उदयपुर कांड व बयानवीरों से आहत हिंदू समाज में आयेगी नयी चेतना ! – A new consciousness will come in Hindu society hurt by Udaipur incident and Narrators
अभी तक हत्यारों के दस सहयोगी ड्यूक में गए हैं और पूछताछ में कई चाजर्स वाली जानकारियां भी सामने आ रही हैं।
द्वारा नवोदित शक्तावत
प्रकाशित तिथि: शनिवार, 02 जुलाई 2022 04:57 अपराह्न (IST)
अद्यतन दिनांक: शनिवार, 02 जुलाई 2022 05:01 अपराह्न (IST)
मृत्युंजय लेखक
राजस्थान का ओपन जिला जो केवल राजस्थान का ही नहीं बल्कि वरन देश का भी सबसे शांत और सजावटी में से एक माना जाता है। इसी उदयुपर जिले में एक बहुत ही साधारण हिंदू में दर्जी डॉमीलाल की दुकान में आतंकवादी दिवस-दाहाड़े हथियार से निर्ममता ने उसकी हत्या कर दी। पूरे देश में ग़ैरक़ानूनी फ़्लाइंड के उद्देश्य से हत्या का वीडियो भी सोशल मीडिया पर जारी किया गया। वीडियो में प्रधानमंत्री का भी यही हश्र करने की धमकी दी गई है। नुपुर शर्मा द्वारा हत्यारा, गद्दार लाल का सोशल मीडिया पर समर्थन करने के कारण सबक सिखाना चाहते थे।
इस खबर के मुताबिक आम जन का आक्रोश जब पूरे देश में आग की तरह फैल गया तो राजस्थान पुलिस ने डकैती डाली और वीडियो में दिख रहे हत्यारों को गिरफ्तार कर लिया। जनता के भारी आक्रोश को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी मामले की जांच की, स्मारक को फिर से तैयार किया गया है, अभी तक हत्यारों के दस सहयोगी सहयोगियों के लिए गए हैं और पूछताछ में कई विश्लेषकों वाली जानकारियां भी सामने आ रही हैं।
यूके के इस जघन्य हत्याकांड के बाद केवल राजस्थान में ही नहीं वरन् यूनेस्को में आक्रोश और तनाव है। यूके में सहयोगियोंलाल के अंतिम संस्कार में हजारों की भीड़ ने गगनभेदी नारियों के बीच उन्हें अंतिम विदाई दी। घटना के विरोध में हिंदू समाज और अनुयायियों की ओर से सत्यलाल हत्याकांड के विरोध में बंदा में भारी जनसैलाब के विरोध में सड़कों पर प्रदर्शन किया गया और जनमानस की एक ही मांग थी कि आरोपियों को फांसी दे दी जाए और पूरे मामले की समर्थक जाच मित्र पर हमला कर दिया जाए। ताकि पता चल सके कि आखिरी दुकानें और कैसे हुई।
इस नृशंस घटना पर हो रही मीडिया में बहस के दौरान देश का एक बड़ा सेकुलर वर्ग घटना की निंदा करने में भी अपनी सेकुलर राजनीति के तहत मुस्लिम तुष्टिकरण में लगा था और मुस्लिम दरिंदों का बचाव किया गया केवल नुपुर शर्मा के बयान को ही घटना के लिए पेश किया गया जिम्मेदार मन रहा था.
आश्चर्यजनक रूप से सर्वोच्च न्यायालय के कुछ न्यायाधीश भी इसी तरह से एक रंगीन मोटरसाइकिल में शामिल हुए और निर्णय के स्थान पर प्रवचन दिया। इन जजों नूपुर शर्मा की घटना में शामिल देशों के आज के खराब माहौल के लिए पूरी तरह से नूपुर को ही जिम्मेदार बताया गया है, यहां तक कि इन जज़ों नूपुर शर्मा को भी जिम्मेदार ठहराया गया है। गिरफ़्तारी क्यों नहीं की गई?
