गोल्ड लोन घाटे का सौदा न बन जाए, बेहतर डील के तरीके जान लीजिए – BBC News हिंदी
भारत में पिछले कुछ समय से गोल्ड लोन बिग में कई तरह की साटियां सामने आ रही हैं। इसे लेकर सरकार का वित्त मंत्रालय और केंद्रीय बैंक आरबीआई दोनों छोड़ दिए गए हैं।
वित्त मंत्रालय ने सभी सरकारी बैंकों को अपने गोल्ड पोर्टफोलियो की समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं। वित्त मंत्रालय ने पाया कि गोल्ड लोन के नवीनीकरण का उल्लंघन किया जा रहा है।
गोल्ड लोन फर्मों में बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान के मानकों के उल्लंघन का सबसे बड़ा खमियाजा उन उद्यमों को हो रहा है, जो अपना गोल्ड लेकर लोन लेने जाते हैं।
अक्सर ऐसा देखा गया है कि गोल्ड लोन देते समय कुछ यूरो लोन तू वेल्यू रेश्यो (एलटीवी) में गड़बड़ी होती है।
एलटीवी रेश्यो बताता है कि आप अपने गोल्ड गिरवी स्टोर के बदले ज्यादातर लोन मिल सकते हैं। निर्मला सीतारमण ने इसे 75 प्रतिशत तक अपलोड कर दिया है।
यानी अगर किसी ने एक लाख रुपये की कीमत की संपत्ति गिरी तो उसे 75 हजार रुपये ही मिलेंगे।
कहाँ होता है मनचल
बलवंत जैन
विश्व के सोने के कैरेट के बारे में कम बताया जा सकता है। इससे ग्राहक के सोने की वेल्यूएशन कम हो जाती है और उसे कम लोन मिलता है।
गोल्ड लोन मामले में आरबीआई ने जो जांच की है उसमें यह बात सामने आई है कि कुछ निवेशकों के सोने की कीमत कम आ रही हैं।
ऐसे में एक तो ग्राहक को कम लोन मिलता है। दूसरा, अगर वो लोन नहीं चुका पाया तो कंपनी उस लोन का ऑक्शन कर बोली लगाती है।
कुछ वाद्ययंत्रों के गोल्ड की क्वॉलिटी को लेकर सवाल उठाते हैं। कई बार 22 कैरेट के सोने के आभूषण को 20 या 18 कैरेट का बताया जाता है।
ऐसे में ग्राहक को कम लोन मिलता है। इससे ग्राहक की लोन चुकाने की क्षमता भी कम हो जाती है।
सेबी सर्टी डोमेन निवेश सलाहकार बलवंत जैन कहते हैं, “देखिए, उपभोक्ता वजन में तो गड़बड़ी नहीं कर पाएंगे। लेकिन उपभोक्ता के सोने की कीमत कम हो जाती है और उसे कम लोन मिलता है। ऐसा करके उपभोक्ता पहले ही रिज्यूमे हटा दिए गए हैं।”
वो कहते हैं, “गोल्ड लोन में ब्याज दर का मानक मानक नहीं है। होम लोन में ब्याज दर का कोई मानक मानक नहीं है। होम लोन में ब्याज दर का मानक मानक नहीं है। कुल मिलाकर, गोल्ड लोन में ब्याज दर का मानक मानक नहीं है।” ये गोल्ड लोन इको-सिस्टम की सबसे बड़ी कमी है।”
गोल्ड लोन में ब्याज दर और ब्याज का हिसाब
कई गोल्ड लोन उद्यमियों से अधिक ब्याज दर वसूलती हैं। सरकारी बैंक 8.75 फीसदी से लेकर 11 फीसदी तक ब्याज दर पर गोल्ड लोन देते हैं।
लेकिन गोल्ड लोन देने वाली एनबीएसी कंपनी का गोल्ड लोन ब्याज दर 36 फीसदी तक जा सकता है। ऑनलाइन फ़ेक में भी अंतर हो सकता है।
भारतीय स्टेट बैंक और अन्य सरकारी बैंक 0.5 प्रतिशत या अधिकतम 5000 रुपये तक की फ़ीस ले सकते हैं।
वहीं एनबीएफसी बैंकों को एक प्रतिशत या इससे भी अधिक थोक मूल्य की वसूली हो सकती है।
गोल्ड लोन ग्राहक क्षति से कैसे बचाया जाए
एक्स/अनुज गुप्ता
गोल्ड लोन लोन है। ग्राहक को ये ध्यान रखना चाहिए कि इस लोन के लिए कितना जल्दी भुगतान किया जाए।
गोल्ड लोन समय सावधानी की जरूरत है। सोना लेने से पहले ग्राहक को अपने सोने की गुणवत्ता की जांच करानी चाहिए।
