चुनावी प्रचार में ‘घर में घुसकर मारने’ वाले बयान से क्या साधना चाहती है मोदी सरकार – BBC News हिंदी
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पिछले कुछ दिनों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘घर में गोली मारने’ वाले कमेंट की चर्चा है.
उत्तराखंड के ऋषियों में प्रधानमंत्री की एक रैली नरेंद्र मोदी ने कहा“आज भारत में मोदी की स्ट्रैटेजिक सरकार ने सऊदी अरब को घर में घुसकर मारा है।”
उनकी इस बात पर रैली में कई लोग ताली बजाते नजर आते हैं.
प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर अमेरिका ने कहा कि वो भारत और पाकिस्तान के बीच में नहीं रहेंगे।
इसके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में एक सवाल के जवाब में कहा गया, ”कोई भी हमारे पड़ोसी देश से भारत को विघटित करने की कोशिश करेगा। तो पाकिस्तान में आटा मारेंगे।”
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‘द गार्जियन’ से चर्चा में आया
ये दोनों बयान आम चुनाव में वोट की शुरुआत से ठीक पहले आए थे. पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने राजनाथ सिंह के बयान की निंदा की थी.
राजनाथ सिंह से पूछा गया सवाल ब्रिटेन के एक पंथ “द गार्जियन” में ज़ापी की एक ख़बर से चर्चा की गई थी।
ख़बर में दावा किया गया था कि भारत ने साल 2020 से पाकिस्तान में 20 लोगों तक की हत्याएं कीं।
सिद्धांत से बातचीत भारत के विदेश मंत्रालय में सभी समर्थकों को खारिज कर दिया गया और एक पुराने पासपोर्ट को मंजूरी दे दी गई, जिसमें ऐसे सहयोगियों को “झूठा और दुर्भावनापूर्ण, भारत-विरोधी प्रोपेगंडा” बताया गया था।
मंत्रालय ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के पूर्व बयान में भी कहा था कि अन्य देशों में हत्या की योजना “भारत सरकार की नीति नहीं है।”
प्रधानमंत्री और राजनाथ सिंह के बयान पर कुछ महीने पहले ऐसा बयान आया था, जब कुछ महीने पहले मोदी ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत के खिलाफ हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था।
इसके अलावा अमेरिका में एक “सिख अलगाववादी आंदोलन के नेता” की हत्या का मामला सामने आया है अंतिम भुगतान इसमें निखिल गुप्ता और भारत के सरकारी कर्मचारी शामिल होने का दावा किया गया है।
फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति बिडेन ने जी-20 की अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत में इस विषय को उठाया था।
एक साक्षात्कार में दिए गए निर्देश प्रधानमंत्री मोदी उन्होंने कहा कि अगर भारत को कोई जानकारी दी गई है तो उसे देखें।
याद आ रहा है कि पूर्व की दुकान में कांग्रेस चीन की ओर से कथित घुसपैठिये पर प्रधानमंत्री मोदी पर हमले हो रहे हैं। इंटरनेशनल मीडिया में भी निज्जर और पी ब्लॉग से जुड़े विषय पर कुछ न कुछ लिखा है।
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अंतर्राष्ट्रीय संबंधपरक प्रभाव
ऐसे ही मोरक्को में प्रधानमंत्री मोदी और राजनाथ सिंह का “घर में गोली मारना” जैसा कमेंट करना कितना सही है?
रक्षा मानक अजय साहनी की ऐसी टिप्पणी सही नहीं है, लेकिन “ये चुनाव के दौरान घरेलू बातचीत है। विदेशी संबंधों पर कोई असर नहीं करता।”
अजय साहनी के अनुसार, “दोनो राजनयिकों के कई मतलब निकाले जा सकते हैं ताकि मंदी पर असर न पड़े।” ।”
टैंकों के बारे में सोचें, सीनियर लोलो शांति सरीन का कहना है, ”अगर भारतीय नेता बालाकोट जैसे ऑपरेशन के बारे में बात कर श्रेय ले रहे हैं और उन्हें राजनीतिक तौर पर बर्बाद कर रहे हैं, तब इस पर किसी को भी खतरा नहीं होना चाहिए, लेकिन भारत में जिन ऑपरेशन के बारे में को लेकर दावा किया जा रहा है और अगर इसी तरह से ऐसा हो रहा है तो मेरे विचार में उस पर मुंह बंद करने की नीति होनी चाहिए।
भारत सरकार के पूर्व विशेष सचिव वी. बालचंद्रन के अनुसार, “प्रधानमंत्री और राजनाथ सिंह के राष्ट्रपति पाकिस्तान के मोदी जम्मू और कश्मीर मामले में पास-अंदाज़ी और भारत में आतंकी मौलाना को लेकर गए थे और उनके कनाडा और किसी अन्य देश से कोई अनुमति नहीं थी।” “
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राजनीति में फ़ायदा?
