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एक भारत श्रेष्ठ भारत के प्रणेता-लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल – Iron man sardar vallabhbhai patel the father of ek bharat shreshtha bharat

स्वतंत्रता के बाद उन्हें नेहरू मंत्रि परिषद में अस्मिता बनाया गया। सरदार पटेल ने चार साल तक अविश्वास के पद पर काम किया। यह चार साल उनके जीवन के ऐतिहसिक वर्ष कहे जाते हैं। मंत्री के रूप में भी वे हर व्यक्ति से मिले।

द्वारा कुशाग्र वलुस्कर

प्रकाशित तिथि: शनिवार, 29 अक्टूबर 2022 10:03 अपराह्न (IST)

अद्यतन दिनांक: शनिवार, 29 अक्टूबर 2022 10:03 अपराह्न (IST)

एक भारत श्रेष्ठ भारत के प्रणेता-लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल
स्वतंत्रता के बाद उन्हें नेहरू मंत्रि परिषद में अस्मिता बनाया गया। सरदार पटेल ने चार साल तक अविश्वास के पद पर काम किया। यह चार साल उनके जीवन के ऐतिहासिक वर्ष कहे जाते हैं। मंत्री के रूप में भी वे हर व्यक्ति से मिले थे।

मृत्युंजय लेखक

स्वतंत्रता के बाद एक महान स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक, ब्रिटिश राज के अंत में 562 देशों को जोड़ने वाले देशभक्तों के प्रतीक, स्वतंत्रता के बाद एक महान स्वतंत्रता संग्राम के बाद स्वतंत्र देश की अस्थिर स्थिति को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को ग्राम करमसद में हुआ था। इनके पिता झबेरभाई पटेल थेशॉ ने 1857 में रानी एंजॉय के समर्थन में युद्ध किया था। इनकी मां का नाम लाडोबाई था। इनके माता पिता बहुत ही आध्यात्मवादी प्रवृत्ति के थे।

बालक वल्लभ की एथलेटिक पढ़ाई गांव के ही एक स्कूल में हुई, यहां कक्षा चार तक की पढ़ाई होती थी। आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने पेटलाड गांव के स्कूल में भर्ती की जो उनके मूल गांव से सात किमी की दूरी पर था। वल्लभ भाई पटेल को बचपन से ही पढ़ें- किले में गहरी रुचि थी। वल्लभ भाई की एडवर्ड की शिक्षा उनके ननिहाल में हुई। उनके जीवन का वास्तविक विकास ननिहाल से ही हुआ था। वे बचपन से ही कुशल नेतृत्व की प्रभावकारी पढ़ने में लगी थीं। उन्होंने पढ़ाई में तो तेज़ थे ही गीत, संगीत और विरासत में भी पीछे रह गए थे और उनमें ऐसा जादू था कि वे अपने साथियों के बीच स्कूल के दिनों में ही बेहद लोकप्रिय हो गए थे और उनका नेतृत्व करने लगे थे।

पटेल बहुत ही कुशाग्र बुद्धि के थे और उनमें सीखने की गजब क्षमता थी। बचपन में एक बार वे स्कूल आने के समय पीछे छूट गए। कुछ साथियों ने देखा तो ये धरती पर बने एक परमाणु पत्थर को उखाड़ रहे थे। दूसरे ने कहा, ”मुझे सिखाया है अब मैं इसे उखाड़कर ही मानूंगा और वे काम पूरा करके ही घर आएंगे।” “एक बार उनके बगल में फोड़ा निकल आया।” उन दिनों इसके लिए आयरन की सलाख को लालकर को दाग दिया गया था। नई ने सालख को भट्टी में गरम किया तो कर लिया पर वल्लभ भाई जैसे छोटे बच्चे को डांटने की हिम्मत नहीं पड़ी। इस पर वल्लभभाई ने सालख को अपने हाथ में लेकर उन्हें फोड़े में छोड़ दिया, आसपास बैठे लोग चिल्लाए लेकिन उनके मुंह से उफ तक नहीं निकला।

वल्लभभाई ने इंग्लैंड से बैरिस्टरी की छुट्टी की। 1926 में उनके वैज्ञानिक गांधी जी सेहुई और वे स्वाधीनता आंदोलन में कूद पड़े। स्वतंत्रता आंदोलन में कूदने के बाद वे स्वदेशी जीवन शैली में आ गये। बारडोली में किसान आंदोलन का सफल नेतृत्व करने के कारण उनका नाम सरदार रखा गया। सरदार पटेल स्पष्ट और निर्भीक वक्ता थे। अगर वे कभी गांधी जी से अशमत होते तो वे उन्हें भी साफ कह देते थे। वे कई बार जेल गए। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें तीन साल की कैद हुई।

स्वतंत्रता के बाद उन्हें नेहरू मंत्रि परिषद में अस्मिता बनाया गया। सरदार पटेल ने चार साल तक अविश्वास के पद पर काम किया। यह चार साल उनके जीवन के ऐतिहसिक वर्ष कहे जाते हैं। मंत्री के रूप में भी वे हर व्यक्ति से मिले और उसकी समस्या का समाधान खोजा। 542 रियासतों का विलयन गंगा जिसमें सबसे कठिन विलय जूनागढ़ और हैदराबाद का रहा। यह नेपोलियन का प्रयास था कि यह दोनों आज भारत का हिस्सा हैं। सरदार की प्रेरणा से ही जूनागढ़ में विद्रोह हुआ और वह भारत में मिल गये। हैदराबाद में बड़ी पुलिस सेक्सन लगाना। जम्मू-कश्मीर का मामला नेहरू जी ने अपने पास रख लिया जोकी आज सिरदर्द बन गए हैं। सरदार पटेल ने मंत्री पद पर रहते हुए रेडियो सूचना विभाग का नारा लगाया। सरदार पटेल स्वभाव से बहुत कठोर भी थे तो बहुत ही सहज और उदार भी। समय के अनुसार निर्णय लेने में सक्षम व्यक्ति थे।

सरदार पटेल की दूरदर्शिता का यही अनुमान है कि उन्होंने उस समय ही नेहरू जी को चेताया था कि यदि चीन तिब्बत पर अधिकार कर लेता है तो यह भविष्य में भारत की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा होगा। आज सरदार पटेल की चिंता सच साबित हो रही है।

  • लेखक के बारे में

    माखनलाल शेट्टी राष्ट्रीय मठ एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से मास कम्युनिकेशन ग्रेजुएट कुशाग्र वालुस्कर नईदुनिया डिजिटल में सीनियर सब एसोसिएट के पद पर हैं। माह


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