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क्या नयी शब्द नियमावली बदलेगी सदन का माहौल? – Will new word rule change Atmosphere of House

विरोधी दल इन नए कलाकारों को भी तानाशाही प्रवृत्ति और अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोटना ही बताएंगे।

द्वारा नवोदित शक्तावत

प्रकाशित तिथि: गुरु, 14 जुलाई 2022 04:24 अपराह्न (IST)

अद्यतन दिनांक: गुरु, 14 जुलाई 2022 04:26 अपराह्न (IST)

क्या नया शब्द नियमावली बदले में मकान मालिक का मोहरा है?

मृत्युंजय लेखक

वर्ष- 2022 में संसद का बहस एक नई कहानी लेकर आ रहा है क्योंकि इस बार म्यूजिक के लिए एक पुस्तिका जारी की गई है जिसके अनुसार कम से कम 60 शब्दों की बोली पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। पिछले कई वर्षों से जब भी संसद में कोई सत्र जारी किया जाता है तो कोई भी दिन बिना लोकतंत्र और शोरगुल के शामिल नहीं होता है। एसोसिएट्स और शोरगुल के बीच में अल्पसंख्यक गण विधान सभाओं में संशोधन को भूलकर असंसदीय विधान सभाओं का उपयोग किया जाता है, जिसमें बाद में विधान सभाओं में विधान सभाओं के अभिलेखों से बाहर किया जाता है।

लेकिन इस बार संभावित रूप से दृश्य अलग होगा क्योंकि अब नवीन पुरातन के खंड और राज्य की कार्यवाही के दौरान सदस्य चर्चा में भाग लेते हुए जुमलाजीवी, बालबुद्धि, जयचंद, कोविड के तीरंदाज और स्नूपगेट जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाएगा। वर्जिन सचिवालय में डबल कैरेक्टर, निकम्मा, नटकी, ढिंढोरा पीटाना ओर बाहरी सरकार के भी असंसदीय शब्दों की सूची शामिल है।

न्यूनम अब तानाशाह जैसा शब्द भी नहीं बोल शक्तिशाली। इसके अलावा ब्लडशेड, अशेमद, चीटेड, चमचमा, चमचमागिरी, चेला, मीटनेस, कावर्ड, क्रिमिनल, क्रोकोडाइल टीयर्स, डिसप्रेस, डंकी, आइवाश, फ्रिंज, होलिगनिज्म, मिसलेड, लार्ड, अंतू, गद्दार, गिरगिट, गुन्स, घडियाली फूल, अपमान, असत्य, व्यवहार, काला दिन, काला बाजारी, दादागिरि, पितारा, बाबाकट, लालीपाप, विश्वास, संवेदनहीन, फूलिश, पिट्टू, यौन उत्पीड़न, माफिया, रबिश, स्नेक, चार्मर, टॉट, ट्रेटर जैसे शब्दों को असंसदीय घोषित किया गया है।

अभी हाल ही में कृषि कानून विरोधी आंदोलन और विपक्ष विरोधी आंदोलन के दौरान विरोधी विचारधारा के मुसलमानों ने बाहरी उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया था। वे दोनों सदनों में तालाब के आसन तक आ गए थे क्योंकि कई दिनों तक संसद की सदन में हंगामा जारी था। ये नए नियम कलाकारों के आचरण के लिए बनाए गए हैं लेकिन आज देश के सभी विरोधी सिद्धांतों ने इस नए नियम का विरोध करना शुरू कर दिया है।

दार्शनिक कांग्रेस के नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने अपने ट्वीट में कहा, ”संसद में अपनी बात रखी अब हमें इन मूल शब्दों में बेईमानी, धोखेबाज़, अनैतिक दिखावा जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने की ताकत नहीं दी जाएगी।” अंधविश्वासी नेताओं का कहना है कि, ”वह इन शब्दों का इस्तेमाल करेंगे।” सरकार दोबारा तो उन्हें सस्पेंड कर सकती है। वह लोकतंत्र के लिए लड़ेंगे।” उनका कहना है कि इस पर एक समिति बने और विचार करें कि कांग्रेस पार्टी इस पर विश्वास भी कर सकती है।

वहीं कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंधवी ने कहा, जब आप अपनी आलोचना में यदि इतना महंगा नहीं हो सकते तो संसद की उपयोगिता क्या है? उन्होंने कहा कि जुमलाजीवी नहीं बोलेंगे तो क्या बोलेंगे? शब्दों पर प्रतिबंध नाव है। जिन शब्दों में असंसदीय घोषित किया गया है उनमें राजस्थान विधानसभा में असंसदीय घोषित कुछ शब्द भी रखे गए हैं जिनमें कांव कांव करना, तलवे चाटना, ताड़ीपार, तुर्रम खां और झारखंड विधान सभा में असंसदीय घोषित कई घाटों का पानी का चित्र, ठेंगा शो आदि शामिल हैं। ।।

सोसाइटी द्वारा तैयार एमएएमए को एक और प्रति सम्मान पुरस्कार के लिए तैयार किया गया है। सूची में जिन शब्दों को शामिल किया गया है उन सभी शब्दों का देश विरोधी दल और सभी नेतागण सरकार का विरोध करने के लिए संप्रदाय में प्रयोग कर रहे हैं। संसद में भी इन शब्दों का बहुत ही आक्रामक तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा था और इसका कारण यह था कि संसद की कार्यवाही बार-बार लागू हो रही थी। यही कारण है कि संचिवलय ने यह नई पुस्तिका जारी की है, लेकिन अभिव्यक्ति अब अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर इन शब्दों के प्रयोग पर भी आधारित है।

सभी विरोधी विचारधाराओं के नेताओं ने इन बयानों में आगामी बहस में उग्र प्रयोग करने की घोषणा की है और यह बात भी साफ हो गई है कि आगामी दिनों में संसद के दोनों सदनों में विभिन्न पार्टियों की जोरदार बहस होने जा रही है। नेशनल हेराल्ड मामले में गांधी परिवार से पूछताछ, अग्निपथ योजना और उनके विरोध में उपजी हिंसा, नुपुर शर्मा विवाद, बेरोजगारी, बेरोजगारी और प्रतिष्ठान के हालात, नए अशोक स्तंभ को लेकर दोनों सदनों में भारी भीड़ शामिल है। मौसम तय माना जा रहा है। देश के विरोधी दल महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन को लेकर भी तबाही और बारिश करने के मूड में दिख रहे हैं।

अभिव्यक्ति की आजादी के लिए जारी की गई है, लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी के लिए जारी की गई है। विरोधी दल इन नए कलाकारों को भी तानाशाही प्रवृत्ति और अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोटना ही बताएंगे।

बहुमत सचिवालय ने असंसदीय शब्द शीर्षक के तहत दोनों सदनों, राज्य विधानसभाओं और 2020 में राष्ट्रमंडल देशों की संसद में असंसदीय घोषणा शब्दों से ही यह नया संकलन तैयार किया है। हालाँकि, बयानों को विज्ञापन से हटा दिया जाएगा, अंतिम अधिकार का साझीदार और आम जनता के समर्थकों को छोड़ दिया जाएगा, लेकिन नामांकन जिसे केवल मुद्दा और कथित विरोध करने की लत लग गई हो वह नहीं सूरजेगा।

  • लेखक के बारे में

    वर्तमान में नईदुनिया डॉट कॉम में शेयरधारक हैं। पत्रकारिता में अलग-अलग नामांकन में 21 साल का दीर्घ अनुभव। वर्ष 2002 से प्रिंट और डिजिटल में कई बड़े दिन सिद्धांत


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