लेकिन इन घोषणापत्रों पर ब्रह्मांड में दूसरी बातें भी लिखी जा रही हैं।
पत्रकार भारतवर्ष एक लेख में लिखा है कि भारत की ओर से आ रहे ऐसे बयान में भारत के मित्र विशेष रूप से अमेरिका को पसंद नहीं करेंगे और विदेश मंत्री एस जयशंकर के लिए चिंतित विश्व को शांत करने की चुनौती है।
दक्षिण एशिया मामलों के विशेषज्ञ माइकल कुगलमैनमैगज़ीन फ़ोरेन काउंसिल में शामिल हैं कि ‘द गार्जियन’ की रिपोर्ट से बीजेपी को राजनीतिक रूप से मदद मिलेगी और इसी से कुछ मोदी आलोचक भी पाकिस्तान में साबिक को मारे जाने की मज़ाक करेंगे।
वो फर्जी हैं कि राजनाथ सिंह के बयान पर वोटर्स टू में एक तरह की प्रतिक्रिया दे सकते हैं – वो इसे बीजेपी के खिलाफ पश्चिमी प्रोपेगंडा को खारिज कर सकते हैं, और फिर वो इसे पाकिस्तान से आ रहे उग्रवाद के खिलाफ पारंपरिक पार्टी के समर्थक जवाब दे सकते हैं। को प्रमाण की तरह स्वीकार किया जा सकता है.
प्रधानमंत्री मोदी और राजनाथ सिंह के सहयोगी दल पर एक भाजपा प्रवक्ता ने हमें विदेश मंत्री के पद पर नियुक्त किया।
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‘घूसकर मारने’ का इतिहास
आतंकियों के चरमपंथी हमलों में 40 भारतीयों की मौत के बाद साल 2019 में भारत की ओर से खबर पख्तूनख्वाह के बालाकोट में “मार्जिकल स्ट्राइक” की बात को महत्वपूर्ण माना गया था.
ऐसा देखा गया है कि भारत पलटकर कार्रवाई कर सकता है।
इससे पहले 2016 में उरी में सेना के ठिकानों पर हुए हमलों में भारतीय अपराधियों की मौत के बाद भारत की ओर से “मार्जिकल स्ट्राइक्स” की बात कही गयी थी.
सुशांत सरीन का कहना है, “दोनो मामलों में सरकार का दावा है कि हमने घर में नौकर को मारा, साबिर को मारा और दोस्त को मारा।”
“मुझे ऐसा नहीं लगता कि सीधे तौर पर यह माना गया है कि भारत किसी तरह की हत्या करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन किसानों पर सवाल उठाए जा रहे हैं और उनकी टाइमिंग को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। लेकिन दावों से यह बात साफ है कि पाकिस्तान में आतंकवादी बने हुए हैं।” ध्यान न दिया जाए और हम पाकिस्तान के राजदूत शिविरों को बढ़ावा दें।”
पाकिस्तान के आतंकवादी शिविरों के आबंटन से इनकार करते हैं और उनका कहना है कि वो अपने सरहदों की रक्षा करना चाहते हैं।
पश्चिमी देशों के नेताओं और मीडिया की ओर से जहां भारत पर निज्र और गुरपतवंत के मामलों पर टिप्पणी हो रही है, वहीं पश्चिमी देशों पर भी अन्य देशों के अंदर ऑपरेशन करने के आरोप पुराने हैं।
अजय साहनी ने याद किया कि कैसे पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन के ऑपरेशन के दौरान राष्ट्रपति ओबामा और कोलोराडो के साथ उनकी टीम और अधिकारियों की तस्वीरें दुनिया ने देखी थीं।
वो मुस्लिम हैं, “क्या संयुक्त राष्ट्र संघ ने उस ऑपरेशन की मंज़ूरी दी थी? क्या इंटरनेशनल इंटरनेशनल ने उसका व्यवसाय किया था? अगर आप कह रहे हैं कि किसी सुपर पावर ही सभी मंज़ूरी को तोड़ा जा सकता है तो हमें बताएं कि कोई क़ानून है नहीं।”
”मैं ये कह रहा हूं कि ये बातें दुनिया भर में हो रही हैं और ऐसी घटनाओं से कोई फर्क नहीं पड़ता। कोई लेना-देना नहीं है।”
साथ में अजय साहनी का ये भी कहना है कि राजनीतिक भाषणों का स्तर गिरा है, लेकिन राजनीतिक भाषणों में ऐसे विषयों को कितना सही रखा जाता है?
वी बालचंद्रन के मुताबिक ऐसी बातें लोगों को ये बताने के लिए मजबूर करती हैं कि पूर्व सरकार पूर्व कांग्रेस से अधिक सफल है।
वे कहते हैं, “ये बातें राजनीतिक विचारधारा पर आधारित हैं। मुझे नहीं लगता कि इस रहस्य का कोई काम लिया गया है।”
उधर, शांति सरीन कहते हैं, “दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर बमबारी इसराइल पर है लेकिन उन्होंने आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है।”
“गुप्त ऑपरेशन को लेकर यही रुख होना चाहिए। मीडिया उन्हें उठा सकता है, लेकिन सरकार में किसी को भी ऐसा कुछ नहीं कहना चाहिए कि कोई यह कह सके, ये तो स्वीकार किए जा रहे हैं।”