अफजाल अंसारी के बयान पर वाराणसी के संतों में गुस्सा: स्वामी जितेंद्र आनंद ने दी नसीहत, कहा हलाल तक सीमित रहे संतों की थाली तक न पहुंचे।
गाजीपुर से सपा सांसद अफजाल अंसारी के गांजा पर दिए बयान पर वाराणसी के संतों ने नाराजगी जताई हैं। अफजाल अंसारी ने एक इंटरव्यू के दौरान गांजा को कानूनी वैधता देने की वकालत की थी। इसके लिए उन्होंने कहा था कि गांजा को भगवान का प्रसाद कहा जाता है। ऐसे में उसे गैरकानूनी क्यों माना जा रहा है?
उन्होंने इसके आगे कहा था कि अगर कुंभ में एक मालगाड़ी गांजा चला जाए तो खप जाएगा। साधु-संत, महात्मा और समाज के बहुत लोग गांजा बड़े शौक से पीते हैं। इसलिए गांजा को कानून का दर्जा दे देना चाहिए।
काशी के संत स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी ने कुंभ में गांजा की खपत पर जो बयान दिया गया है। उस पर हम अफजाल भाई से इतना ही कहेंगे कि वह अपने आप को हलाला और हलाल तक ही सीमित रखे।
संताें के थाली में क्या पड़ रहा है और कुंभ हमारी परंपरा है हमारा ऐश्वर्य है। संतों का अपना तपश्चर्या जीवन है। इसलिए अगर आप यह कहते हैं कि हमारी थाली में क्या आया हैं, जब गौ मांस को लेकर विवाद खड़े हुए तो आपकी थाली में क्या आया? यह हमने नहीं देखा तो आप भी हमारे थाली में क्या आ रहा है, यह देखने का अधिकार आपको किसी ने नहीं दिया।
उन्होंने कहा कि आप नेतागिरी खूब करिए लेकिन हिंदू साधु संतों को बोलते समय आप अपनी हद और सीमा न लाघिए नहीं तो बहुत दिक्कत हो जाएगी।
काशी के सुमेरुपीठ के पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद ने अफजाल अंसारी पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अफजाल अंसारी जैसे लोग गांजा सप्लाई करने वालों से कुछ हिस्सा लेते होंगे। वह इसका बिजनेस करते होंगे। कुंभ में नशे का कोई स्थान नहीं और ना ही होगा।
संत महात्मा के वेश में कुछ ऐसे लोग होते है, जिन्हें अध्यात्म से कोई लेना देना नहीं, वह नशा करते है, लेकिन को कुंभ में पवित्रता से आध्यात्मिक रूप से जाते है। वह नशा नहीं करते है। जो लोग संत महात्माओं के बारे में नशा करने की बात कह रहे है। वह पागल हो गए है। ऐसे लोगो को पागलखाने में डाल देना चाहिए।