इसराइल पर संभावित हमले को लेकर अमेरिका की ईरान को हिदायत – BBC News हिंदी
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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने ईरान पर हमला करने का खतरा जताया है।
अप्रैल में वाणिज्य प्रथम तिथि को सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरान के दूतावास पर हमला हुआ था। इसके लिए ईरान ने इज़राइल को नियुक्त किया था।
इस हमले में एक वरिष्ठ ईरानी कमांडर समेत 13 लोगों की मौत हो गई थी. दिवंगत मृतकों में ईरान की एलीट कुड्स फोर्स के कमांडर ब्रिगेडियर-जनरल मोहम्मद रेजा ज़ाहेदी और उनके ब्रिगेडियर-जनरल मोहम्मद हादी हाजी-रहीमी का नाम शामिल है।
इसके बाद ईरान में जल्द ही इसराइल पर पलटवार किया जा सकता है।
हालाँकि इज़राइल ने इस हमले को स्वीकार करने की बात नहीं कही है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि यह हमला उसी ने किया है।
अमेरिकी अधिकारियों ने बीबीसी के अमेरिकी सहयोगी सीबीएस न्यूज को बताया कि इजरायल पर जल्द ही बड़ा हमला हो सकता है।
इज़राइल का कहना है कि वह अपनी रक्षा के लिए तैयार है। वहीं जो बिडेन ने ईरान से इजरायल पर हमले की बात कही है।
बिडेन ने कहा, ”हम इसराइल की रक्षा के लिए निश्चित हैं। हम इज़राइल का समर्थन करेंगे। हम इज़राइल की रक्षा में मदद करेंगे और ईरान इसमें शामिल नहीं होंगे।”
गाजा में इजरायल से लड़ने वाले फलस्टिनी ग्रुप हमास का समर्थन करने के साथ-साथ ईरान जैसे कई शत्रुतापूर्ण समर्थकों का समर्थन करते हैं, जो इस क्षेत्र में इजरायल पर हमला करते हैं। इसमें लेबनान का हिजाब संगठन भी शामिल है.
शुक्रवार को हिज़बाबाद ने कहा कि लेबनान से इसराइल की तरफ से रॉकेट लांचर लॉन्च किए गए हैं.
इजरायली सेना (बीओएफ) के प्रवक्ता ने कहा कि करीब 40 मिसाइलें और बम लॉन्च किए गए, जिनमें किसी के भी दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर नहीं है।
एक अमेरिकी अधिकारी ने सीबीएस न्यूज़ को बताया कि यह हमला, इज़राइल पर किसी भी तरह से ईरानी हमलों से अलग था।
ईरान क्या सोच रहा है?
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बीबीसी के सुरक्षा विषयों के पत्रकार फ्रैंक गार्डनर का कहना है कि ईरान डीए चाहता है कि मध्य पूर्व और अमेरिका में हमलों का खतरा बना रहे।
एक अप्रैल के हमलों के बाद से इसराइल का पतन हो गया है कि ईरान.. लेबनान और सीरिया में खाड़ी देशों से अलग-अलग तरीकों से अपना आश्रय दे रहा था, दूसरी ओर ईरान में इज़राइल पर पलटवार करने को लेकर अलग-अलग मत सामने आ रहा है रहे हैं.
