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क्या होता है मोटा अनाज? जी20 में विदेशी मेहमानों को दिए जाएंगे इसी के पकवान – Government plan to promote millets and value added products dish will be given to g20 foreign guests

मोटे अनाज से जनसामान्य सहित किसानों को लाभ मिलने की बड़ी संभावना है। इससे किसानों की आय बेरोजगारी होगी।

द्वारा कुशाग्र वलुस्कर

प्रकाशित तिथि: मंगलवार, 03 जनवरी 2023 09:34 अपराह्न (IST)

अद्यतन दिनांक: मंगलवार, 03 जनवरी 2023 09:34 अपराह्न (IST)

क्या होता है अनाज?  जी20 में विदेशी कंपनियों को दिए गए समान के लक्षण
मोटे अनाज से जनसामान्य सहित किसानों को लाभ मिलने की बड़ी संभावना है। इससे किसानों की आय बेरोजगारी होगी।

मृत्युंजय लेखक

एक जनवरी 2023 से अंतर्राष्ट्रीय मोटो अनाज वर्ष की शुरुआत हो गई है, इसके सभी घरों की थाली से गायब हो गए अनाज अनाज के दिन फिर से बहुरने वाले हैं। स्वयं प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने अनाज और उसके कृषि को प्रोत्साहन देने के लिए कमर कस ली है। भारत इस साल शंघाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (एससीओ) और जी 20 जैसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के 55 शहरों में जी 20 सम्मेलन आयोजित कर रहा है। इन अवसरों का भरपूर लाभ उठाया जायेगा। सभी सम्मलेन में कृषि मंत्रालय एवं खाद्य मंत्रालय एवं राज्य सामुहिक अनाज से बने अनाज से बने आटे का ही प्रदर्शन किया जाएगा एवं देश विदेश से आ रहे सभी सम्मेलन में अनाज से बने अनाज से बने व्यंजन तैयार किए जाएंगे ताकि उनका डंका विश्व में बजाना तय हो जाए है।

मोटे अनाज से जनसामान्य सहित किसानों को लाभ मिलने की बड़ी संभावना है। एक ओर सबसे बड़ी चुनौती की समस्या से शुरुआत का नया और सरल मार्ग निकलेगा। वहीं दूसरी ओर इससे किसानों की आय समृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त होगा। यही कारण है कि वर्ष में एक ओर किसानों को अनाज की खेती करने के लिए सलाह दी जाती है और अन्य लोगों को अनाज की खेती करने के लिए महत्वपूर्ण रूप से एक-दूसरे से अलग-अलग समूहों में शामिल किया जाता है। इसके अतिरिक्त अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने इस साल अनाज के समर्थन मूल्य में भी वृद्धि कर दी है।

एक समय था जब भारत की हर थाली में केवल ज्वार, बाजरा, रागी, चीना, कोदो, सांवा, कुटकी, कुट्टू और चौलाई के व्यंजन बनते थे लेकिन फिर समय बदल गया और आज स्थिति यह हो गई है कि लोग इनमें शामिल हो गए हैं अनाज का महत्व तो दूर नाम भी भूल गए हैं। आज के माहौल में जब घर में बड़े इन बुजुर्ग अनाजों का नाम लिया जाता है या नई पीढ़ी को महत्वपूर्ण प्रतीक चिन्ह दिए जाते हैं तो या तो वो अचारज से सुनते हैं या नाम दर्ज ही बनाते हैं। मोटे अनाज के माध्यम से नई पीढ़ी के लोग भी इन अनाजों के वैज्ञानिक आधार पर महत्वपूर्ण समझेंगे और स्वीकार करेंगे और जब स्वीकार करेंगे तब वह भी इस अनाज की खेती और अनाज से बने नए व्यंजनों को मूल बातें और नवाचार भी कर सकते हैं। पिछले कुछ दिनों की चर्चा से ही देश के कई युवा राजनेताओं ने ज्वार, बाजरा सहित अन्य मोटे अनाजों से बनने वाले कई तरह के सिद्धांतों पर नवाचार आरंभ भी किया है। ज्वार, बाज़ार के आटे से दोसा बन रहे हैं, लोधी बन रहे हैं और पापड़ भी बन रहे हैं।

दिसंबर 2022 में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में विदेश मंत्री एस. वर्ष के विषय में अहम जानकारी दी गई। अब अनाज के त्योहारों का आनंद पूरे भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में चल रहा है।

2018 में भारत सरकार ने पोषक तत्वों से भरपूर अनाजों की श्रेणी में रखा गया, सरकार की ओर से उठाये गये कदमों का सकारात्मक प्रभाव अब सामने आ रहा है। वर्तमान समय में 175 चित्र इस दिशा में काम कर रहे हैं। मार्च 2021 में संयुक्त राष्ट्र महासभा भारत की ओर से एक प्रस्ताव प्रस्ताव से स्वीकार किया गया जिसके अंतर्गत वर्ष 2023 को अनाज उत्पादन वर्ष घोषित किया गया। मोटे अनाजों का उद्देश्य मोटे अनाजों के पोषण और स्वास्थ्य लाभ और इसकी खेती के लिए उपयुक्तता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। मोटे अनाजों में ज्वार, बाजरा, रागी, अनाजी, कुटकी, कोदो, सांवा आदि शामिल हैं। हम सभी को यह भी पता होना चाहिए कि अप्रैल 2016 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2016 से 2025 तक पोषण पर संयुक्त राष्ट्र दशक की कार्रवाई की घोषणा की थी।

