जेएनयू छात्र संघ चुनावः लेफ्ट का दबदबा बरकरार, अध्यक्ष समेत चारों पदों पर एबीवीपी की हार – BBC News हिंदी
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धनंजय, अविजीत घोष, प्रियांशी आर्या, मोहम्मद ओझा (क्रमश:)
जवाहर लाल यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव में एक बार फिर से छात्र साथियों ने जीत हासिल की है।
इस बार भी यह इलेक्शन इंजीनियर्स ने सामूहिक प्रतियोगिता की थी। कमेटी के चेयरपर्सन का इलेक्शन शैले कुमार के अनुसार छात्र संघ चुनाव में अध्यक्ष पद पर धनंजय, उपाध्यक्ष पद पर अविजीत घोष, महासचिव पद पर प्रियांशी आर्या और संयुक्त सचिव पद पर मोहम्मद साजिद को जीत मिली है।
ऑल इंडिया लिबरल एसोसिएशन (आइसा) के अध्यक्ष पद पर नियुक्त धनंजय ने ऑल इंडिया लिबरल काउंसिल (एबीवीपी) के अध्यक्ष पद पर काबिज़ डेमोक्रेटिक चंद्र अजमेरा को हरा दिया है।
धनन्जय को 2598 और धनतेरस चन्द्र अज़मीरा को 1676 वोट मिले हैं।
वहीं दूसरी ओर उपाध्यक्ष पद पर लिबरल फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के अविजीत घोष को चुना गया है। उन्हें 2409 वोट मिले हैं, जबकि एबीवीपी कीपरदीप शर्मा को 1482 वोट मिले हैं।
महासचिव पद पर बिरसा अंबेडकर फुले विचारधारा एसोसिएशन (बापसा) की प्रियांशी आर्या ने जीत दर्ज की है। उन्हें वामपंथियों का समर्थन हासिल था. उन्हें 2887 वोट मिले, जबकि एबीवीपी के अर्जुन आनंद को 1961 वोट ही मिले।
इस पद पर बाईं ओर से पहले स्वाति को उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन मतदान के कुछ घंटे पहले उनका नामांकन खारिज कर दिया गया था। उनके बाद लेफ्ट आर्टिस्ट ने बापसा की प्रियांशी आर्या को सपोर्ट दिया था।
इसके अलावा संयुक्त सचिव पद पर इस बार ऑल इंडिया वीएड फेडरेशन (ए एमएसएफ) के मोहम्मद साजिद को जीत मिली है। उन्हें 2574 वोट मिले हैं. इस पोस्ट पर एबीवीपी के गोविंद दांगी को 2066 वोट मिले हैं।
वर्ष 2019-20 में बासठिया छात्र संघ का चुनाव हुआ, जिसमें साझीदारों ने भी जीत हासिल की।
छात्र संघ के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव पद के लिए शुक्रवार को मतदान हुआ, जिसमें तीन प्रमुख पदाधिकारियों और एक पर बापा ने जीत दर्ज की।
विद्वानों के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का छात्र संगठन अखिल भारतीय छात्र परिषद भी मैदान में था।
इसके अलावा बिरसा अंबेडकर फुले रिटेल एसोसिएशन (बापसा), कांग्रेस के छात्र संगठन ज़ूओस जीआई (नेशनल यूनिटी यूनियन ऑफ इंडिया), राष्ट्रीय जनता दल के छात्र संगठन छात्र राजद और समाजवादी पार्टी के छात्र संगठन समाजवादी छात्र सभा ने उम्मीदवार उतारे थे।
छात्र संघ के सेंट्रल बोर्ड में किसकी जीत
बज़ट में चार साल के अंतर के बाद ये छात्र संघ चुनाव में उतरे हैं। कोविड महामारी की वजह से बीच में चुनाव नहीं हुए थे.
इससे पहले साल 2019 में बोल्ट फेडरेशन ऑफ इंडिया के छात्र नेता आइशी घोष के अध्यक्ष पद पर आसीन हुए थे। उनकी उम्मीदवारी का समर्थन छात्र-छात्राओं ने किया था।
शुक्रवार को वोटिंग में सबसे ज्यादा 73 प्रतिशत वोट पड़े। ये पिछले 12 साम्यवादियों में सबसे ज्यादा हैं. 2019 में 67.8 प्रतिशत छात्रों ने वोट डाला।
चुने गये अध्यक्ष धनंजय मूलरूप से बिहार में रहने वाले हैं और वो दलित समुदाय से आये हैं। उनके संगठन आइसा के अनुसार 27 साल बाद दलित समाज का कोई छात्र छात्र संघ का अध्यक्ष बना है।
वहीं दूसरे नंबर पर चल रहे एबीवीपी के प्रतिद्वंदी बेंजामिन चंद्रा अजमेरा हमले के शिकार हैं। उन्होंने एक हमले में अपने माता-पिता को खो दिया था।
बापासा ने जदयू समुदाय के बिस्वाजीत मिंजी को राष्ट्रपति पद के लिए मैदान में उतार दिया था।
वहीं राष्ट्रपति पद की दौड़ में एक मात्र महिला अभ्यर्थी समाजवादी छात्र सभा के सचिव यादव थे।
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स्नातक से स्नातक की उपाधि प्राप्त करना शुरू किया
वर्चुअल स्टूडेंट यूनियन की स्थापना के बाद से ही इस पर कंसल्टेंसी के स्टूडेंट का असिस्टेंस बना हुआ है।
अब तक टेलीकॉम फेडरेशन ऑफ इंडिया ने 22 बार और ऑल इंडिया रिटेल एसोसिएशन (आइसा) ने 11 बार अध्यक्ष पद जीता है।
वहीं, आरएसएस के छात्र संगठन एबीवीपी ने अब तक एक बार ही राष्ट्रपति पद पर जीत हासिल की है।
वर्ष 2000 में ए.सी.वी.पी. के संदीप महापात्रा छात्र संघ के अध्यक्ष बने।
वर्ष 1971 में छात्र संघ का पहला चुनाव हुआ। वर्ष 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने स्टोर्स स्टूडेंट यूनियन पर रोक लगा दी थी।
हालाँकि छात्रों के संघर्ष के बाद साल 2011 में ये रोक हटा दी गई और फिर चुनाव में लग गए।