पीएम मोदी का कांग्रेस के घोषणापत्र और मुसलमानों पर बयान देना क्या दिखाता है? – BBC News हिंदी
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- पदनाम, बीबीसी संवाददाता
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नरेंद्र मोदी के 21 अप्रैल को राजस्थान के बांसवाड़ा वाले भाषण के बाद चुनाव आयोग की भूमिका पर लगातार सवाल उठ रहे हैं।
मोदी के समर्थक राहुल गांधी समेत पार्टी के कई नेताओं ने कड़ी आलोचना की है और उन्हें निशाने पर लिया है.
कांग्रेस इस मामले में चुनाव आयोग भी शामिल है. भाजपा के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन से जुड़ी 16 लोकसभा कांग्रेस ने चुनाव आयोग को मंजूरी दे दी है।
मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक पुराने भाषण पर टिप्पणी की थी, जिसमें उन्हें ‘घुसपैठिए’ और ‘ज्यादा बच्चे पैदा करने वाला’ कहा गया था।
हालाँकि डेमोक्रेट मोदी ने नोबेल सिंह के जिस 18 साल पुराने भाषण का ज़िक्र किया है, नोबेल पुरस्कार विजेता नोबेल पुरस्कार विजेता नोबेल पुरस्कार विजेता नोबेल पुरस्कार विजेता नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. मोदी ने जिस 18 साल पुराने भाषण का ज़िक्र किया है, उसका पहला हक़ीक़त डेमोक्रेट मोदी ने दिया था, जिसकी बात नहीं कही थी।
मनमोहन सिंह ने 2006 में कहा था, ”अनुसूचित चट्टान और पत्थर को पुनर्जीवित करना की डूबना है।” हमें नई याद दिलाएं ये सुनिश्चित करना होगा कि अल्पसंख्यकों का और खास कलाकारों का भी मुद्दा हो सके, विकास का फायदा मिल सके। इन सभी का दस्तावेजीकरण पर पहला दावा किया जाना चाहिए।”
मनमोहन सिंह ने अंगरज़ी में दिए गए भाषण में क्लेम शब्द का प्रयोग किया था।
पीएम मोदी के बयान की आलोचना में ये भी कहा जा रहा है कि वो कैसे देश के सुपरस्टार 20 करोड़ की गर्लफ्रेंड के लिए इंटरनेट पर शब्द का इस्तेमाल कर सकते हैं।
राजनीतिक के अलावा, 17 हजार से अधिक आम नागरिकों ने भी चुनाव आयोग से मांग की है कि यह ‘हेट स्पीच’ के लिए मोदी के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
इन सारी आलोचनाओं के केंद्र में एक बार फिर चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल पूछे जा रहे हैं।
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चुनाव आयोग की भूमिका और भाजपा के समर्थक
लोकसभा चुनाव 2024 के तहत देश में आचार संहिता लगी हुई है।
चुनाव आयोग की ओर से आदर्श आचार संहिता के अनुसार चुनाव प्रचार के दौरान धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है और न ही धर्म, संप्रदाय और जाति के आधार पर वोट की अपील की जा सकती है।
आचार संहिता के अनुसार, किसी भी धार्मिक या जातीय समुदाय के खिलाफ नफ़रत फैलाने वाले भाषण या नारा लगाने पर भी रोक है।
इन दस्तावेजों का हवाला देते हुए लोग सोशल मीडिया पर कुछ लोग मोदी पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
कांग्रेस नेताओं ने सोमवार शाम को चुनाव आयोग का रुख अपनाया.