सही समय का इंतज़ार किया जा रहा है. दो तरीके हैं. सबसे पहले इसराइल पर ज़ोरदार हमला किया जाए, जिसका जवाब भी वह क्लासिकी से देगा। दूसरा ये कि बड़ा हमला न किया जाए, लेकिन इससे ईरान की एक कमजोर छवि बनेगी।
ऐसा ही एक समय है जब पूरे मध्य पूर्व और अमेरिका जैसे देश पर हमला हो सकता है।
ईरान में समाजवादी लोग संयम की मांग कर रहे हैं, जबकि उम्रदराज़ और सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह अली ख़ामेनेई सहित कट्टरपंथी लोग इसरायल के खिलाफ़ कड़ी प्रतिक्रिया की मांग कर रहे हैं।
लेकिन ईरान बड़े पैमाने पर युद्ध नहीं चाहता है और न ही वह खाड़ी के अरब हिस्सों के पड़ोसी के रूप में ऐसा चाहता है, क्योंकि वहां के विस्तार ने ईरान से संयम के लिए संबंध बनाए हैं।
ईरान के एडव बावली
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बढ़ते तनाव के कारण अमेरिका, ब्रिटेन, भारत और ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों ने अपने नागरिकों से इज़राइल की यात्रा न करने की सलाह दी है। इसके अलावा जर्मनी ने अपने नागरिकों को ईरान से निकलने की अपील की है।
भारत ने अपने नागरिकों से कहा है कि वे अगली सूचना जारी करते हुए ईरान या इसराइल की यात्रा न करें।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, “जो लोग पहले ईरान या इसराइल में रह रहे हैं, उनसे अनुरोध है कि वे वहां भारतीय दूतावासों से संपर्क करें और अपना पंजीकरण करवाएं। इन दोनों देशों में रहने वालों से भी आग्रह है कि वे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करें।” का ध्यान रखें और कम से कम बाहर निकलें।”
अमेरिकी विदेश विभाग ने इज़राइल में सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवारों को तेल अवीव, यरूशलम और बर्शेबा शहरों से बाहर यात्रा करने पर भी रोक लगा दी है।
इस बीच इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामीन नेतन्याहू ने अपने गृह निवास के सदस्यों से मुलाकात की।
वहीं कुछ इज़राइलियों का कहना है कि वे ईरानी हमलों के बारे में चिंतित नहीं हैं।
यरूशलम की एक बाजार समाचार एजेंसी एएफपी से बात करते हुए डैनियल कोसमैन ने कहा, “हमें लगता है कि हम दक्षिण, उत्तर, पूर्व और पश्चिम में शत्रुओं को तैनात कर रहे हैं। मैं बहुत विश्वास के साथ कहता हूं कि हमें कोई डर नहीं है। अपने आस पास से देखो, लोग बाहर घूम रहे हैं।”
इज़राइल की तैयारी
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हाल ही में इजराइल की सरकार ने अपने लोगों को पानी, तीन दिन के लिए खाने का सामान और दवाओं का स्टॉक रखने की बात कही थी। इसके लिए इज़राइल ने कोई नया एडव बिज़नेस जारी नहीं किया है।
हालाँकि इज़राइली रेडियो के अनुसार स्थानीय अधिकारियों ने ईरानी हमलों और सार्वजनिक आश्रयों को बनाए रखने के लिए तैयारी करने की बात कही है।
पिछले हफ्ते इज़राइल डिफेंस फोर्सेज (डेटाबेस) ने घोषणा की थी कि वह कॉम्बैट यूनिट में काम करने वाले सभी सैनिकों की सभी सेनाओं को रद्द कर रही है। इससे एक दिन पहले एयर डिफेंस यूनिट्स को स्ट्रिक्ट करने के लिए रिज़र्व में किलेबंदी को भी बुलाया गया था।
कई देशों के अधिकारी ईरान पर हमला करने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं. उन्हें डर है कि अगर ईरान से ऐसा हुआ तो इसका मतलब मध्य पूर्व में एक बड़ा युद्ध होगा।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने चीन, सऊदी अरब और तुर्की के विदेश मंत्री से बात की है। ब्लिंकन इस कोशिश में हैं कि वे अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर ईरान पर हमला न करें।
शुक्रवार को अमेरिकी सेंट्रल कमांड के कमांडर से मुलाकात के बाद इजरायली रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने कहा कि ईरान के हमलों के खतरे से दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि हमें पता चले कि हमलों का जवाब कैसे दिया जाए।
हिजाब के साथ होती विद्रोहियों से भी मुकाबला
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हमास ने 7 अक्टूबर, 2023 को इस्राइल पर हमला किया था, जिसमें करीब 1200 लोग मारे गए थे। इनमें से अधिकतर इसराइल के नागरिक थे। इसके अलावा हमास से 250 से ज्यादा लोगों को बंधक ऋण वापस लिया गया था।
इजराइल का कहना है कि हमास के कब्जे में अभी भी 130 बंधक हैं और कम से कम 34 बंधकों की मौत हो गई है।
हमास के इस हमले के बाद इसराइल ने ग़ाज़ा पर ज़मीनी और आसमानी हमले शुरू कर दिए।
हमास द्वारा संचालित गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक इजरायल के इन दावों में 33 हजार 600 से ज्यादा लोग मारे गए हैं.
हमास से युद्ध के बीच इसराइल ने हर दिन अपने उत्तरी तट पर हमला करने की कोशिश की है।
इसके अलावा यमन के बड़े हिस्सों पर नियंत्रण वाले हूती विद्रोहियों ने लाल सागर से इज़राइल जाने वाले जहाजों को भी मजबूत बनाया है। इसके जवाब में अमेरिका और ब्रिटेन ने यमन में हुई विद्रोहियों पर पलटवार किया है।
(बीबीसी के लिए कलइंटरव्यू न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित)
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