ईरान के हमलों का इसराइल कैसे देगा जवाब, अब आगे क्या करेंगे नेतन्याहू? – BBC News हिंदी
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इसराइली सेना ने कहा है कि शनिवार और रविवार की रात को ईरान की तरफ से 99 फ़ीसदी मिसाइलों और जहाज़ों की पहुंच से पहले ही हमला कर दिया गया था।
ईरान ने कहा है कि दो हफ्ते पहले उसने सीरिया में अपने वाणिज्य दूतावास पर जानलेवा हमले के जवाब में इस्राइल पर हमला किया था। ईरान ने सीरिया में हुए हमलों के लिए इसराइल को दोषी ठहराया था.
लेकिन ये संघर्ष अब यहां से कौन-सा मोड़ लेगा, ये इस बात पर प्रतिबंध लगाता है कि ईरान के हमलों का इसराइल किस तरह जवाब देगा।
इस इलाक़े ने दुनिया के दूसरे देशों के साथ-साथ और मुज़ाहिरों ने संयम की अपील की है। इनमें वो देश भी शामिल हैं जो ईरानी सत्ता को पंसद नहीं देते।
ईरान के परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में तेजी से वृद्धि हो रही है। उनका रुख है, “हिसाब-किताब पूरा हुआ, इस मामले का अंत था। हम फिर हमला मत करना नहीं तो हम भी स्ट्रॉक्ल स्ट्राइक करने को बाध्य होंगे, ऐसा हमला जिसका आप मुकाबला नहीं कर पाएंगे।”
लेकिन इज़राइल ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह इस हमले की “कड़ी प्रतिक्रिया प्रतिक्रिया” की प्रशंसा करती है। इज़राइली इतिहास में ईरान की सरकार को सबसे कट्टर सरकार कहा जाता है।
दक्षिणी इसराइल पर हुए हमास के हमलों पर इसराइल ने करारा जवाब दिया था। उसने गाजा पट्टी पर हमला किया और छह महीने तक वहां भीषण तबाही मचाई।
ईरान की तरफ से सीधे-सीधे हमलों को इसराइल के हमले में शामिल करते हुए ऐसे ही छोड़ दिया गया, ऐसा नहीं लगता, हालांकि बेहद सुव्यवस्थित तरीकों से चलाए गए इस हमले का ज़मीनी स्तर पर कम ही असर देखा गया।
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तो अब इज़राइल के पास क्या विकल्प हैं?
हो सकता है कि इजराइल इलैके के अपने पड़ोसियों की बात सुने और “रणनीतिक संयम” बरते हुए आगे बढ़े। वो ईरान के हमलों का जवाब देने के बजाय इराक में ईरान के आतंकियों के सहयोगी (ईरान के आतंकी हथियारबंद गुट) जैसे कि लेबनान में हिजाब या सीरिया में उसके आतंकियों के आतंकी हमले जारी रख सकते हैं, जो वह ईरान से कर रहा था।
ये भी हो सकता है कि इसराइल लॉन्ग-डोरी की मिसाइलों का इस्तेमाल इसी तरह के कई सु नियोजित हमले करते हैं जिसमें वो ईरान के उस हिस्से को अंतिम रूप देते हैं जहां से ईरान ने शनिवार रात उस पर मिसाइल दागे थे.
लेकिन ईरान इस पर हमले को किसी तरह बढ़ाएगा, क्योंकि यह पहली बार होगा जब इसराइल सीधे-सीधे ईरान में अपनी हिस्सेदारी को सीमित रखेगा, न कि इला के अन्य देशों में मौजूद उसके हमलों पर हमला होगा।
या इज़राइल ईरान के शक्तिशाली रिवॉल्यूशनरी गार्ड कोर (ताराजीसी) से संबंधित सांख्यिकी, प्रशिक्षण शिविर और कमांड-कंट्रोल केंद्रों को एक-एक कदम आगे बढ़ाया जा सकता है।
हालाँकि, बाद वाले दोनों विकल्पों में ही ये जोखिम है कि ये ईरान को बदलाव के लिए उकसा सकता है।
यहां सबसे अहम सवाल ये भी है कि इन सब अमेरिका को भी क्या पकड़ाया जाएगा. इस क्षेत्र में ईरान और अमेरिकी सेना के बीच बड़े पैमाने पर जंग शुरू होने का खतरा हो सकता है।
अमेरिका के पास की खाड़ी के सभी छह अरब देश सीरिया, इराक और जॉर्डन में सैन्य सहयोगी हैं। ये सभी अंतर्राष्ट्रीय रॉकेट के बावजूद ईरान के बैलिस्टिक और अन्य मिसाइलों के जख़ीरे का मिश्रण बन सकते हैं, जिनमें ईरान के परमाणु बम भी शामिल हैं।
अगर आने वाले वक्त में उस पर हमला होता है तो ईरान भी कुछ ऐसा कर सकता है, खतरनाक खतरा वह लंबे समय से दे रहा है।
वह माइन्स, डैमेज और तेजी से हमला करने वाले प्लांट के इस्तेमाल से प्रमुख होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने की कोशिश कर सकता है। इस दुनिया भर में कुल तेल आपूर्ति के एक चौथाई हिस्से के अटकलों का खतरा है।
यह एक बुरा सपना जैसा होगा, जो अमेरिका और खाड़ी देशों को एक व्यापक युद्ध में चित्रित कर सकता है। इस स्थिति से बचने के लिए कई देशों के सरकारी चौबीसों घंटे सक्रिय हैं।
क्या है पूरा मामला
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एक अप्रैल को सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर हुए हमलों में उसके सात अधिकारियों की मौत हो गई थी।
मृतकों में ईरान एलीट कुद्स फ़ोर्स के कमांडर ब्रिगेडियर-जनरल मोहम्मद रज़ा ज़ाहेदी और उनके डिप्टी ब्रिगेडियर-जनरल मोहम्मद हादी हाजी-रहीमी का नाम शामिल था। रेज़ा ज़ाहेदी ईरान के शीर्ष कमांडरों में से एक थे।
ईरान ने इस हमले के लिए इजराइल को दोषी ठहराया है और कहा है कि वह इसे अंजाम देने वालों को जवाब देने का हक है।
इसके बाद ही ये खतरा पैदा हो गया था कि ईरान किसी भी दिन इसरायल पर जवाबी हमला कर सकता है। अमेरिका ने भी दी थी इसकी चेतावनी.
बीबीसी के लिए कलइंटरव्यू न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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