कई ज्वैलर्स किसी न किसी चार्ज के ये सेवा देते हैं। बायबा बाज़ार में ऐसे कियोस्क मिलते हैं जहां सर्टी दस्तावेज़ जांच होती है।
यहां कैरेटोमीटर से गोल्ड कैरेट की जांच होती है। कैरेट एलॉटमेंट मीटिंग से कस्टमर गोल्ड लोन ऑफिस से बेहतर ऑफर के साथ डीलबाजी कर सकते हैं।
कट्टरपंथियों के कमोडिटी और प्रमुख अनुज गुप्ता कहते हैं, “अगर ग्राहक के पास हॉलमार्क हिस्सेदारी है तो लोन लेते समय बेहतर डीलबाजी की स्थिति होती है। अगर गोल्ड कैरेट सर्टी ऑफर है तो भी व्यापारी की ब्याज दर कम हो सकती है।”
अनुज गुप्ता कहते हैं, “गोल्ड लोन की चाहत में हमेशा ये याद रखना चाहिए कि ये छोटी अवधि के लिए लिया जाने वाला लोन है। बहुत जल्दी चुकाया गया, चुकाया गया।”
“अमूमन गोल्ड लोन की ब्याज दर होम लोन या ऑटो लोन की वापसी की तुलना में सबसे अधिक है। इसलिए लोन भुगतान की स्थिति ही तय होनी चाहिए।”
भारत में गोल्ड लोन और विशाल बाज़ार
इकॉनोमिक टाइम्स आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में सोने का लोन बाजार छह लाख करोड़ रुपये का है।
सितंबर 2020 से सितंबर 2022 के बीच गोल्ड लोन की कीमत लगभग दोगुनी हो गई।
सितंबर 2020 में 46,791 करोड़ रुपये का सोना लोन दिया गया। लेकिन सितंबर 2022 तक ये बढ़ोतरी 80,617 करोड़ रुपये हो गई..
भारत में गोल्ड लोन बाज़ार साहूकार और सोना गिरवी रखने वालों के पास है। इस बाज़ार में उनकी कीमत लगभग 65 प्रतिशत है।
जबकि बाकी 35 फिफ्टी सहकारी बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाएं बीच में हैं।
गोल्ड लोन मार्केट में पहले एनबीएफसी एसोसिएट का दबदबा था लेकिन हाल के दिनों में सरकारी बैंकों की इस मार्केट में स्टॉक काफी खराब हो गया है। अब लगभग हर सरकारी बैंक गोल्ड लोन मार्केट में उतर चुका है।
पिछली कुछ तिमाहियों के दौरान इन बैंकों ने अपना गोल्ड लोन पोर्टफोलियो काफी इज़ाफ़ा किया था। उदाहरण के तौर पर 2023 की सितंबर तिमाही से पहले तिमाहियों में 21 प्रतिशत की उछाल हुई थी।
बैंक ऑफ क्रेडिट ने इस खंड में 62 प्रतिशत की हिस्सेदारी दर्ज की, जबकि क्रेडिट बैंक और एक्सिस बैंक ने यह खंड दिया: 23 और 26 प्रतिशत की प्रविष्टि की।
गोल्ड लोन बाज़ार में रेगुलेशन क्यों जरूरी है
हाल के दिनों में गोल्ड लोन को लेकर जिस तरह की साताइयां सामने आ रही थीं, उसमें सरकार और आरबीआई दोनों के नियम जुड़े हुए थे।
बैंक अपना गोल्ड लोन पोर्ट्रेट बढ़ाने के लिए बैटरी को तक पर रख कर लोन देने लगे थे। निर्धारित मात्रा में सोना गिरवी रखवाए हथियार लोन दिया जा रहा था।
कुछ बैंक टॉप-अप लोन भी दे रहे थे. ऐसा ही एक मामला सामने आया जिसके बाद इसी महीने आरबीआई ने आईआईएल फाइनेंस के गोल्ड लोन कारोबार पर रोक लगा दी थी।
आरबीआई ने अपनी जांच में पाया कि आईआईएल फाइनेंस के गोल्ड लोन के 67 प्रतिशत लोन टू वैल्यू रेश्यो अर्थात एलटीवी में गड़बड़ी है।
कई मामलों में तो लोन देने के दिन ही या उसके कुछ दिनों बाद कैश से लोन लेना बंद कर दिया गया। बैंकों से यह देखने को मिला है कि जो लोन दिया गया है, उसके छात्रों के पास सही मात्रा में सोने की गिरवी रखी गई है या नहीं। गहनों की कीमत और गुणवत्ता मानक के आधार पर जांच की गई या नहीं। बैंकों से ये भी कहा गया कि दो साल में जो लोन ले गए, उनकी भी जांच की जाए।
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