नूरपुर कोर्ट की यह टिप्पणी (जो ऑर्डर का अंग नहीं है) के बाद सेकुलर इक्विटीज के बच्चे खिल गए हैं। आज सेकुलर इंटरनेट पर ऐसी बयानबाजी कर रही है जैसे उसे हिंदू समाज की आस्था और देवी देवताओं के अपमान का खुला लाइसेंस मिल गया हो। नूपुर शर्मा की प्रतिष्ठा में राजस्थान सरकार की मुस्लिम तुष्टिकन की संस्था का फ्रैंक डिफ्रेंस कर रही है। ऐसा लग रहा है कि अब उसे अधिकार मिल गया है कि वह अब फव्वारा को बोलने के लिए कह रही है और मुस्लिम समाज के पापों को सही ठहराते हुए उनकी सुरक्षा करती है।
अगर मैंने भी लिया है कि सभी फसादों के लिए नूपुर ही जिम्मेदार हैं तो फिर नूपुर को उकसाने वाले तस्लीम रहमानी को गिरफ्तार करने का आदेश न्यायलय ने क्यों नहीं दिया? ओवैसी और तौकीर राजा जैसे लोग खुले में क्यों घूम रहे हैं? सबा नकवी, जापानी मोइत्रा, रतन लाल जैसे देवता का नाम, हिंदू आस्था, प्रतीक और देवी देवताओं का अपमान क्यों खुलेआम घूम रहा है? इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से एक से अधिक बार टिप्पणी की है, उस पर भी उनके लोगों को संदेह ही होगा और सम्मान कम होगा।
सर्वोच्च टिप्पणी के कारण आज राजस्थान की सरकार और कटरपंथी मुस्लिम संगठन और उनकी विचारधाराओं का आरक्षण करने वाले एयरटेल सोसाइटी में फिर से एक नई जान आ गई है। सुप्रीम कोर्ट से यह संदेश निकल रहा है कि हिंदुस्तान में बिजनेस को ही बोलने की आजादी नहीं है, विचार-विनिमय की संस्कृति नहीं है, यहां धार्मिक आस्था से उद्बोधन जिरह की चुनौती नहीं जा सकती है, यहां ईशन डिंडा कानून लागू है और दरअसल भारत में एक इस्लामिक अपराधी है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिपण्णी से गरीब दर्जी मित्रलाल के हत्यारों की पैरोकारी के रूप में रिहाई कर दी है। कोर्ट ने बिना किसी प्रकार के संकेत दिए ही अपने आप को कथित रूप से दोषी करार दे दिया है, जिसके कारण आज एक बार फिर से देश में अपमान और आक्रोश का माहौल पैदा हो गया है। एक महिला जो पहले ही घनघोर शत्रुओं से घिरी हुई थी उसके जीवन को न्यायलय ने ही और अधिक संकटों को जन्म दिया है। एक पीड़ित की सहायता करने के बजाय न्यायलय ने उसे “टान्सर से जुडा” करने वाले भेड़ियों के आश्रय कर दिया है। क्या यदि कलनुपुर शर्मा के परिवार के साथ कोई दुर्घटना घट जाती है तो उसकी जिम्मेदारी टिप्पनी कार में कमी लाना है?
कोर्ट का कहना है कि नूपुर का रास्ता गलत था लेकिन इस पर टिप्पणी यह नहीं है कि नूपुर ने तथ्यहीन और आधारहीन बातें क्या कही थीं। उनके द्वारा कही गई बातों के मूल प्रामाणिक सार और उनके तथ्यात्मकता पर चर्चा करना उचित या उचित नहीं होना चाहिए? यदि यह पाया जाता है कि बात सही है तो तथ्यात्मक था कि अलास्का के साक्ष्य का अर्थ गलत था, तो इस अनुशासन को सही तरीके से निर्देशित करें और अन्य मामलों में भी निर्णय लें। क्योंकि हजारों बातें हजारों समर्थकों से की जाती हैं उनमें से कई का तरीका कटाक्षपूर्ण या द्वेषपूर्ण होता है या माना जा सकता है तो क्या बाद में उसकी भीड़ को स्वयं हिंसक विद्रोह से न्याय करने की छूट दे दी जाएगी?
