क्या विपक्ष को एकजुट कर पाई दो मुख्यमंत्रियों की गिरफ़्तारी, आगे क्या हैं चुनौतियां? – BBC News हिंदी
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यूं तो ये रिपब्लिकन अलायंस की लोकतंत्र बचाओ रैली थी लेकिन इसमें सबसे ज्यादा भीड़ आम आदमी पार्टी की ही नजर आई।
‘जब-जब मोदी डरे हैं, तब-तब पीएचडी को आगे बढ़ाया गया है।’
केंद्रीय एजेंसी के समर्थकों के नारे भी लगे और आधे से ज्यादा नेताओं के भाषणों में उनके कथित अल्पसंख्यकों का ज़िक्र भी बार-बार आया।
लेकिन रविवार को दिल्ली के मैदान में हुई लोकतंत्र बचाओ रैली में डेमोक्रेट कांग्रेस नेता डेरेक ओ’ब्रायन के बयान का ज़िक्र अटाउर पर पता चला है।
अपने लोकतांत्रिक प्रवचन में कैथोलिक कांग्रेस ने दावा किया कि “टीएमसी इंडिया गठबंधन का हिस्सा था, है और रहेगा।”
डेरेक ओ’ब्रायन के बयान में कहा गया है कि क्या अरविंद ब्रोक की गिरफ़्तारी के बाद एकल कांग्रेस के रुख में बदलाव के बारे में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है या ये महज़ एक बयान है, अभी इसमें केवल पुष्टि ही की जा सकती है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी ने पश्चिम बंगाल की कुल 42 पार्टियों को अकेले ही चुनावी लड़ाई का फैसला सुनाया है, जबकि वो विपक्ष से ही इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनी हुई हैं।
मल्लिकार्जुन खड़गे की सीख
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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के भाषण से जुड़े इस बयान पर कई नए मायने सामने आए हैं।
कांग्रेस के इस वयोवृद्ध नेता ने अपने भाषण के लगभग अंत में कहा, “एक होने की सीखो, दूसरे को तोड़ना मत सीखो…”
हालांकि अस्सी साल से अधिक उम्र के कांग्रेस नेताओं ने साथ में ये भी कहा कि गठबंधन में विविधता है लेकिन बड़े पैमाने पर सामान लेकर ऑर्गनाइज़ दल साथ हैं। संस्थागत के नेता डी राजा और सिताराम येचुरी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि केरल में हम बड़े पैमाने पर संगठित समूहों के साथ आए हैं।
यही उन्होंने पंजाब और आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के राष्ट्र को लेकर भी बात कही।
पंजाब में दोनों देशों के बीच दोस्ती की कोशिशों को लेकर किसी भी तरह का समझौता नहीं हो सका।
सामुदायिक मैदान में भी रविवार को आप पार्टी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के अलग-अलग विचारधारा के शेयर। आप लाइब्रेरी की गैलरी टी-शर्ट और टॉपियां मैदान में ख़ूब नामांकित और उनके कार्यकर्ता और समर्थक पानी की चमक से लेकर लोगों को दिखाई देने लगीं।
हालाँकि इन दार्शनिकों में भी उनकी शांति अधिक थी जो पंजाब से आये थे। ठीक है तो बरनाला जिले के अलग-अलग से थे। छत्तीसगढ़ तमिल और से आये इक्का-दुक्का सोसालो से हमारी मुलाकात हुई।
गिरफ़्तारी से नहीं बन सका जॉब पर दबाव
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अगर नरेंद्र मोदी सरकार को ये लगा होता कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कथित शराबी घोटालेबाज में गिरफ़्तार गुट पर दबाव डाला गया तो वो रविवार को मैदान में हुई रैली में नहीं दिखे।
‘लोकतंत्र बचाओ रैली’ के नाम से हुई बात था.