राकेश राकेश ने कहा- धार्मिक मान्यता 1951, सुप्रीम कोर्ट के फैसले और चुनावी आचार संहिता के उल्लंघन वाली 16 पार्टियों को चुनाव आयोग को शामिल किया गया है।
कांग्रेस ने उम्मीद जताई है कि इन मंत्रियों पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। ये मंदी 18 से 22 अप्रैल के बीच की है।
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प्रमुख संगीतकारों पर एक नजर-
- शिक्षा विभाग की ओर से आचार संहिता के दीक्षांत समारोह के दौरान।
- भाजपा प्रत्याशी तप सिंह गोगोई का वोटर्स पर बरसना।
- यूपी में सरकारी स्कॉइल के प्रचार में मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया।
- प्रचार में धार्मिक चित्र और राम मंदिर का उपयोग किया गया।
- केरल में मॉक चुनाव के दौरान मो.मो.की.की गड़बड़ी।
- एलओसी अभियान में सेना की जमीन का बीजेपी की ओर से इस्तेमाल किया जा रहा है।
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चुनाव आयोग की लॉजिस्टिक पर कैसी कार्रवाई?
चुनाव आयोग की ओर से इन मंत्रियों पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। न ही चुनाव आयोग की ओर से पीएम मोदी के दौरे पर किसी तरह के नोटिस जाने या कार्रवाई करने की जानकारी सामने आती है।
इससे पहले मार्च माह में न्यूनतम न्यूनतम साकेत गोखले ने चुनाव आयोग में मोदी के खिलाफ जाति संहिता उल्लंघन मामले में शिकायत दर्ज कराई थी।
साकेत गोखले ने कहा कि मोदी ने रैली में भाग लेने के लिए एस्कॉर्ट्स का इस्तेमाल किया।
इस याचिका के सामने चुनाव आयोग की ओर से किसी तरह की कार्रवाई की जानकारी नहीं है।
कुछ लोग भाजपा के मामलों में चुनाव आयोग की इस निष्क्रियता को शामिल करके के मामलों में सक्रियता से तुलना देख रहे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर 2023 में राहुल गांधी ने जब बिना नाम लिए मोदी के लिए पनौती शब्द का इस्तेमाल किया था, तब चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को नोटिस जारी किया था।
हाल ही में कांग्रेस नेता सुपरस्टार सुरजेवाला ने हेमा मालिनी को जो फाइट कॉमेडी पर बुलाया था, उन्होंने चुनाव आयोग में अपनी याचिका बैठक में 48 घंटे की रोक लगाई थी।
हालाँकि 16 अप्रैल को चुनाव आयोग ने एक महीने में पूरी होने वाली आचार संहिता की रूपरेखा तैयार कर ली बयान जारी किया गया था.
चुनाव आयोग के अनुसार, सबसे ज्यादा 200 वोट आयोग के पास हैं। इनमें से 169 पर एक्शन लिया गया है. 51 बीजेपी की तरफ से मुलाकात, समेत 38 मामलों पर कार्रवाई.
कांग्रेस की ओर से 59 मामले सामने आए, जिसमें 51 मामलों पर कार्रवाई की गई।
दूसरे राजनीतिक शास्त्र की ओर से 90 टोकियो को शामिल किया गया, जिसमें 80 मामलों पर कार्रवाई की गई।
चुनाव आयोग की ओर से कांग्रेस, आम आदमी पार्टी की पार्टियों पर कार्रवाई की बातें भी कही गई हैं।
इन चुनाव का दावा के बाद वाट्स ऐप पर सरकार की ओर से विकसित भारत का संदेश चैनल पर रोक, हाई-वे पर कांग्रेस की याचिका, पेट्रोल पंप जैसी जगह पर मतदान के प्रचार-प्रसार जैसे निर्देश की बातें बताई गई हैं।
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जब चुनाव आयोग ने सख़्ती दिखाई
ये वाकया 1987 का है, जब 1987 के चुनाव में शिव सेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने छह साल के लिए चुनावी लड़ाई और वोट देने का प्रस्ताव रखा था। अंत लगा दी थी.
