ईरान ने इसराइल पर हमला क्यों किया? – BBC News हिंदी
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सीरिया की राजधानी दमिश्क में अपने वाणिज्य दूतावास पर हुए घातक हमलों के बाद ईरान द्वारा इज़राइल मिसाइल और समुद्र से हमले किए गए हैं।
इजराइल ने अब तक ये नहीं कहा है कि दमिश्क में ईरानी कंसास जनरल ने उसी पर हमला किया था, लेकिन माना जा रहा है कि ये उसी ने किया है।
ये पहली बार है जब ईरान ने इसराइल पर सीधा हमला किया है.
अतीत में ईरान और इसराइल में एक दूसरे के ख़िलाफ़ शत्रुता के रूप में हमले होते रहे हैं। इन दावों में एक और केशोले को सीमेंट बनाना शामिल है। दोनों ने कभी-कभी ऐसे दावे की जिम्मेदारी स्वीकार नहीं की थी।
दोनों देशों के बीच ये शक्तिशाली युद्ध गाजा-इसराइल युद्ध के बाद व्यापक रूप से हो गया है।
इज़राइल और ईरान दुश्मन क्यों हैं?
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दोनों देश 1979 तक एक-दूसरे के सहयोगी बने रहे। इसी साल ईरान में इस्लामिक क्रांति हुई और देश में एक ऐसी सरकार आई जो अलगाव के स्तर पर इजरायल की घोर विरोधी थी।
अब ईरान इसराइल की सहमति को स्वीकार नहीं करता है और वह पूरी तरह से ख़तम की वकालत करता है।
ईरान के सर्वोच्च नेता रहे अयथ्य सैयद अली खामेनेई कहते हैं कि इसराइल ‘कैंसर का ट्यूमर’ है और उसे बेशक ‘जड़ों से उखाड़ फेंका और तोड़ दिया जाएगा।’
इजराइल का यह भी कहना है कि ईरान उसके लिए खतरा है। इसराइल का कहना है कि ईरान फ़ालस्टिनी हथियारबंद व्यापार और लेबनान में शिया गुट हिज़बसा को भागीदार बनाता है।
इजराइल का आरोप है कि ईरान गुप्त रूप से परमाणु हथियार बना रहा है। हालाँकि ईरान परमाणु बम बनाना बिल्कुल असंभव है।
ईरान के युद्ध के बाद कंसास पर हमले
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ईरान ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इसराइल ने एक अप्रैल को दमिश्क में अपने कंसल में हवाई हमलों का जवाब दिया था। उस हमले में कई वरिष्ठ ईरानी कमांडर मारे गये।
ईरान इन दावों के लिए इसरायल को प्रमाणित किया गया है और वो कंसल मस्जिद पर हमलों को अपने संप्रभुता का उल्लंघन बताता है।
इज़राइल ने सार्वजनिक रूप से यह नहीं कहा कि ये हमले हुए थे, लेकिन ऐसी मान्यता है कि दमिश्क हमले के पीछे इज़राइल ही था।
दमिश्क में हुए हवाई हमलों में 13 लोग मारे गए थे. दिवंगत लोगों में ईरान की कुड्स फोर्स के ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद रेजा ज़ाहेदी भी शामिल थे। कुड्स फ़ोर्सेस ईरान के इलियट सैन्य दस्ता रिपब्लिकन गार्ड्स की ईरान के बाहर काम करने वाली फ़ोर्स है।
ज़ाहेदी लेबनान के शिया गुट हिजाब का मार्गदर्शन करते थे।
दमिश्क में ईरान के हमले पर उस पैटर्न का हिस्सा लगता है जिसके तहत कई ईरानी हिस्सेदारी का निर्माण किया गया था। माना जाता है कि इन सबके पीछे इसराइल का हाथ था।
हाल के महीनों में ईरान के रिपब्लिकन गार्डों के सीरिया के कई बड़े कमांडर मारे गए।
रिपब्लिकन गार्ड्स सीरिया के रास्ते में ही हिजाब के लिए हथियार और सैन्य साज़ो सामान मांगते हैं। इनमें मिसाइलें और डिज़ाइन तक शामिल हैं। इज़राइल इन असोसिएट्स की आपूर्ति को रोकने की कोशिश में है।
साथ ही वो सीरिया में ईरान की सैन्य ताक़त को भी नहीं देखना चाहता।
ईरान के सहयोगी कौन हैं?
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मध्य-पूर्व में अमेरिका और इज़राइल के हितों को चुनौती देने के लिए ईरान ने अपने सहयोगियों का एक नेटवर्क बनाया है। ईरान किसी भी स्तर पर इन सहयोगियों की मदद करता रहता है।
सीरियाईरान का सबसे बड़ा सहयोगी है। रूस की मदद से ईरान ने सीरिया में बशर अल-असद की सरकार की मदद की है। एक दशक से चल रहे गृह युद्ध के बावजूद बशर अल-असद सीरिया के राष्ट्रपति बने हुए हैं।
ईरान का हाथ है लेबनान का सबसे ताक़तवर हथियारबंद गुट हिजाब। गाजा और इजराइल के बीच गंदे संघर्ष के बाद हर दिन हिजाब इजराइल के खिलाफ गोलियां-बम चल रहा है।
लेबनान और इज़राइल के सरहदी इलाक़ों से हज़ारों लोगों को अपना घर सुरक्षित स्थान पर जाना पड़ा है।
ईरान अपने पड़ोसी देश इराक़ में कई शिया मिलिशिया व्यापार का साथ देता है जो अमेरिका को अंतिम झटका देते हैं। ये गुट इराक़, सीरिया और जॉर्डन में अमेरिकी अभिलेख पर अंकित रहते हैं
जॉर्डन में एक सामान पर ऐसे ही हमलों में तीन अमेरिकी सैनिक मारे गए थे। इसके बाद अमेरिका ने जवाबी कार्रवाई की थी.
