उत्तर कोरिया के मिसाइल प्रोग्राम से जुड़ा शख़्स जो दक्षिण कोरिया में सांसद बन गया – BBC News हिंदी
चुंग-क्वोन जब समुद्र तट पर थे तो वे अपने देश उत्तर कोरिया के लिए परमाणु मिसाइल बनाने में मदद कर रहे थे।
ये मिसाइलें पश्चिमी देशों को धमकाने के लिए समय-समय पर उत्तर कोरिया में परीक्षण के लिए भेजी गई थीं।
स्थिर समय में वो अपने पड़ोसी देश में सासंद बन गए हैं। इसी सप्ताह दक्षिण कोरिया में चुंग-क्वोन को नामित चुना गया है।
जब कोई व्यक्ति किसी तानाशाही शासन से बचकर डेमोक्रेटिक माफिया की तरफ जाता है तो वो बेहतर जीवन और अच्छे मंत्रियों की तलाश में होता है। लेकिन क्या एक मॉडल और फिर कोई दिन राष्ट्रपति बन सकता है? ये संभव है.
लेकिन उत्तर कोरिया से एक विशेष के लिए ये अप्राकृतिक है। 37 साल के पार्क चुंग-क्वोन चौथे ऐसे व्यक्ति हैं जो दक्षिण कोरिया में आने के बाद सत्ता के गलियारों तक अमेरिका हैं और न्यूनतम बने हैं।
उन्होंने बीबीसी को बताया, “जब मैं दक्षिण कोरिया आया था तो मेरे खाली हाथ थे और अब मैं यहां की राजनीति के टुकड़ों में फंस गया हूं।”
“मैं प्रमाणित करता हूं कि ऐसा संभव हुआ क्योंकि इस उदारवादी लोकतंत्र की ताकत है और यहां के नागरिकों ने यह कर दिखाया है। यह एक चमत्कार है और देखें तो भी आशीर्वाद दें।”
देश छोड़ने के बारे में माता-पिता तक को नहीं बताया गया
उत्तर कोरिया से जुड़े मामलों पर नजर रखने वालों के लिए ये विकास का संकेत है।
सैंड्रा फाही ओटावा की कार्लटन यूनिवर्सिटी में एसोसियेट प्रोफेसर हैं। उन्होंने उत्तर कोरिया के जीवन पर शोध किया है।
वो कहते हैं, “दसियों हज़ारों उत्तर कोरियाई लोगों ने इस सत्ता के खिलाफ़ आम आदमी को वोट दिया है, उन्होंने अपनी ज़िंदगी की मंजिलें यहां की दमनकारी सत्ता का विरोध किया है। कुछ लोगों ने अपनी जान दी है लेकिन कई लोग यहां से बचकर भागे हैं और विश्व लाभ ले रही है।”
“लोकतंत्र में प्रतिनिधित्व और राजनीति में शामिल होने का महत्व आपकी बेहतर समझ हो सकता है कि आपकी जिंदगी का एक हिस्सा उस दुनिया में मौजूद है जहां यह शामिल है।”
15 साल पहले पार्क उत्तर कोरिया से बचकर भाग आये थे। उस वक्त उनकी उम्र 23 साल थी. उन्होंने उत्तर कोरिया छोड़ने की अपनी योजना के बारे में नहीं तो अपने माता-पिता को कुछ और अपने परिवार के अन्य सदस्यों को बताया।
उनका कहना है कि ये बेहद जोखिम भरा था और अगर उनके परिवार को इस बारे में कोई जानकारी मिलती है तो उनकी जान को खतरा हो सकता है।
उत्तर कोरिया में अपने आखिरी तीन साल में वो नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी में थे जहां वो उन छात्रों में शामिल थे जो उत्तर कोरिया में परमाणु विस्फोट की तकनीक विकसित करने का भार था।
उनका अधिकांश वक्त राजधानी प्योंगयांग में बीता था, हालांकि इससे पहले 1990 के दशक में उनका बचपन देश के उत्तरी हिस्सों में बीता था। यह तब हुआ था जब देश में भयंकर तूफान आया था और इस कारण यहां लाखों लोगों की मौत हो गई थी। ऐसे समय में यहां कालाबाज़ारियों के ज़ोर पर था और लोग उस पर एक तरह से प्रतिबंध थे।
लेकिन दुनिया के बारे में उनकी जानकारी और समझ दक्षिण कोरिया टेलीवीजन शोज़ के विकसित हुए आंकड़ों में शामिल कर देश में लाया गया था। चीन में पढ़ाई के दौरान भी उन्हें बाहरी दुनिया को इशारों का मौका मिला जहां नए विचारों के लिए उनकी आलोचना हुई।
जब तक वो यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएट हुए, उन्होंने कोरियाई मीडिया से कहा कि उन्हें यह बात पता चली है कि “उत्तर कोरियाई सत्ता एक अपराधी है और उसके जाल में फंसी हुई है।”
