चैत्र नवरात्र: 78 साल से मूर्ति स्वरूप में पूजी जाती हैं देवी, आनंदमयी आश्रम में चली आ रही है परंपरा
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चैत्र नवरात्र पर काशी में 78 वर्ष से मां भगवती मूर्ति स्वरूप में पूजी जा रही हैं। आनंदमयी आश्रम में स्थित शिवालय में मां की प्रतिमा की स्थापना पांच दिनों से आज तक होती है। बंगीय पद्धति होने वाली इस पूजा में वास्तु से लेकर वास्तुशिल्प तक शामिल होते हैं। शहर और जगहों पर भी प्रतिमाएँ बनी रहती हैं।
शरदीय नवरात्र में ही दुर्गा पूजा की धूम रहती है। गली-मोहल्लों में पूजा-अर्चना में दुर्गा प्रतिमाओं की पूजा होती है। देश की आजादी के बाद आनंदमयी आश्रम में शारदीय नवरात्र की तरह चैत्र नवरात्र में भी धूमधाम से पूजा होती है। आश्रम के सचिव रतन मथुरा ने बताया कि 1944 में इस आश्रम के आश्रम में आश्रम की जन्मभूमि चैत्र नवरात्र में ही रखी गई थी।
आजादी के बाद माता आनंदमयी ने यहां चैत्र नवरात्र में पूजा शुरू की। उन्होंने बताया कि आश्रम के चंडी मंडप में इस बार मां दुर्गा के अलावा मां सरस्वती, लक्ष्मी, गणेश और कार्तिकेय की मूर्ति की स्थापना की जाएगी। भजन कीर्तन और आश्रम में पढ़ें रही बच्चियाँ सांस्कृतिक कार्यक्रम पेशोस्कोप। पूजा में दिल्ली, हरिद्वार, कोलकाता आदि शहरों से शामिल होंगे।
इसके अलावा विश्वनाथ मंदिर के कालिका गली में आचार्य महेश मिश्र की ओर से 26 वर्ष पूर्व मां की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है। मां शारदा आश्रम चेतमणि, गीता सोसाइटी रामपुरा आदि क्षेत्र में भी छोटी-बड़ी देवी प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं।
शेर तो घोड़े पर सवार है देवी
वासंतिक राष्ट्र के लिए मूर्तियां आकार ले रही हैं। खोजकर्ता ने दावा किया है कि मां दुर्गा को शेर पर तो किसी मूर्ति में घोड़े पर सवार किया गया है। मूर्तिकार अभिजीत विश्वास ने बताया कि आदिम बंगले की मूर्ति की मांग है। इसमें मां लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश व कार्तिकेय जी की मूर्तियां बनी हैं। उम्मीद है कि एक हफ्ते में वापसी की तैयारी हो जाएगी।
दुर्गा पूजा के लिए अभी से लक्ष्मी के आने का क्रम
दुर्गा पूजा पाठ चल रही है। मगर दुर्गा प्रतिमाओं के निर्माण के लिए अभी से मूर्तिकारों के पास क्रम आ गए हैं। शहर के एक मूर्तिकार के करीब 50 से अधिक मूर्तिकार हैं। अभिजीत विश्वास ने बताया कि बनारस की पुरानी पूजा ने दुकानदारों को ऑर्डर दे दिया है। लखनऊ, मध्य प्रदेश से भी रूपरेखा तैयार की गई है।
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