क़तर में हमास का कार्यालय बंद होने को लेकर अटकलें तेज़, क्या ईरान देगा पनाह – BBC News हिंदी
छवि स्रोत, तुर्की राष्ट्रपति प्रेस कार्यालय हैंडआउट/ईपीए-ईएफई/रेक्स/शटरस्टॉक
हमास और इसराइल के बीच संघर्ष विराम के बीच पश्चिमी और अरब मीडिया में ये तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही हैं कि हमास अपने राजनीतिक कार्यालय से कतर से बाहर जाकर क्या विचार कर रहा है?
हमास का कार्यालय अपने देश में क्या बंद कर रहा है और हमास के नेता बाहर जाने की सोच रहे हैं? हालांकि कतर औरास, दोनों ने ऐसी किसी भी बात को खारिज कर दिया है, लेकिन यह सच है कि कतर कुछ सितारे को लेकर नाराज है और दबाव महसूस कर रहा है।
यही कारण है कि कतर ने यह घोषणा की है कि वह हमास और इसराइल के बीच मध्यस्थ की भूमिका को लेकर विचार-विमर्श कर रहे हैं।
लेकिन सवाल है कि ऐसा क्यों हो रहा है? उसकी नाराज़गी का कारण क्या है? क्या अनुमान है कि कतर, हमास और इसराइल के बीच अब मध्य प्रदेश की भूमिका से एक कदम पीछे खींच लिया जाएगा? और हमास का राजनीतिक कार्यालय अपने देश में बंद कर देगा?
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कतर में हमास के मौजदूगी के पीछे अमेरिका का हाथ?
कतर में वर्ष 2012 से हमास का राजनीतिक कार्यालय है। उस समय सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के विरोधी खूनी जंग छेड़ने वाले सीरियाई समर्थकों के समर्थन में राजनीतिक ब्यूरो के प्रमुख खालिद मेशाल क़तर आ गए थे।
साल 2017 में खालिद मेशाल की जगह पॉलिटिकल ब्यूरो के प्रमुख बनने वाले इस्माइल नुकसानया इस वक्त तिमाही में रह रहे हैं।
कई अमेरिकी और कॅरी अधिकारियों के गोदाम के अनुसार, अमेरिका के गरीब अपने देश में हमास के राजनीतिक कार्यालय की मेजबानी कर रहे हैं।
ऐसा कर अमेरिका, फ़ालिस्तानियों और इसराइल के बीच बढ़ते संघर्ष को कम करने के लिए बातचीत की एक सीढ़ी लाइन पर फिल्म रखना चाहता था।
इस्लामिक विचारधारा पर शोध करने वाले और अम्मान में इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड सोसाइटी से जुड़े विद्वान हसन अबू घाटेया का कहना है कि अमेरिका के कतर में हमास का कार्यालय खोला गया था।
वे कहते हैं कि यह धारणा वैसी ही है जैसी अमेरिका की नजर में अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच साझेदारी हो रही थी।
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कतर पर दबाव
सात अक्टूबर को हमास ने इसराइल पर हमला किया था, जिसके बाद इसराइल, गाज़ा पर हमले हो रहे हैं। इस युद्ध में कतर ने दोनों पक्षों के बीच बातचीत में अहम भूमिका निभाई है।
पिछले साल नवंबर महीने में कतर की मदद से ही इजरायल और हमास के बीच एक सप्ताह का संघर्ष लागू हुआ था और इस दौरान हमास ने 81 इजरायली बंधकों को रिहा कर दिया था। वहीं, इसके बदले में इज़राइली जेलों में बंद 280 फ़ालस्टिनी क़ैदियों की रिहाई हुई थी।
लेकिन इसकी कोई भी बातचीत यहां तक नहीं पहुंच पाई कि दोनों के बीच कोई संघर्ष विराम लागू हो। इसकी उलटी कहानी इज़राइली और अमेरिकी आलोचना का सामना करना पड़ा है।
इजरायल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू तो यहां तक कह चुके हैं कि कतर, हमास को फंड कर रहे हैं। इसके अलावा जनवरी के आखिरी महीने में उन्होंने कहा था कि वह इसरायली बंधकों को रिहा करने के लिए हमास पर दबाव बनाए हुए हैं।
कतर के विदेश मंत्री नेतन्याहू ने के रॉकेट को खराब करने की बात कही और कहा कि वे युद्ध को लेकर गंभीर प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कतर, युद्ध को खत्म करने और शौर्य को लेकर जा रहे प्रयास के लिए जरूरी है।
