आजादी के अमृत महोत्सव में संघ प्रमुख के विचारों की प्रासंगिकता – Relevance of Thoughts of Sangh chief in Nectar festival of independence
व्याख्यान माला में स्वतंत्रता आंदोलन में कांग्रेस की भूमिका को चित्रित करते हुए कहा गया था कि इस आंदोलन ने देश को कई महापुरुष दिए।
द्वारा नवोदित शक्तावत
प्रकाशित तिथि: शनिवार, 13 अगस्त 2022 12:55 अपराह्न (IST)
अद्यतन दिनांक: शनिवार, 13 अगस्त 2022 01:00 अपराह्न (IST)
कृष्णमोहन झा
हमारे देश में कुछ राजनीतिक मठों की मान्यता ही ऐसी हो गई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोई भी अपील या केंद्र सरकार के किसी भी फैसले को लेकर वे सबसे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रमुख रुख रखते हैं। यह डेयरी पिछले कई प्राचीन काल से चली आ रही है। इसका सबसे ताज़ा उदाहरण हाल में ही तब देखने को मिला जब उन्होंने आज़ादी के अमृत महोत्सव में संघ की भूमिका पर संदेह व्यक्त करने वाले अनपेक्षित प्रश्न उठाने में भी कोई आपत्ति नहीं की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी देशवासियों से अपील की थी कि वे आजादी के अमृत महोत्सव के जश्न में अपने घरों पर तिरंगे और तिरंगे को ही अपने सोशल मीडिया पर प्रोफाइल पिक शेयर करें। लोगों में देशभक्ति की भावना जगने वाली प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील का ताहे दिल से स्वागत करने के बजाय कांग्रेस के कुछ नेताओं ने यह सवाल खड़ा किया और अधिक तत्परता दिखाई कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आजादी के बाद 52 साल की उम्र तक नागपुर में स्थित संघ मुख्यालय को निशाने पर ले लिया। क्यों नहीं फहराया।
काश, संयुक्त राष्ट्र कांग्रेस नेताओं ने 2018 में संघ के ‘भविष्य का भारत: संघ का दृष्टिकोण’ विषय पर नई दिल्ली में आयोजित उस तीन दिवसीय व्याख्यान वार्ता में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जिसमें संघ का आधिपत्य स्वीकार किया गया तो उनसे प्रश्न का उत्तर उसी समय मिल गया। था. उस व्याख्यान पत्रिका में सरसंघ चालक दल मोहन भागवत ने 1931 की एक घटना का उल्लेख करते हुए कहा था कि ‘तिरंगे के जन्म से उनका सम्मान संघ की स्वयंसेवक मूर्ति है। मैं आपको सत्य घटना बता रहा हूँ। निश्चित होने के बाद,उस समय चक्र तो नहीं था, चरखा था,ध्वज पार।पहली बार फैजाबाद के कांग्रेस में उस ध्वज को फहराया गया था।
अस्सी पैर ऊंचा ध्वज स्तंभ अंकित किया गया था। नेहरू जी उनके राष्ट्रपति थे। झंडा बीच में लटक गया। ऊपर पूरा नहीं जा सका और इतना ऊंचा पैशाचों का साहस किसी का नहीं था। एक युवा भीड़ में से दौड़ और सटासट उस खंभे पर चढ़ा दिया गया। रस्सियों की गुत्थी का टुकड़ा, ध्वज को ऊपर की ओर नीचे की ओर ले जाया गया। स्वाभाविक लोगों ने स्केच पर उठाया और नेहरू जी के पास ले गए, नेहरू जी ने अपनी पीठ थपथपाई और कहा कि तुम शाम को उद्घाटित करो। आओ, तुम्हारा अभिनंदन करेंगे लेकिन फिर कुछ नेता आए और कहा कि मत बुलाओ, वह शाखा में जाता है।
जलगांव में फैजाबाद के रहने वाले श्री किशन सिंह राजपूत स्वयं सेवक थे। दा हेडगेवार को पता चला तो वे यात्रा करके चले गए। उन्होंने एक छोटा सा सिल्वर का लोटा पुरस्कार के लिए उद्योगपति के रूप में अपना अभिनन्दन किया।’ संघ के कैथोलिक ऐतिहासिक कार्यक्रम में सरसंघचालक मोहन भागवत ने यह भी बताया था कि जब पहली बार कांग्रेस ने पूर्ण स्वतंत्रता प्रस्ताव का प्रस्ताव लाहौर में पारित किया था तो दा हेडगे ने संघ के सभी गुटों की सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस का आह्वान वाला प्रस्ताव पारित किया था। उसे कांग्रेस समिति में शामिल करें। मोहन भागवत ने अपने उद्बोधन में कहा था कि ‘दा हेडगेवार के जीवन में देश का परम वैभव, देश की आजादी, यही उनके जीवन का उद्देश्य था।
