आईपीएल 2024 में साल 2018 वाले केएल राहुल की क्यों हो रही है चर्चा – BBC News हिंदी
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ऋषभ पंत, संजू सैमसन और ईशान किशन- यो वो तीन नाम हैं जो स्थिर आईपीएल में अपने बजट और विकेटकीपिंग के लगातार संगीतकार हैं।
आम क्रिकेट प्रेमी हो या फिर कोई पूर्व खिलाड़ी, हर कोई टीम इंडिया के लिए टी-20 वर्ल्ड कप लेकर इस टिकड़ी के चयन को लेकर अपनी राय दे रहा है। शुक्रवार को केएल राहुल ने भी धीरे से अपनी इस बहस को शामिल कर लिया.
नेशनल सुपर किंग्स के कैप्टन राहुल ने चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ ओपनर के तौर पर 53 टूल्स पर 82 रन (लगभग 155 की स्ट्राइक रेट से) बनाए और भारतीय चयन एसोसिएशन का ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश की।
2021 और 2022 के वर्ल्ड में क्रिकेट टीम इंडिया का हिस्सा राहुल राहुल को इस बात की आलोचना करते हुए कहा गया है कि टॉप नंबर के बल्लेबाज के तौर पर उनके स्ट्राइक रेट के सबसे तेज खिलाड़ी में उपयुक्त नहीं हैं।
इतना ही नहीं पिछले दोनों वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की हार के लिए भारत के टॉप नंबर पर थे, जिसमें राहुल के अलावा कैप्टन रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे दिग्गज भी थे, इन तीनों की टी-20 बल्लेबाजों का अंदाज लगभग एक जैसा था, जहां बताया गया था वो एक चोर से विकेट बचाते हुए आखिरी लम्हों में हमले में तेजी लाने वाली रणनीति पर यकीन कर रहे थे।
2018 वाले केएल राहुल
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कैप्टन रोहित शर्मा ने पिछले दो सामुद्रिक में ओपनर के तौर पर अपने स्टाइल में पावर-हिटर वाले बल्लेबाजों का समावेश किया है तो कोहली को भी इस बात का एहसास हो गया है कि उन्हें भी खुद को रिलीज करना है (टी-20 आर्टिस्ट में) बनाए रखें के लिए और अधिक आक्रामक होने की बर्बादी है.
हालांकि, राहुल के लिए अपनी बल्लेबाजों की तरह की स्टाइल में बदलाव करना नहीं है बल्कि इस आईपीएल के दौरान 2018 वाले राहुल की तरह की बल्लेबाजियां कर रहे हैं।
उस दौरान करीब 160 की स्ट्राइक रेट से 659 रन बनाने वाले राहुल का स्ट्राइक रेट (286 रन अब तक 7 मैचों में 40.86 के औसत से और 143 का स्ट्राइक रेट) अब भी निकटतम स्थिर दौर में एक समीचीन ओपनर के मानक से थोड़ा पीछे चल रहा है रहा हो.
लेकिन कहीं भी नाउ के कप्तानों ने अपनी टीम को इस बात के संकेत नहीं दिए हैं कि उन्होंने एक खिलाड़ी के रूप में भी आदर्श पारंपरिक स्तर की बल्लेबाज़ी करने वाली रणनीति का पालन किया है।
चेन्नई कैसे हरा मैच
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अगर चेन्नई की टीम मैच में पीछे मुड़कर देखेगी तो उन्हें पॉवरप्ले के दौरान उनके स्कोर (6 ओवर में 51 रन) और लखनऊ के स्कोर (6 ओवर में 54 रन) में कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। लेकिन, चेन्नई ने जहां इस दौरान दो विकेट खोये थे वहीं, नोएडा में ये रन बिना किसी नुकसान के बने थे।
मैच में चेन्नई के हार की सबसे बड़ी कोई वजह रही तो वो थी पावरप्ले से लेकर डेथ ओवर्स की शुरुआत उनके बल्लेबाजों के बीच के क्रम में संघर्ष तक।