दिल्ली में बिजनेस एक्जटुटा का ये प्रोग्राम ठीक उसी दिन हुआ जिस दिन प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के बिजनेस से बीजेपी का उत्साह बढ़ाया।
मल्लिकार्जुन खड़ने ने अपने भाषण में बीजेपी और आरएसएस को जहर के समान बताया और लोगों से कहा कि इसे चाटकर टेस्ट करने की कोशिश भी न करें क्योंकि ये भी आकर्षक हो सकता है।
राहुल गांधी के बाद वो चंद बड़े कांग्रेसी नेता होंगे जिन्होंने सीधे तौर पर आरएसएस का नाम इस रूप में लिया है।
फ़ारूक़ अब्दुल्लाह का शेयर बाजार
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जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और राहुल गांधी ने अपने-अपने तरीके से कहा कि संविधान पर खतरा मंडरा रहा है।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग और अलग-अलग टीमों से मिलकर मोदी सरकार इस पूरे चुनाव में फिक्स मैच की तरह डकैती की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि उनका मकसद ये है कि वो संविधान को पूरी तरह से बदलना चाहते हैं।
हालाँकि उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी ऐसी कोशिश सफल नहीं होगी क्योंकि इससे देश के विनाश का खतरा पैदा हो जाएगा।
फारूक अब्दुल्ला ने अपने भाषण में उस बात का ज़िक्र किया जिसमें छह सौ से अधिक वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश को धमकी देते हुए एसोसिएट पर धब्बा लगा दिया, जहां के आरोप लगाए गए हैं।
इन वकीलों ने देश की सबसे निचली अदालत में फासले के बाद दाखिल अर्जी में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में जॉनसन बॉन्ड को गैर-कानूनी बताया गया था और बॉन्ड जारी करने वाली कंपनी स्टेट बैंक को हुक्म दिया गया था कि वो बॉन्ड और उससे जुड़ी सारी सूचनाएं सार्वजनिक करें।
इसके बाद इस तरह की रिपोर्ट आई हैं, जिसमें प्राइवेट कंपनी ने छापों और गिरफ़्तारियों के बाद बीजेपी को चंदा दिया है। आरोपियों का आरोप है कि ऐसा प्रेशर बनाने की वजह से हुआ है.
बॉस्नाक की ओर से नामांकन का वादा
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समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने जर्मनी, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इससे दुनिया में भारत की बेइज्जती हुई है।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कभी बीजेपी के सहयोगी दल रहे शिव सेना के प्रमुख युसुथ ठाकुर ने मिली-जुली सरकार की बात कही.
हालाँकि, अंतिम समय में ए मगर ने जो बात सामने रखी, उसमें अरविंद केजरीवाल की एक ख़त के ज़रीये गरीबों को मुफ़्त बिजली देने की बात शामिल थी, जिसे लेकर आप की सरकार दिल्ली को पूर्ण राज्य की मान्यता के पक्ष में थी।
ये भी कहा गया है कि उन्हें उम्मीद है कि उनके अन्य सहयोगी दल बिना विचार-विमर्श के इन वादों को लेकर बुरा नहीं मानेंगे।
ये भी कहा था कि अरविंद केजरीवाल इन वादों पर आने वाले खर्च का पैसा लेकर आए हैं और पूरी फॉर्म रेखा तैयार करके आए हैं।
रविवार को मैदान में अपनी बातचीत में अनाम सान्निध्य में पहली से अधिक बातचीत – पिछले सप्ताह मैदान में जनता से सीधे तौर पर उनकी ये तीसरी बातचीत है।
सूप के कार्यकर्ता नहीं, कांग्रेसी भीड़ तक सीमित
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इसी मैदान में 2010-2011 में समर्थकों के खिलाफ़ अरविंद केजरीवाल और सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे और अन्य लोगों ने उस वक्त की कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार पर समर्थन के लिए धरना-प्रदर्शन और प्रदर्शन किया था।
कांग्रेस की ओर से इस पोर्टफोलियो में कहा गया है कि पूरे मामले में जिस तरह से चुनाव के पहले कार्रवाई की जा रही है, उसे लेकर याचिका दायर की गई है।
ज्वालामुखी कांग्रेस का ज़ोरदार भीड़ तक ही सीमित था, पानी पिलाने तक का आप काम पार्टी के कार्यकर्ता कर रहे थे। दिल्ली से उत्तर प्रदेश से आने के बावजूद यहां कोई वॉलेंटियर नहीं है।
और अवशेष के अलावा एकजुटता और उनके चेहरे को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं दिख रही है। इस महीने की शुरुआत हो चुकी है और यही गठबंधन गठबंधन के सामने बड़ी चुनौती है।
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