अमेरिका की ताज़ा मानवाधिकार रिपोर्ट में मणिपुर और कश्मीर का ज़िक्र – BBC News हिंदी
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अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अलग-अलग देशों में मानवाधिकारों से जुड़े क़ानूनों के पालन की स्थिति को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी।
इसके बाद अब एक अमेरिकी सरकार के आला अधिकारी ने कहा है कि गणतंत्र और मानवाधिकारों के मुद्दे पर अमेरिका और भारत के बीच बातचीत जारी है।
अमेरिकी ब्यूरो ऑफ डेमोक्रेसी मैरॉन राइट्स एंड लेबर के वरिष्ठ अधिकारी रॉबर्ट एस गिलक्रिस्ट ने मंगलवार को कहा, “गणतंत्र और मानवाधिकारों के मामले में भारत और अमेरिका के बीच लोकतंत्र स्तर पर बातचीत होती है। हम भारत से गुज़ारिश करेंगे कि वो मानवाधिकारों से जुड़े हुए हैं। “बिस्तरों का पालन करें।”
गिलक्रिस्ट ने कहा कि वो भारत सरकार से गुज़ारिश करेंगे कि सिविल सोसायटी के लोगों से बात करते रहें
भारत ने फिलहाल के बारे में इस रिपोर्ट में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। विदेश मंत्रालय या सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं होने पर उसे इस रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा।
लेकिन अतीत में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप में भारत सरकार बर्बाद हो रही है।
इससे पहले सोमवार को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने मानवाधिकार से जुड़े क़ानूनों पर अमल को लेकर एक रियाज़ रिपोर्ट (2023 ह्यूमन राइट्स रिपोर्ट) जारी की थी। यह रिपोर्ट ब्यूरो ऑफ डेमोक्रैसी मैरमैन राइट्स एंड लेबर ने लिखी है। रिपोर्ट जारी हुई ब्लिंकन ने कहा इसमें 200 मुज़ाहिरों के मुज़ाहिरों की स्थिति के बारे में सही जानकारी दी गई है।
रिपोर्ट में क्या लिखा है
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रिपोर्ट में चीन, ब्राजील, म्यांमार, म्यांमार के साथ-साथ भारत का भी ज़िक्र है।
जहां चीन में वीगर अल्पसंख्यक समुदाय के साथ हो रहे हैं हमले, म्यांमार में रोहिंग्या अल्पसंख्यक समुदाय के साथ हो रहे अपराध और उनका पलायन, निकारागुआ में कार्यकर्ताओं पर दबाव और उनके देशों से पलायन के मामले, सूडान में सेना और रैपिड सुपर फोर्सेज के युद्ध अपमान के बारे में लिखा गया है.
इसके अलावा अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान द्वारा महिलाओं से शिक्षा का अधिकार छीनने, युगांडा के सर्वश्रेष्ठता विरोधी क़ानून पास करने और एलजीबीटीवक्यूई एडजस्ट समुदाय से जुड़े लोगों के लिए क़ैद, यहां तक कि मौत की सज़ा का प्रस्ताव, ईरान में नैतिकता पुलिस के निष्कर्ष के बाद महिसा अमीनी की मौत और उसके बाद हुए विरोध प्रदर्शनों, इसराइल पर हमास के लड़ाकों के हमलों के बारे में लिखा है।
रिपोर्ट में भारत से जुड़े कई मामलों का ज़िक्र भी विस्तार से किया गया है। साथ ही ये भी कहा गया है कि भारत में तानाशाही शोभा है.
रिपोर्ट के अनुसार, “इस बीच चीनी सरकार के दमनकारी लक्ष्यों को लेकर अशांति फैली हुई है और ऑस्ट्रेलिया, जापान, कनाडा, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और अमेरिका ने भारत के साथ व्यापार और सुरक्षा संबंध मजबूत किए हैं जो दुनिया का सबसे बड़ा गणतंत्र है।”
रिपोर्ट में लिखा है, ”लेकिन भारत में मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने चीन की सरकार के कई ऐसे दमनकारी-तारीकों को शामिल किया है. “घातक को खत्म करने और सत्ता पर अपनी पकड़ बढ़ाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल शामिल है।”
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भारत के बारे में रिपोर्ट क्या है?