संघ में और दूसरा क्या हो सकता है। इसलिए उनकी स्वतंत्रता के प्रतीक उन सार्वभौम प्रति संघ के स्वयंसेवकों द्वारा अत्यंत श्रद्धा और सम्मान के साथ समर्पित हैं। इससे दूसरी बात संघ में नहीं चल सकेगी।’ मोहन भागवत ने स्पष्ट रूप से कहा था कि संघ में भगवा ध्वज को गुरु का स्थान दिया गया है, लेकिन स्वतंत्रता के सभी प्रतीकों के प्रति उनकी श्रद्धा, भक्ति और निष्ठा असंदिग्ध है। लेकिन मोहन भागवत ने नई दिल्ली में आयोजित व्याख्यान माला में स्वतंत्रता आंदोलन में कांग्रेस की भूमिका को लेकर कहा था कि इस आंदोलन ने देश को कई महापुरुष दिए हैं।
स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के संदर्भ में संघ ने अपनी सक्रिय भूमिका की आलोचना करते हुए कांग्रेस पार्टी भले ही कोई आर्द्र नहीं कर रही हो लेकिन शायद उन्हें यह ज्ञात नहीं है कि स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव में संघ ने अपनी सक्रिय भूमिका पहले ही सुनिश्चित कर ली थी। सरसंघचालक मोहन भागवत ने गत एक वर्ष के दौरान आयोजित महत्वपूर्ण समारोहों के मंच से अपने उद्बोधन में संघ के अनुयायियों को स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव कार्यक्रम में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया है।
मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम में कहा था कि पूरी दुनिया में महापुरुषों ने जन्म लिया है और महापुरुषों ने भारत में दो सौ साल के कालखंड में जन्म लिया है। सरसंघ चालक ने अपने जीवन की प्रेरणा लेते हुए कहा था कि उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। संघ प्रमुखों ने स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के लिए नागपुर में अपने मुख्यालय में स्थित संघ के आलोचकों को भी निरुत्तर कर दिया है। ज़िम्मेदारी माँगना।
काश के आलोचकों ने संघ प्रमुखों के उन उदगारों को चुना से लिया गया जिनमें स्वतंत्रता के प्रतीक चिह्नों के प्रति संघ की अखंड श्रद्धा, सम्मान और श्रद्धांजलि के लिए अभिव्यक्ति की बात कही गई है। संघ ने गत दिवस नागपुर स्थित मुख्यालय में संघ प्रमुखों द्वारा ध्वजारोहण का जो वीडियो जारी किया है, उसके साथ उन्होंने यह संदेश लिखा है, स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव में संघ की भागीदारी का परिचय है ‘स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाएं, हर घर में स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव मनाएं, रोमानी जगहें ।’
इसी सन्दर्भ में मैं यहाँ संघ के सरकार्यवाह के सलाहकार होसबोले द्वारा अखिल भारतीय परिषद के प्रांतीय कार्यालय में एक समारोह का आयोजन किया गया था, जिसमें दिए गए ऋचा का उल्लेख करते हुए कहा गया था कि ‘महात्मा अरविन्द ने कहा था कि भारत को जगाना आपके लिए नहीं बल्कि सारी दुनिया के लिए, इंसान के लिए। उनकी यह घोषणा सत्य सिद्ध हुई।
भारत की स्वतंत्रता विश्व के अन्य देशों के स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरणा बन गई और एक करके विश्व के सभी उपनिवेश स्वतंत्र हो गए। लोकतंत्र के नामांकन के लिए, भारत के आंदोलन के लिए और विश्व मानवता के प्रयासों के लिए भारत के इस अमृत महोत्सव के अवसर पर जीवन में कुछ करने और सफलता हासिल करने की भावना प्राप्त करें।
वास्तव में मैं यहां कुछ उदाहरणों के माध्यम से यह अनुरोध करना चाहता हूं कि मैं आजादी के अमृत महोत्सव के इस ऐतिहासिक अवसर पर संघ ही नहीं किसी भी संस्था या संगठन पर ऐसी चिंतकशी से संबद्ध हो जाऊं क्योंकि अश्शूर और स्मारिक समुदाय के जन्म को इस स्मारक से लिया जाए। उत्सव की गरिमा और महत्व से प्रभावित होकर लेशमात्र को भी खतरा हो सकता है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अभी कुछ दिन पहले ही अपनी एक किताब में कहा था कि आजादी की लड़ाई में सबने सामूहिक योगदान दिया था। ऐसे ही हम सभी सामूहिक सामूहिकता के साथ हर्षोल्लास की आजादी का अमृत महोत्सव मनाना है।
(लेखक JWF के संरक्षक एवं IFWJ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं)
Source link