खुद चेन्नई के कैप्टन ऋतुराज गायकवाड़ ने मैच के बाद माना कि इस दौरान उनकी टीम ने 10-15 रन बनाए और असफल रही और इससे उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
पावरप्ले के बाद अगले 10 ओवर के खेल में चेन्नई ने सिर्फ 62 रन बनाए और इस दौरान नियमित रूप से आउट होकर विकेट भी खोते रहे। आलम ये रहा कि इस दौरान 34 टॉयज के फेज़ में एक भी चौका तक नहीं लगा।
इकाना स्टेडियम की धीमी माने जाने वाली पिच पर मेज़बान टीम के स्पिनरों ने चेन्नई के बल्लेबाजों पर पूरी तरह से तरह-तरह के गोले डाले।
क्रुणाल पंड्या ने 3 ओवर में सिर्फ 20 रन देकर 2 विकेट झटके और सबसे प्रभावशाली एक्टर्स साबित हुए।
ऑस्ट्रेलियाई विशेषज्ञ मार्क स्टॉयनिस ने भले ही दो ओवर के विशेषज्ञों की भूमिका निभाई, जिसमें उन्होंने सिर्फ 7 रन खर्च किए लेकिन उन्होंने अपनी पहली ही गेंद चेन्नई को सबसे बड़ा झटका (शिवम जॉय का कीमती विकेट) दिया।
धोनी और मोइन ने चेन्नई को क्रिस्चियन स्कोर दिया
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इसके बावजूद अगर चेन्नई 20 ओवर में 176 रन बनाने में सफल रही तो इसके लिए मोइन अली और महेंद्र सिंह धोनी की आखिरी लम्हों में चिर-परिचित प्रतियोगिता में रोमांचित करने वाली बल्लेबाज़ी रही।
मोइन ने लेग स्पिनर रवि बिश्नोई के साथ पिछले ओवर में लगातार तीन खिलाड़ियों ने अपने टी20 वर्ल्ड कप के चयन की संभावना को बरकरार रखा और बड़ा झटका दिया तो धोनी ने वही किया जो इस सीजन में वो कर रहे हैं।
धोनी ने महज 9 गेंदों पर 28 रन बनाए जिसमें 3 नौकरानी और 2 नौकरानी भी शामिल थीं। मैच का सबसे शानदार स्ट्राइक रेट (311.11 का) ज़ीनी का था। धोनी की आक्रामक पारी ने सबसे पुराने ग्रेट ग्रेजुएट्स की आक्रामक पारी की आलोचना की।
40 बॉल के बावजूद नॉट आउट का सिर्फ 57 रन का स्कोर एक बार फिर से इस बात को साबित कर सकता है कि टेस्ट क्रिकेट में पिछले 5 वर्षों के दौरान वास्तव में वो बल्लेबाज़ हैं, टी-20 क्रिकेट में उनका प्रभाव गिरा है है.
चेन्नई के कलाकार भी असफल रहे
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चेन्नई के लिए नई गेंद थमने वाले दीपक चाहर ने भी आईपीएल में पावरप्ले के दौरान वो जलवा नहीं दिखाया, जिसमें उनकी सेलेक्शन टीम इंडिया में हुई थी।
इस सीज़न में पावरप्ले ने चेन्नई में 6 ओवर में सिर्फ 6 विकेट लिए, जो संकेत देता है कि ये उनके सहयोगी आक्रमण की एक कमजोर कड़ी है। इस मामले में चेन्नई में सिर्फ रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर से ही थोड़ा बेहतर है।
अगर व्हिचर ने 3 ओवर में 26 रन बनाए और कोई विकेट नहीं लिया तो तुषार देशपांडे (4 ओवर में 42 रन और कोई विकेट नहीं) का संघर्ष भी बरकरार है।
बांग्लादेश के अनुभवी मुस्तफिजुर रहमान (4 ओवर में 43 रन और सिर्फ 1 विकेट) ने भी लखनऊ के बल्लेबाजों ने धुनाई की तो बांग्लादेश की स्पिन को भी नहीं खरीदा, 3 ओवर में 32 रन खर्च कर डाले लेकिन एक भी विकेट नहीं मिला।
कुल मिलकार देखा जाए तो धोनी-धोनी के शोर में चेन्नई के बल्लेबाज और कलाकारों की साखियां, भले ही आम क्रिकेट प्रेमियों की नजरें छिप गईं हों लेकिन विरोधी इस बात को भांप चुके हैं कि उन्हें कहां और कैसे चोट पहुंचाई है।
8 विकेट के विशाल अंतर से इस जीत ने कप्तान राहुल को राहत की सांस दी है।
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