यमन में ईरान हूती आंदोलन का समर्थन करता है। गृहयुद्ध झेल रहे यमन में ज्यादातर देशों पर हूतियों का ही कब्ज़ा है। गाजा में हमास के समर्थकों के निशाने पर इजरायल की ओर से मिसाइलें दागते रहते हैं।
हुती विद्रोहियों ने कॉमर्शियल प्लेस्टेशन पर भी हमले किये जिसमें कम से कम एक समुद्री जहाज डूब गया। होती के जवाब में अमेरिका और ब्रिटेन ने कई हवाई हमलों पर अपनी राय जाहिर की है।
ईरान हमास समेत कई फ़ालस्टिनी गुटों को भी हथियार और प्रशिक्षण का मौका मिला है जो सात को इसराइल पर बुलाए गए मसूदा में शामिल थे।
उसी घटना के बाद इस वक्त गाजा में चल रही इसरायली कार्रवाई शुरू हो गई थी।
ईरान और इज़राइल की सैन्य ताक़त की तुलना
ईरान इज़राइल का वनस्पति रूप बहुत बड़ा है और इसकी जनसंख्या नौ करोड़ है। ये इसरायल से दस गुना ज्यादा है. लेकिन इसका ये मतलब उसकी सेना के लिए भी बड़ा नहीं है.
ईरान ने मिसाइलों और डूबों में खूब निवेश किया है। ईरान के पास मछली पकड़ने का बड़ा जखीरा है। ईरान से यमन में हुतियों और लेबनान में हिज्ब को हथियार भेजा जाता है।
लेकिन ईरान के पास आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम और फाइटर जेट नहीं हैं। माना जा रहा है कि रूस इस मामले में ईरान की मदद कर रहा है। बदले में ईरान, रूस, जापान में जंग का समर्थन करता है और उसे अमीरों का समर्थन करता है। अब खबरें हैं कि रूस स्वयं इन प्रवासियों को बना रहा है।
इसके विपरीत इसरायल के पास दुनिया का सबसे आधुनिक शस्त्रागार है।
आईएसआईएस की सैन्य संतुलन रिपोर्ट के अनुसार इसरायली वायु सेना में फाइटर जेट्स के 14 स्कैड्रान हैं। इनमें एफ-15, एफ-16 और हाल ही में लॉन्च हुए एफ-35 जेट शामिल हैं।
इसराइल के करीबी शत्रु देश के अंदर सफल आक्रमण का भी अनुभव होता है।
ईरान और इज़राइल के पास परमाणु हथियार क्या हैं?
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ऐसा माना जाता है कि इजरायल के पास परमाणु हथियार हैं लेकिन आधिकारिक तौर पर इजरायल इसे स्वीकार नहीं करता है।
ईरान के पास कोई परमाणु हथियार नहीं है और इस बात से भी इनकार किया जाता है कि वो इसका निर्माण कर रहा है।
पिछले साल ग्लोबल कॉमर्स फर्म ईरान की एक अंडरग्राउड साइट में 83.7 फाईसडी रिसर्च वाले यूरेनियम पार्टिकल्स मिले थे। ऐसे पार्टिकल परमाणु हथियार बनाने के काम आते हैं।
ईरान ने उस वक्त कहा था कि यूरेनियम की ये धरती का ये मामला ‘अनपेक्षित-उत्सर्जन’ का था।
साल 2015 में हुई लेजर डील का उल्लंघन करते हुए ईरान खुल्लेआम दो साल से यूरेनियम को 60 साल की उम्र से लेकर अब तक 60 साल पुराना है।
साल 2018 में ये एग्रीमेंट डोनाल्ड के हाथ खींचने के बाद रद्द हो गया था।
इजराइल हमेशा से ही ईरान के साथ किसी न किसी का विरोधी रहा है.
ईरान से ईरान संदेश क्या भेजना चाह रहा है?
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इज़राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने हमलों के बाद कहा, “मेरी मिसाइलें इंटरसेप्ट कीं। ब्लॉक करें. एकजुट होकर हम विजयी होंगे।”
टॉम फ्लेचर कई ब्रिटिश प्रधानमंत्रियों के सलाहकार और लेबनान में ब्रिटेन के राजदूत भी रह रहे हैं। वे कहते हैं कि ईरानी हमले उनकी दूर तक मार करने की क्षमता के नमूने हैं।
फ़्लेचर कहते हैं, “घरेलू स्मारक पर दोनों देश दबाव में हैं।” अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना का सामना कर रहे हैं. दोनों देश आग से खेल रहे हैं।”
लेकिन वे कहते हैं कि ईरान पर हमले का ग़ैरक़ानूनी नपा-तुला ऐसा लगता है, “ईरान ने खतरनाक हमलों के बाद उन्हें आसानी से फायदा पहुंचाया है।”
उन्होंने कहा कि हिजबुद्दीन द्वारा बग़ैर पर आत्मघाती हमला करना भी एक निराधार से अस्वाभाविक बात है। कुछ इसराइली हिजाब के खिलाफ़ सख़्त मिलिटन क़दम उठा की माँग कर रहे हैं।
लंदन के चैटम हाउस थिंक टैंक के सनम वकील का कहना है कि ईरान की नजरों से हमले में सफल माना जा सकता है।
उन्होंने बीबीसी को बताया, “ईरान ने पहली बार इसराइल की संप्रभुता का उल्लंघन किया है।” ये हमले निश्चित रूप से नपे-तुले पर आधारित थे, उद्देश्य उद्देश्य सैन्य अनुसंधान को बनाना था ताकि किसी को भी कोई विशेष नुकसान न हो।
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