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शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम, हिंदी में चिकित्सा पाठ्यक्रम – Historical initiative in hindi mp govt starting medical studies in hindi language

मध्य प्रदेश के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी चिकित्सा प्रौद्योगिकी की पढ़ाई हिंदी में होगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि राज्य में मेडिकल और इंजीनियरिंग की कुछ बातें हिंदी में बताई गई हैं।

द्वारा कुशाग्र वलुस्कर

प्रकाशित तिथि: शुक्र, 21 अक्टूबर 2022 06:23 अपराह्न (IST)

अद्यतन दिनांक: शुक्र, 21 अक्टूबर 2022 06:23 अपराह्न (IST)

शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम, हिंदी में चिकित्सा पाठ्यक्रम
मध्य प्रदेश के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी चिकित्सा प्रौद्योगिकी की पढ़ाई हिंदी में होगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि राज्य में मेडिकल और इंजीनियरिंग की कुछ बातें हिंदी में बताई गई हैं।

डॉ. बोरिंग

मध्य प्रदेश की राजकुमार सरकार ने हिंदी भाषा में मेडिकल की पढ़ाई शुरू करके शिक्षा क्षेत्र का इतिहास रचा है। इसके लिए सबसे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सरहाना जाना चाहिए। भारत एक विशाल देश है। यहां के विभिन्न राज्यों की अपनी क्षेत्रीय भाषाएं हैं। स्वतंत्रता के अंत से ही मातृभाषा को निरस्त करने की बातें चर्चा में हैं, लेकिन इनके विकास के उपाय कोई ठोस नहीं बताए गए। इसके कारण प्रत्येक क्षेत्र में विदेशी भाषा अंग्रेजी का वर्चस्व स्थापित हो गया। अब भारतीय जनता पार्टी की ओर से देश के विभिन्न राज्यों की मातृभाषाओं के विकास का बीड़ा उठाया गया है। इसका संस्थान मध्य प्रदेश से हुआ है। मध्य प्रदेश के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी चिकित्सा प्रौद्योगिकी की पढ़ाई हिंदी में होगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्वीट के माध्यम से इसकी घोषणा करते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश में मेडिकल और इंजीनियरिंग की कुछ शिकायतों का हिंदी में अनुवाद किया गया है। आगामी वर्ष से प्रदेश के फर्मों और कॉलेजों में इन विषयों के पाठ्यक्रम हिंदी में पढ़ने के लिए भी पढ़ें।

उल्लेखनीय है कि गत 16 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने भोपाल में चिकित्सा शिक्षा की हिंदी भाषा की तीन टिप्पणियों का विमोचन किया था। इनमें से प्रथम वर्ष की एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायो केमिस्ट्री की किताबें शामिल हैं, जिनका अनुवाद हिंदी में किया गया है। उल्लेखित करने योग्य बात यह भी है कि ज्योतिष शास्त्र को ज्यों का त्यों रखा गया है, क्योंकी संपूर्ण पाठ का हिंदी में अनुवाद संभव नहीं है। यदि ऐसा है, तो इससे विद्यार्थियों में कई प्रकार के दुष्प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं। राज्य के 13 राजकीय महाविद्यालयों में हिंदी में चिकित्सा की पढ़ाई शुरू हो गई है।

केंद्रीय अहितकर अमित शाह ने सबसे पहले शिवराज सरकार को बधाई देते हुए कहा कि आज का दिन शिक्षा के क्षेत्र में नवनिर्माण का दिन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की इच्छा की पूर्ति की है सरकार ने देश में सबसे पहले मेडिकल की पढ़ाई की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदी, तमिल, तेलुगू, मलयालम, गुजराती, बंगाली आदि सभी क्षेत्रीय समुद्रों में चिकित्सा और तकनीकी शिक्षा उपलब्ध कराने की पेशकश की थी।

उन्होंने कहा कि देश के छात्र जब अपनी भाषा में पढ़ाई करेंगे, तभी वह सच्ची सेवा कर पाएंगे। साथ ही लोगों की समस्याओं को ठीक प्रकार से समझ जायेंगे। चिकित्सा के स्नातक अब 10 राज्यों में इंजीनियरिंग की पढ़ाई उनकी मातृभाषा में होने लगी है। यूक्रेनी में आठ इंजीनियरिंग इंजीनियरिंग की शब्दावली में एक ही समय में देश के सभी छात्रों को अपनी मातृभाषा में चिकित्सा और तकनीकी शिक्षा प्राप्त करना होगा। मैं देश भर के युवाओं से रहता हूं कि अब कोई भाषा नहीं है। आप इससे बाहर अतिथि हैं। आपको अपनी मातृभाषा पर गर्व होना चाहिए। अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करके आप अपनी प्रतिभा का और अच्छा प्रदर्शन करने के लिए स्वतंत्र हैं। मातृभाषा में दार्शनिक, विचार, अनुसंधान, तर्कशास्त्र कार्य एवं अच्छे से किया जा सकता है। मेरा पूरा विश्वास है कि भारतीय छात्र जब मातृभाषा में चिकित्सा और तकनीकी शिक्षा का अध्ययन करेंगे तो भारत विश्व में शिक्षा का बड़ा केंद्र बनेगा। जो लोग मातृभाषा के समर्थक हैं, उनके लिए आज का दिन गौरव का दिन है। उन्होंने नेल्सन मंडेला का स्मरण करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति के सलाहकार की प्रक्रिया अपनी मातृभाषा में ही होती है। नेल्सन मंडेला ने कहा था कि अगर कोई अपनी मातृभाषा में बात करता है तो वह अपने दिल में बात करता है।