पिछले हफ्ते अमेरिका में क़तरी दूतावास ने डेमोक्रेटिक डेमोक्रेट स्टेनी होयर के दस्तावेज़ को लेकर नाराज़गी जाहिर की थी।
अपने बयान में अमेरिकी मिनियन ने मांग की है कि अगर कतर, हमास पर दबाव नहीं डालता है और उसे फंडिंग में हिस्सेदारी और बंधक बंद करने की चेतावनी नहीं देता है तो अमेरिका को कतर के साथ अपने रिश्ते को फिर से मजबूत करना चाहिए।
मीडिया में एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी के सहयोगियों को सूचित किया गया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने मिस्र पर कब्जा कर लिया था और वहां के नेताओं से कहा था कि वे हमास पर इजरायली बंधकों को रिहा करने के लिए किसी संपत्ति पर पहुंच का दबाव बनाएं।
इसराइल और हमास के बीच की दीवारों की अपनी भूमिका को लेकर हो रही आलोचना पर सवाल ने दुख को जाहिर किया है।
17 अप्रैल को कतर के विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने यह घोषणा की थी कि उनका देश गाजा संकट में अपने पक्ष का आकलन कर रहा है।
23 अप्रैल को हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कतरी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माजिद अल-अंसारी ने भी अपने शेयरधारकों की भूमिका पर विचार-विमर्श किया।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मध्यस्थ की भूमिका सभी सितारों के साथ मिलकर काम करने की है, इसी तरह उन्होंने किसी पक्ष पर दबाव डाला।
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हमास का कार्यालय क्या बंद कर देगा?
शनिवार को अमेरिकी वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अरब अधिकारियों की बैठक में रिपोर्ट दी थी कि हमास के राजनीतिक नेतृत्व की ओर से कतर से बाहर ले जाने की संभावना पर विचार किया जा रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया था कि इसी क्रम में हमास ने दो देशों से संपर्क किया है, जिसमें एक नाम ओमान का है, लेकिन देखिए क्या ओमान, हमास के नेता और अपने राजनीतिक कार्यालय में गठबंधन की तैयारी है?
इससे पहले हमास के अधिकारी ने इस रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि हमास के नेताओं के लिए बोली के लिए जब तक लाभ होगा तब तक वे कतर में ही रहेंगे।
हालांकि प्रवक्ता ने उन दस्तावेजों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है कि हमास अपना राजनीतिक कार्यालय अपने देश से कहीं और स्थानांतरित कर सकता है।
ओमान के अलावा तुर्की एक ऐसे देश की चर्चा मीडिया में है। हाल ही में हमास के राजनीतिक दल के प्रमुख इस्माइल नुकसान ने तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन से इस्तांबुल में मुलाकात की थी। दोनों के बीच करीब तीन घंटे तक बात हुई थी.
कतर के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इसराइल-हमास के बीच संबंधों के लिए तुर्की की भूमिका को लेकर भी सवाल उठाए गए।
उन्होंने युद्ध के जवाब में कहा कि गाजा में जिस कतर पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया जा रहा है, उसका समर्थन करने वाले लोग तुर्की के सबसे महत्वपूर्ण देशों में से एक हैं।
कुछ मीडिया द्वारा ली गई किताब में अल्जीरिया का नाम भी बताया जा रहा है। फ्रांसीसी अखबार ले मोंडे ने एक दस्तावेज का जिक्र किया है जिसमें गाजा संकट को समाप्त करने की योजना और हमास नेताओं के अल्जीरिया में गाजा पट्टी के साथ अरब शांति सेनाओं के नेतृत्व की बात कही गई है।
इसके अलावा ईरान, लेबनान, सीरिया और यमन का नाम भी लिया जा रहा है।
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ईरान में हमास का नया विज्ञापन क्या होगा?