मोटे अनाज वाले उत्पादकों, उत्पादकों और प्लास्टिक की खेती के लिए अच्छा माना जाता है। ये मोटरसाइकिल होने के साथ कम पानी वाली सींच से भी उगाए जा सकते हैं। विशेषज्ञों का मत है कि अनाज मुक्त और टिकाऊ भविष्य बनाने के लिए अनाज की अहम भूमिका निभानी होगी और इसके लिए देश को सामूहिक रूप से काम करना जरूरी है। वर्तमान समय में अनाज और अनाज को बढ़ावा देने की मांग भी है क्योंकि यह अनाज आधुनिक जीवन शैली में बदलाव का कारण सामने आ रहा है और अनाज और अनाज को रोकने में सक्षम है।

केंद्र सरकार ने मोटे अनाज वर्ष को सफल बनाने के लिए काफी समय पहले से ही आंशिक शुरुआत कर दी थी और अब यह आरामदायक अनाज पर चढ़ने को तैयार है। मोटा अनाज वर्ष को सफल बनाने के लिए केंद्र सरकार कई बैठकें लेकर आई है। इसके तहत मोटे अनाजों के वितरण पर जोर दिया जा रहा है। आंगनबाडी और मध्याह्न भोजन योजना में भी मोटे अनाजों को शामिल किया गया है। है कि अब ”मोटा अनाज, खाओ और प्रभु के गुण गाओ” का नारा बहुत ज्यादा चलने वाला है। मोटा अनाज पोषण का सर्वोत्तम आहार कहा जाता है। मोटे अनाज में 7से12 प्रतिशत प्रोटीन,65 से 75 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट और 15 से 20 प्रतिशत आहार आहार तथा 5 प्रतिशत तक वसा उपलब्ध है जिसके कारण यह कुपोषण से लड़ने में सक्षम पाया जाता है। मोटे अनाज का आयुर्वेद में भी बहुत महत्व है।

भारत में सिंधु घाटी सभ्यता के समय से ही मोटो अनाज की खेती के प्रमाण मिलते हैं और विश्व 131 देशों में इसकी खेती होती है। भारत में अनाजों का वैश्विक उत्पादन 20 प्रतिशत और एशिया में 80 प्रतिशत है। ज्वार का उत्पादन भारत में विश्व में प्रथम स्थान पर है। भारत में ज्वार का सर्वाधिक उत्पादन महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में होता है। भारत में ज्वार का सर्वाधिक उत्पादन राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा में होता है। , गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक आगे हैं।

वर्ष में हमें सभी को मोटा अनाज देना चाहिए और अपने भोजन में नियमित रूप से जगह बनानी चाहिए क्योंकि इसमें कई विशिष्ट चीजें होती हैं। पोषण के मामले में यह अनाज अन्य अनाज के मिश्रण और धान की तुलना में बहुत आगे हैं। विभिन्न खेती और कम पानी वाली होती है। मोटे अनाज का भंडारण सबसे आसान होता है। भोजन में अनाजों को शामिल करने से स्वास्थ्य संबंधी कई बड़े अध्ययनों का अवलोकन संभव हो सकता है। यही कारण है कि आज देश के किसान अधिक से अधिक मात्रा में अनाज की खेती करें और अपनी आय सुनिश्चित करें। किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की ओर से पहली शुरुआत की जा रही है और भविष्य में देश के अन्य कई कृषि विश्वविद्यालय इस अभियान में शामिल होंगे।

आज जब विश्व का बड़ा हिस्सा कुपोषण से मुकाबला कर रहा है तो सनातन भारत की अनाज वाली थाली समाधान के रूप में देखी जा रही है। उदार चरित्र और वसुधैव कुटुम्बकम् के सिद्धांत वाले भारत के मोटे अनाज वाले वर्ष के प्रस्ताव की महत्ता को संयुक्त राष्ट्र ने स्वीकार कर लिया है और अब हम सभी भारतीयों का उत्तरदायित्व है कि हम अपने-अपने स्तर पर इसे सफल बनाने का प्रयास करें। भारत सरकार मोटोरोला की खेती को बढ़ावा देने के लिए बल दे रही है। मोटे अनाज के वर्ष के माध्यम से एक साथ कई लक्ष्यों को पूरा किया जा सकता है। मोटा अनाज के प्रति जागरूकता बढ़ने से जहां ज्वार, बाजार आदि की खेती का रकबा शेष है, वहीं गरीबी की समस्या का भी समाधान कुछ हद तक हो सकता है।

  • लेखक के बारे में

    माखनलाल शेट्टी राष्ट्रीय मठ एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से मास कम्युनिकेशन ग्रेजुएट कुशाग्र वालुस्कर नईदुनिया डिजिटल में सीनियर सब एसोसिएट के पद पर हैं। माह


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