इसके बाद उन्होंने यहां से प्रस्थान की योजना बनाई और इंतजार किया।
ये मौका उन्हें साल 2009 के अप्रैल महीने का एक दिन मिला. उत्तर कोरिया ने उस दिन पहले अपने इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। ये वही मिसाइल थी जिसे उन्होंने कई प्राचीन काल में बनाया था।
पूरा देश इस सफलता का “जश्न मना रहा था।” उन्होंने मौका देखा और अगले दिन सवेरे चोरी मित्र वहां से निकल भागे।
उत्तर कोरिया से बाहर मुखपृष्ठ भी अपने आप में सज़ा जैसा था। उन्होंने फास्ट से फास्ट का महंगा चुनाव किया, उन्होंने चीन से होते हुए जाने का फैसला किया। इसके लिए उन्हें एक करोड़ वॉन कोरियाई मुद्रा (सात हजार 300 डॉलर) खर्च करना पड़ा। इतने बड़े स्टेशनों की पेशकश के बावजूद, स्टूडियो ने उन्हें जो जाली पासपोर्ट दिया था, वह भी किसी घटिया सर्टिफ़ेकेट के रूप में था।
दक्षिण कोरिया में आगे की पढ़ाई
डेस साल एनके न्यूज़ एक साक्षात्कार में उन्हें वह वक्ता तब याद आया जब उन्हें पहली बार लगा कि वे आज़ाद हैं। उन्होंने बताया कि चीन की ओर से चित्रित किए गए तुममेन नदी के किनारे की ओर बढ़ते हुए वे आजाद हो रहे थे और खोखले हो गए, उन्हें पता चला कि वो “अंतरराष्ट्रीय अनाथ” हैं।
उनके लिए एक और महत्वपूर्ण वक्ता वो था जब उन्हें दक्षिण कोरिया का पासपोर्ट मिला। वो कहते हैं ये उनकी जिंदगी के सबसे खुशगवार पलों में से एक था।
1990 के वक्त से लेकर अब तक 35 हजार उत्तर कोरियाई नागरिक अपने देश से भागकर दक्षिण कोरिया आ चुके हैं। लेकिन यहां आने वाले कई और नागरिकों की तुलना में पार्क जल्द ही अपनी नई जिंदगी में चले गए, यह एक चुनौती थी लेकिन संभ्रात परिवार से होने और अच्छी शिक्षा के कारण इसमें उन्हें आसानी हुई।
उन्हें देश की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी, सोल नेशनल यूनिवर्सिटी में नामांकित किया गया जहां उन्होंने विज्ञान और इंजीनियरिंग में अध्ययन की पढ़ाई की। इसके बाद दक्षिण कोरिया की सबसे बड़ी कंपनी से एक हुंडे स्टील में अच्छी नौकरी मिल गई।
इसके बाद एक दिन राष्ट्रपति की पार्टी के लोग उनसे मिलने आये।
पार्क ने बीबीसी को बताया कि उन्होंने राजनीति में कदम रखने के बारे में कभी नहीं सोचा था, लेकिन जब पीपल पावर पार्टी के लोगों ने आपसे संपर्क किया तो उन्हें लगा कि वो समाज को वापस लाना चाहता है जो उन्हें मिला।
रविवार को चुनाव में पशुपालन पार्टी के दूसरे नंबर के प्रतिनिधि की सीट पक्की हो गई थी। लेकिन आख़िर में जो नतीजे आए वो बेहद आलोकप्रिय राष्ट्रपति यून सुक-योल और उनकी विशेष पावर पार्टी के लिए अच्छे नहीं थे।
लेकिन सकारात्मक पार्क नजरिया बनाए रखने वाले व्यक्ति हैं और अब एक चुने हुए सांसद के तौर पर उनकी अपनी बड़ी हिस्सेदारी है।
इससे पहले दक्षिण कोरिया की सरकार ने उत्तर कोरिया से भागकर आये दो लोग स्वार्थी नेता शामिल थे. इनमें से एक थे ते योंग-हो जो गंगनम जिले के प्रतिनिधि कर रहे थे। योंग-हो ब्रिटेन के लिए उत्तर कोरिया के राजदूत थे और 2016 में अपने लंदन निवास के दौरान उन्होंने देश छोड़ने का फैसला किया था।
एक और शख्स थे जी सॉन्ग-होखो 1996 में भूख से अपने परिवार के लिए ट्रेन से कोयला चुराने की कोशिश में अपना एक हाथ और एक अनोखा खो दिया था। वो भूख से बोहोश हो गए थे और ट्रेन के दो डिब्बों के बीच बनी जगह से नीचे गिर गए थे। ट्रेन के पहिए उनके ऊपर से गुज़र गए। बाद में वो किसी तरह उत्तर कोरिया के बचकर आशियाने में शामिल हो गए।