शोधकर्ता हसन अबू घाटेया का मानना है कि हमास के पास अब कम ही विकल्प बचे हैं।
वे कहते हैं, “तुर्की एक ऐसा देश है जहां चुनौतियां तेजी से बढ़ रही हैं। हमास के लिए ये बहुत मुश्किल है कि वो अपने नेतृत्व के विद्यार्थियों को वहां पर सुनिश्चित कर सकें। वे वहां अलग-अलग उपस्थिति बना सकते हैं। अल्जीरिया में ऐसा ही कुछ है।” के साथ भी है। फ्रांस ने अल्जीरिया को लेकर जो प्रस्ताव दिया है, वो अव्यावहारिक है। इस मामले में अल्जीरिया का रुख स्पष्ट नहीं है। वो ईरान है।”
ईरान इकलौता ऐसा देश है जिसे हमास के नेतृत्व के लिए पनाह देने के लिए तैयार किया जा सकता है।
इसके अलावा कोई और विकल्प अव्यावहारिक होगा, क्योंकि हमास ने इज़राइल, अमेरिका और यूरोपीय संघ को ‘आतंकवादी संगठन’ का अधिकार दिया है।
हमास को ईरान में पनाह मिल भी जाता है तो इससे दूसरे पक्षियों की पेचीदगियां पैदा हो सकती हैं।
इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप में मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका प्रोग्राम के निदेशक जोस्ट हिल्टरमैन हसन अबू घाटेया से सहमति व्यक्त की गई है।
वे कहते हैं, “अगर हमास को छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो उसे एक नए निवास स्थान देश में फिर से परेशानी होगी, क्योंकि जैसे ही कोई देश उसे पनाह देने पर विचार करेगा, उसे भविष्य में रहने वाले रिश्ते के बारे में भी बताया जाएगा हालाँकि ईरान के साथ यह स्थिति लागू नहीं होती है।”
लेकिन हसन अबू बर्बादया से इनकार करते हुए कहा गया है कि हमास के नेताओं के बारे में बाहर से कोई गंभीर चर्चा नहीं हो रही है।
वे कहते हैं, “जो कुछ हो रहा है, वो असलियत में पहुंच तक के लिए उस पर दबाव बनाने की कोशिशें चल रही हैं। इससे ज्यादा कोई बात नहीं है और इससे कम कुछ नहीं है।”
“मेरा मानना है कि इस मुद्दे पर भी ज्यादा तूल नहीं दे रहा है। कतर हर किसी को यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि हमास के राजनीतिक ब्यूरो के नेताओं को अपनी जमीन छोड़ने के लिए यूरोप और अमेरिका में जाने के लिए मजबूर किया जाता है। के पास से बातचीत के लिए विकल्प सीमित हो जायेंगे।”
हालांकि हसन अबू नुकसानया ये भी कहते हैं कि अमेरिका की गुज़ारिश पर क़तर हमास के नेता देश छोड़ने के लिए कह सकते हैं लेकिन साथ ही वो ये भी कहते हैं कि अमेरिका ऐसा कोई कदम उठाएगा, इसकी आशंका कम ही है क्योंकि ऐसा हुआ तो वो संवाद का माध्यम ख़त्म हो जाएगा और परिस्थितियाँ और जटिल हो जाएँगी।
वे कहते हैं, “ऐसा हो सकता है कि हमास अपने सहयोगियों का समर्थन बढ़ा ले। ईरान, यमन और लेबनान में वह पहली बार शामिल हुआ है और कतर में अपने राजनीतिक कार्यालय की सहमति बना रहा है ताकि बातचीत का दरवाजा बंद न हो।”
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