राष्ट्रपति केआर नारायणन ने 1999 में छह साल के लिए बाल आयोग के मताधिकार पर रोक लगा दी थी।
चुनावी प्रचार के दौरान बाल ठाकरे ने कहा था कि ‘मुझे किसी को वोट नहीं देना चाहिए।’
इस बयान की वजह से उन्हें ये सज़ा मिली थी।
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मोदी के भाषण पर अपार्टमेंट की राय
चुनाव पर अंतरिम स्थायी संस्था एक छड़ के प्रोफेसर जगदीप छोक्कर ने एक पत्र में चुनाव आयोग को लिखा कि प्रधान मंत्री मोदी का भाषण आचार संहिता और जन गणराज्य कानून 1995 की धारा 123 (3), 123 (3 ए) और 125 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) ) धारा 153(ए) का उल्लंघन है और उन पर जल्द कार्रवाई की मांग है।
सीएस डीएस के हिलेल अहमद के अनुसार ये भाषण प्रधान मंत्री के पूर्व भाषणों जैसा नहीं था।
वो कहते हैं, ”प्रधानमंत्री मोदी पूर्व में हिंदू, हिंदुत्व, मुस्लिम जैसे शब्दों का इस्तेमाल लेकर बहुत सावधान रह रहे हैं.” अपने 10 साल के कार्यकाल में उन्होंने तीन या चार बार हिंदुत्व या मुस्लिम शब्द का इस्तेमाल किया है, लेकिन ऐसा नहीं है कि वो अपने मतदाताओं को यह संकेत नहीं दे रहे हैं कि वो क्या कहना चाह रहे हैं।”
बोले, ”बीजेपी के तीन तरह के वोटर हैं- पहले पक्के वोटर, दूसरे जो पहले अलग-अलग को वोट देते थे और अब बीजेपी को वोट देते हैं और तीसरे फ्लोटिंग वोटर्स जो किसी को भी वोट देते हैं। मोदी इस तरह से अपनी बात हैं तो उनकी बात हर तरह के वोटर्स तक। ऐसे महत्वपूर्ण वक्त जब वोट प्रतिशत गिरा है, पीएम मोदी का ये भाषण बताता है कि पार्टी अपनी मूल राजनीति की ओर जा रही है और ये आपके लिए बेहद दिलचस्प है तरह-तरह से देखने का तरीका है।”
हिलाल अहमद के अनुसार, बीजेपी के मैनिफ़ेस्टो में डेमोक्रेसी हैं, विकास के दोस्त आदि हैं, लेकिन युवाओं का ज़िक्र नहीं है और इस ताज़ा भाषण का भाषण हुआ है, चर्चा पर गहरा असर ज़्यादा है।
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नामांकन के नेता क्या बोले?
मोदी के भाषण पर विपक्ष के नेताओं ने स्टीकर की प्रतिक्रिया दी है.
कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “मोदी जी ने जो कहा वो हेट स्पीच है, ध्यान भटकाने की एक सोची समझी चाल है… हमारा घोषणापत्र हर एक भारतीय के लिए है। युवाओं की बात होती है। सबके लिए न्याय की बात करता है.” कांग्रेस का न्यायपत्र सच की बुनियाद पर रुका है.”
वर्चुअल लीडर सिताराम येचुरी ने कहा, ”ये भयानक है। चुनाव आयोग की शैलियाँ और अधिक भयानक हैं। मोदी का भड़काने वाला भाषण, आचार संहिता और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का घोर उल्लंघन है।”
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने कहा- प्रधानमंत्री का भाषण बेहद जहरीला, सांप्रदायिक और नफ़रत से भरा हुआ है, उनका मकसद भारत की जनता के बीच धर्म के आधार पर शत्रुता को बढ़ावा देना है।
बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ”इंडिया अलायंस के लिए जो भारत में अधूरे से घुसते हैं, वो देश की जनता से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, अगर वो मुस्लिम हैं तो।” बिना लाग लपेट के कोई बात देखने के लिए बहुत कुछ चाहिए।”
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