लंबे समय से इन स्मारकों की कोशिश की जा रही है कि वो उत्तर कोरिया से जान बचाकर आने वाले लोगों के लिए हालात में सुधार करें।
कई लोगों का कहना है कि दक्षिण कोरिया आकर उन्होंने नई जिंदगी की सांस जरूर ली है लेकिन यह भी उनका अपना ख़ामियाज़ा है। दक्षिण में उनके साथ अन्य दर्जे के नागरिकों की तरह का व्यवहार किया जाता है।
इसी वजह से जी सॉन्ग-हो ने 2020 में राजनीति में कदम रखने का फैसला किया। उत्तर कोरिया से भागकर आए कुछ लोगों को दक्षिण कोरिया के अधिकारियों ने आरोपों के संदेह में पासपोर्ट डिपोर्ट कर दिया था। इसके बाद वे दक्षिण आने वाले उत्तर कोरियाई नागरिकों के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
‘उत्तर-दक्षिण को एक करने की कोशिश की गई है’
साल भर पहले उत्तर कोरिया से भागकर आई एक मां और उसका बच्चा सोल में अपने घर में मृत पाई गई थी। बताया गया है कि दोनों की मौत भूख से हुई थी।
पार्क का कहना है कि उनका पहला उद्देश्य दक्षिण कोरिया के नागरिकों की मदद के लिए दक्षिण कोरिया की व्यवस्था करना है। वो उन्हें कलाकृति एल्बम के हिमायती हैं। उनका कहना है कि कोविड महामारी के कारण सील कर दी गई और उत्तर कोरिया से नए लोग दक्षिण कोरिया नहीं आ सके, ऐसे में उत्तर कोरिया से आने वाले लोगों के लिए बजट में दिए गए प्रोविजन पर फिर से विचार किया जाना चाहिए।
उनका कहना है कि उनकी इच्छा है कि उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच संबंधों की दिशा में वो कुछ कर सकें।
यही कारण है कि उत्तर कोरिया और मिसाइलें दागकर उकसाने की किम जोंग-उन की कार्रवाई से यूनान के राष्ट्रपति सुक-योल का रास्ता उन्हें पसंद आया।
कुछ लोग कहते हैं कि यून सुक-योल अमेरिका और जापान से धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं इससे उत्तर कोरिया बार-बार इसी तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं। लेकिन पार्क इस चॉकलेट को अस्वीकार करते हैं।
वो कहते हैं, “कुछ लोगों का मानना है कि यून के आने के बाद युद्ध का ख़तरा बढ़ गया है। लेकिन ये सही नहीं है। अभी के मुक़ाबले से पहले सरकार के उत्तर के दौरान कोरिया का उकसावा ज़्यादा था।”
पार्क का कहना है कि पूर्व राष्ट्रपति मून शहीद इन की सरकार के दौरान उत्तर कोरिया के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाने की कोशिशें हुईं लेकिन इसी दौरान उत्तर कोरिया के मिशन और हथियार बनाने के कार्यक्रम में इज़ाफा हुआ।
उनका कहना है कि तुष्टिकरण का रास्ता अपनाना सही नहीं है। उनका दावा है, “फिलहाल उत्तर कोरिया के प्रचार को सबसे बड़ी प्राथमिकता है और इस युद्ध को खतरे में डालने में मदद मिलेगी।”
वो मानते हैं कि आज नहीं तो कम इराके के ये दो देश फिर से एक हो जाएंगे। हालाँकि इस साल उत्तर कोरियाई शासक किम जोंग-उन ने अपनी संभावना को ख़त्म करने के लिए क़दम बढ़ा दिए हैं। उन्होंने दक्षिण कोरिया को शत्रु देश घोषित किया है, साथ ही उसकी राजधानी प्योंगयांग में भी भविष्य बनाया है, दोनों कोरिया के साथ आने के प्रतीक आर्क ऑफ री-यूनिकेशन को अनोखा से उड़ा दिया.
लेकिन पार्क इस बात से इत्तेफाक नहीं है. उनका कहना है कि दक्षिण कोरिया सरकार इसके लिए “एक ब्रिज पर” काम करने की तैयारी कर रही है।
कहते हैं, “मैं उत्तर कोरिया की सत्ता और वहां के आम लोगों के बारे में दक्षिण कोरिया के लोगों की बात समझना चाहता हूं, इसलिए आज नहीं तो कल दोनों के लिए एक होने का रास्ता खुल सकता है।”
(बीबीसी के लिए कलइंटरव्यू न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित)
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