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों और अन्य अल्पसंख्यकों, अज़ाकर आदिवासियों के खिलाफ सुनियोजित जाति के साथ भेदभाव जारी किया। बीजेपी का समर्थन करने वालों ने निश्चित रूप से विचारधारा वाले लोगों पर हिंसक हमले किए।
रिपोर्ट के अनुसार, सिविल सोसायटी से जुड़े लोगों को अलग कर दिया गया है और सरकार की आलोचना करने वालों पर चरमपंथियों ने राजनीति से प्रेरित अन्य आरोपों को शामिल कर लिया है, स्वतंत्र सहयोगियों को अलग कर दिया गया है या उन्हें जेल से बाहर कर दिया गया है। इसके अलावा जम्मू और कश्मीर में एक्सप्रेशन की स्ट्राइक्स के हनान और फिलिस्तीन विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगा दी गई है।
हालाँकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि श्रीलंका, अफगानिस्तान और जापान में सरकार ने मानवाधिकार प्रयासों का अपना समर्थन दिया है।
2023 ह्यूमन राइट्स रिपोर्ट में 80 पन्ने भारत के बारे में हैं। रिपोर्ट के सारांश सबसे पहले मॉनेटिक्स में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच दौरे पर साल मई में हुई नस्लीय हिंसा का ज़िक्र किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान मानवधिकारों के हनन के मामले देखे गए। बलात्कार, मूर्तियाँ और घर का अंतिम संस्कार, पूजास्थलों को नष्ट करने के मामले सामने आये। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मई की तीसरी तारीख से लेकर 15 नवंबर तक इस हिंसा में 175 लोगों की मौत हो गई और 60 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।
डीपीएस साल सरकार या उसके जनरल के गैर-कानूनी हत्याओं की भी कई रिपोर्टें आई हैं। मीडिया रिपोर्टों में पुलिस या सुरक्षा बलों के हाथों में कई हमलावर बदमाशों को “एनकाउंटर में हुई हत्याएं” दी गई थीं।
रिपोर्ट में ओडिशा में पुलिस कस्टडी में कथित तौर पर धनेश्वर बेहरा की हत्या की बात कही गई है, उत्तर प्रदेश में पुलिस कस्टडी में समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता न्यूनतम अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ अहमद की गोली मारकर हत्या करने का आरोप, चेतन सिंह नाम के एक सुरक्षा अधिकारी के तीन दादी का नाम क्वेश्चन मर्डर केस का ज़िक्र किया गया है।
रिपोर्ट में जम्मू और कश्मीर के इलाक़ों से लोगों के लापता होने के मामले, राजस्थान में 21 साल की एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार के मामले का, पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन के अपराध के मामले, जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत 2019 में 800 से अधिक लोगों की मस्जिद, यूएपीए (ग़ैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम क़ानून) के इस्तेमाल को लेकर हो रही बहस का भी ज़िक्र है।
इसके अलावा 2019 से जम्मू और कश्मीर के कम से कम 35 गांवों के खिलाफ पुलिस जांच, गिरफ्तारी, फर्जी मामले दर्ज किए गए। कई लोगों के आने-जाने पर भी पाबंदियां लिखी गईं।
रिपोर्ट में राजस्थान के महंत मोहम्मद जुनैद और मोहम्मद नासिर की कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या मामले का भी ज़िक्र है।
रिपोर्ट के अनुसार, “इस बात के विश्वसनीय प्रमाण हैं कि गोवंश आए-ले गए या उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया, विद्रोही विचारधारा ने नाटककारों और सहयोगियों की हत्या की।”