, सनातन धर्म, दक्षिण की राजनीति और अपनी विदेश नीति जैसी कई धार्मिक बातें बताईं। लेकिन इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर उन्होंने जो कहा वह उनकी फिक्शन चर्चा हो रही है।
इलेक्टोरल बॉन्ड के पक्ष में उन्होंने कहा कि अगर उनकी सरकार इलेक्टोरल बॉन्ड नहीं लाती तो मनीट्रेल को कभी पता नहीं चलता.
देश में चुनाव से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर आई जानकारी एक अहम मुद्दा है।
फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कॉच को असंवैधानिक दोषी और इसकी कॉपी के लिए अधिकृत बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को निर्देश दिया था कि वो इलेक्टोरल बॉन्ड स्कॉच को खरीदे और किन दस्तावेजों के मिलान में डेटा जारी करें।
जो डेटा सामने आया उसके मुताबिक 6060.51 करोड़ चंदा अकेले बीजेपी को मिला। दूसरे नंबर पर 1609 करोड़ का चंदा मिला।
जो बातें ये डेटा से सामने आईं उनमें ये कहा गया था कि कई कंपनियों ने जो चंदा को कुछ समय पहले अपने ऊपर कार्रवाई की थी। ऐसे ही कई पैटर्न निकल कर सामने आये हैं.
‘जो आज बोल रहे हैं वो लोग छोड़ेंगे’
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इस योजना में भर्ती और पारदर्शिता के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता ‘पदस्थापित’ कर्मचारी हैं।
एक इंटरव्यू में इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर जब पीएम मोदी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ”चुनाव में काले धन का इस्तेमाल होता है. हम ऐसा ना हो इसकी तलाश कर रहे थे। चुनाव में हजार और दो हजार के बड़े नोट यात्रा करते थे. हमने उसे निषेध की कोशिश की. शुरुआत में राजनीतिक सिद्धांत को 20 हजार रुपये नकद चंदा लेने की छूट थी।”
“सुप्रीम कोर्ट ने 20 हजार नकद चंदा लेने की छूट दी थी। मुझे याद है कि हमें एक व्यापारी ने कहा था कि हम आपको चंदा चेक से नहीं दे सकते क्योंकि सत्य पक्ष को पता चल जाएगा कि उन्होंने हमें चंदा दिया था। 90 के दशक में हमें एक बार चुनाव लड़ने में दिक्कत आई थी क्योंकि हमारे पास पैसा ही नहीं था।”
“इस स्काइब पर संसद में चर्चा हो चुकी है।” बिल संसद में पास हो गया है और आज कुछ लोग जो इस स्कॉच पर आरोप लगा रहे हैं तब इसके समर्थन में थे।”
पीएम मोदी ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड था, इसलिए मनी ट्रेल का पता चला, किस कंपनी ने दिया, कैसे दिया और कहां दिया।
उन्होंने कहा, “जो लोग आज बोल रहे हैं वो सब लोग हटाएंगे, जब सच्चाई से सोचेंगे। थ्री हजार कंपनी ने इस स्कीम के तहत चंदा दिया है। इनमें से 26 के खिलाफ ईडी की जांच चल रही है। इन 26 में से 16 छात्र ऐसे हैं।” इनमें से भी सिर्फ 37 प्रतिशत ने बीजेपी को चंदा दिया, बाकी 63 प्रतिशत ने भाजपा को चंदा दिया।’
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पोस्ट ट्विटर ख़त्म
राहुल गांधी ने कहा- बेशर्मी से बोला गया झूठ है
चुनावी इंटरव्यू में इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि ‘ये एक पिशाच हैं, मस्तमाता नरेंद्र मोदी हैं।’
उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा- ”इलेक्टोरल बॉन्ड में सबसे अहम बात है नाम और तारीख. जब आप इन दोनों को देखेंगे तो चाहेंगे कि जब उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड दिया है तो उसके तुरंत बाद या तो कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट मिला है या फिर उन पर अगर एग्रीमेंट की जो जांच हो रही थी उसे हटा दिया गया। “
“प्रधानमंत्री पकड़े गए हैं ऐसे ही वो अनी को इंटरव्यू दे रहे हैं। ये दुनिया का सबसे बड़ा पैसा वाला पिशाच है और इसके मास्टरमाइंड मोदी जी हैं।”
“विरोध करने वाले पक्षताएंगे मोदी के इस बयान पर राहुल गांधी ने कहा- “मोदी जी ने ये समझा है कि उनके सीधे बॉन्ड बॉन्ड की जांच शुरू हो गई है और उनके बिल्कुल बाद के सबूत पर रोक लगा दी गई है। . “
“कंपनी को इलेक्टोरल बॉन्ड डिस्क के बिल्कुल सही बाद हजारों करोड़ की ताकत मिल जाती है ये भी मोदी की बात है। सच्चाई ये है कि ये चाहने वालों की है।”
पीएम मोदी से अपने इंटरव्यू में कह रहे हैं कि इलेक्टोरल बॉन्ड स्क्वायर से ही मनी ट्रेल का पता चला।
इस पर कांग्रेस ने कहा है कि ‘ये बेशर्मी से बोला गया झूठ है।’
पार्टी ने कहा, ”इलेक्टोरल बॉन्ड लागू होने से पहले 20,000 तक ही कैश में चंदा दिया जा सकता था. इस स्कॉइल के आने के बाद चंदा के समर्थकों की पहचान खत्म हो गई.” इसे पूरी तरह से स्काइब को गुप्त करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। साल 2018 से 2024 के बीच का पूरा डेटा अब तक सामने नहीं आया है।”
क्या था बॉन्ड स्कैंड, क्या आया सामने
साल 2018 में मोदी सरकार के इलेक्टोरल बॉन्ड स्कॉच लेकर आए, दावा किया गया था कि ये निर्दल फंडिंग की प्रक्रिया में पारदर्शिता का खुलासा हुआ है। इस कानून में कहा गया है कि चंदा किराए वाली की पहचान हर सूरत में गुप्त रखी जाएगी।
ऐसे में ये पता नहीं चल पाया कि किस पार्टी को कितना चंदा मिला है, साथ ही इस स्कीम से किस पार्टी को कितना चंदा मिला है.
इस साल फरवरी में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कॉच को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक क़रार दिया।
जो डेटा सामने आया, उसके अनुसार, 12 अप्रैल, 2019 से 11 जनवरी, 2024 के बीच बीजेपी ने कुल 60 अरब रुपये से अधिक के इलेक्टोरल बॉन्ड हासिल किए। वहीं इस मामले में दूसरे नंबर पर मौजूद ऑर्थोडॉक्स कांग्रेस है, जिसने 16 अरब रुपये से ज्यादा के इलेक्टोरल बॉन्ड को भुनाया है।
वहीं सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड शेयर वाली कंपनी फ्यूचर गेमिंग एंड होटल है। इस कंपनी ने कुल 1368 बांड शेयर बाजार, 13.6 अरब रुपये से अधिक रही।
इस मामले में तीसरे नंबर की कांग्रेस ने 14 अरब रुपये से ज्यादा के इलेक्टोरल बॉन्ड का इंकैशन किया है. इसके बाद भारत राष्ट्र समिति ने 12 अरब रुपये और बीजू जनता दल ने 7 अरब रुपये से अधिक का चुनावी बांड जब्त कर लिया।
ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें जिन फर्मों ने इलेक्टोरल बॉन्ड बिजनेस पर बॉन्ड चेक से पहले इनकम टैक्स की कार्रवाई की थी।
कुछ समय पहले या बाद में कुछ बॉन्ड बॉन्ड की जोड़ी का बड़ा कॉन्टैक्ट मिला। प्रोडक्शन प्रोडक्ट्स का परीक्षण विफल रहा था, उन्होंने इलेक्टोरल बांड्स बुककर पॉलिटिकल पोर्टफोलियो को नीचे दिया था।
3 फार्मा कंपनी और एक सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल ने इलेक्टोरल बॉन्ड के ज़रिये 762 करोड़ रुपये का चंदा पॉलिटिकल ऑर्किटेस्ट को दिया।