यदि अब देश के किसी भी भूभाग में गरीब हिंदू का सिर तन से जुदा हो जाता है तो उसका दायित्व न्यायलय के ऊपर क्या होगा? जब दिल्ली में भयवाह दंगे हो रहे थे तो उस समय भी दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में देश में हो रही सराय के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज किए गए थे, लेकिन तब इस प्रकार के मामले सामने आए थे, जो इस विषय पर अगली कड़ी में सामने आए थे। स्कैन की जाएगी। एम्स एम्स नेता असुददीन सोलंकी और उनकी पार्टी के सभी संविधान प्रचारकों की नकली प्रतिष्ठा लेकर सैमुअल बाजीगरी करते रहते हैं। देश के कई मौलाना कामातुर शत्रुता का जन्म कर रहे हैं जिसमें अभी मौलाना तौकीर राजा ने तो देश का तानाशाही करना बंद कर दिया है, सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली पुलिस जैसे नेताओं और मौलानाओं के खिलाफ भी टिपण्णी करने का साहस दिखाते हैं?
यहां एक जानकारी में यह भी उल्लेख किया गया है कि जे. बी. पारडीवाला मित्रलाल की हत्या के लिए नूपुर शर्मा को जिम्मेदार बता रहे हैं। उनके पिता बरजोर जी पारदीवाला कांग्रेस के नेता थे और गुजरात क्षेत्र के संगीतकार भी रहे हैं, इसी परिचय से उनके अनुयायियों का मूल समझा जा सकता है। सही समय है कि इस तरह की ओछी टिप्पणी करने वाले जो के खिलाफ भी महाभियोग लाए जाएं।
राजस्थान में जो कुछ भी हुआ उसके लिए किसी भी सीमा तक विक्रेता मुस्लिम तुष्टिकरण पर राज्य की कांग्रेस सरकार की भी कम जिम्मेदारी नहीं है। इस सरकार ने कुछ महीने पहले ही पीएफआई जैसे कि नोएडा संगठन को कोटा में रैली करने की अनुमति दे दी थी और उस रैली में हिंदू समाज, भारत सरकार, भाजपा और संघ के खिलाफ भारी उग्र विद्रोह हुआ लेकिन हिंदू समाज शांत रहा। नूपुर शर्मा जी की मूर्ति से काफी पहले राजस्थान में प्लाटों पर अत्याचार की एक के बाद एक कई घटनाएं घटीं लेकिन मुस्लिम तुष्टिकरण में अंधी होले राजस्थान सरकार के निक्कमेपन के कारण कटटरपंथियो के लगातार ज्वालामुखी उभर रहे थे।
सरकार ने कांग्रेस के संरक्षण में राजस्थान में पीआईएफई अपनी जड़े जमा कर ली है। बिजनेसमैन पर बिना किसी कारण के सुडिज़ैनेटिक आक्रमण करना उनका रोज़ का शगल है। करौली में गणतंत्र दिवस के दिन हिंसक हिंसा हुई जिसमें पुलिस ने सामुदायिक विशेष पर कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि जेल में डाल दिया। इसी प्रकार के होटल और जोधपुर में तनाव के हालात बने हुए हैं, लेकिन प्रशासन ने कब्जे वाले कब्जों के खिलाफ ही कार्रवाई कर दी, जिससे हिंदू समाज का आक्रोश बढ़ रहा है। मित्र लाल की जघन्य हत्या और उस पर न्याय की अपील कि टिपन्नी ने हिंदुओं के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है, यह कलंक हिंदू समाज को एकजुटता की भावना देने का साहस देने वाला समाज है।
प्रेषक – मृत्युंजय मित्र
123, सहकारीगंज, गल्ला मंडी
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