यह सर्वविदित है कि मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करना अत्यंत सहज एवं सहज होता है। अपनी मातृभाषा में छात्रों को किसी भी विषय को सरलता से समझा जाता है, जबकि अन्य भाषाओं में उन्हें गहनता का सामना करना पड़ता है। विश्व भर के शिक्षा वैज्ञानिकों ने मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने को महत्वपूर्ण बताया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार अपनी मातृभाषा में चिकित्सा की पढ़ाई पूरे देश में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य व्यवस्था अन्य देशों से अच्छी स्थिति में है। रूस, जर्मनी, फ्रांस और जापान सहित कई देश अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। सर्वविदित है कि ये देश लगभग हर क्षेत्र में अग्रणी हैं। इन देशों ने अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करके ही उत्पादकता प्राप्त की है। यदि स्वतंत्रता के बाद भारत में भी मातृभाषा में चिकित्सा और तकनीकी शिक्षा प्रदान की जाती है तो हम भी आज विकास के शिखर पर हैं।

उल्लेखनीय है कि नई शिक्षा नीति के तहत भारतीय पासपोर्ट को मंजूरी दी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि हिंदी में चिकित्सा की पढ़ाई शुरू होने से देश में बड़ा सकारात्मक बदलाव आएगा। लाखों छात्र अपनी भाषा में पढ़ाई कर सकते हैं और उनके लिए कई नए अवसर के द्वार भी खुलेंगे।

निसंदेह ग्रामीण परिवेश एवं मध्यम वर्ग के हिंदी माध्यम में पढ़ने वाले छात्रों के लिए विज्ञान चिकित्सा एवं तकनीकी अध्ययन सहज हो जाएगा, क्योंकि उन्हें चिकित्सा की शब्दावली में अंग्रेजी भाषा के कठिन शब्द समझ में आते हैं। चिकित्सा एवं इंजीनियर की शिक्षा के बाद विज्ञान, वाणिज्य एवं न्याय की शिक्षा भी मातृभाषा में होनी चाहिए। झारखंड क्षेत्र में सभी कार्य भी मातृभाषा में होने चाहिए। पौराणिक मामलों का इलाज भी मातृभाषा में होना चाहिए। प्राय: न्यायालयों का सारा कार्य अंग्रेजी में होता है। लोगों को पता नहीं चला कि कट्टर जज क्या कह रहे हैं और क्या नहीं। उन्हें कार्यवाही की कोई जानकारी नहीं है। अपनी मातृभाषा में ऐतिहासिक कार्य होने से लोगों को आसानी होगी।

कुछ लोग हिंदी में चिकित्सा एवं प्रौद्योगिकी की पढ़ाई का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि छात्रों को हिंदी में किताबें उपलब्ध कराना कोई दिलचस्पी नहीं है। असल में यही वे लोग हैं, जो अंग्रेजी का विग्रह स्थापित के पक्ष में हैं। ये लोग नहीं चाहते कि भारतीय भाषाएँ विकसित हों। ऐसे लोगों के कारण स्वतंत्रता की समाप्ति के साथ-साथ अंग्रेजी फलती-फूलती रही और भारतीय समुद्र तट का विकास अवरुद्ध हो गया। वर्तमान में इन विषयों की बहुत सी पाठ्य पुस्तकें हिंदी में उपलब्ध नहीं हैं, अभी भी चिकित्सा एवं प्रौद्योगिकी परामर्श का कार्य चल रहा है। पाठ्यक्रम की डॉक्युमेंट्री से संबंधित अतिरिक्त चिकित्सा संबंधी अन्य कार्य भी होंगे। भविष्य में इन विषयों की सूची का कोई अभाव नहीं रहेगा। इस नई पहल का विरोध करना ज़रूरी नहीं है।

पूर्व में अंग्रेजी भाषा का अच्छा ज्ञान न होने के कारण उपयुक्त गणित एवं छात्र चिकित्सा एवं तकनीकी आदि विषयों की पढ़ाई नहीं हो पाई थी, अब अंग्रेजी भाषा की बाधा दूर हो रही है। अब अंग्रेजी भाषा के विद्यार्थियों के भविष्य के बारे में नहीं पता। इस देश का दुर्भाग्य यह है कि हिंदी को राजभाषा घोषित करना भी एक राजनीतिक साजिश है क्योंकि विदेशी भाषा में अंग्रेजी भाषा में काम करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो रहा है। अंग्रेजी के कारण अंग्रेजी सहित लगभग सभी भारतीय भाषाएँ चली गईं। ये सब भाषाएँ आज भी अपने मान-सम्मान के लिए संघर्ष कर रही हैं। प्रधानमंत्री होने और नरेंद्र मोदी के महत्वपूर्ण महत्व से मेडिकल टेक्नोलॉजी की पढ़ाई के लिए हिंदी में प्रोफेसर से यह आशा जगी है कि भारतीय कंपनी को उनका खोया हुआ मान-सम्मान पुन: प्राप्त हो सकता है।

(लेखक- मीडिया शिक्षक एवं राजनीतिक स्थिरता है)

  • लेखक के बारे में

    माखनलाल शेट्टी राष्ट्रीय मठ एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से मास कम्युनिकेशन ग्रेजुएट कुशाग्र वालुस्कर नईदुनिया डिजिटल में सीनियर सब एसोसिएट के पद पर हैं। माह


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