मौज मस्ती करने के लिए बनाया था साइबर क्राइम गैंग वाराणसी पुलिस ने किया गिरफ्तार।
वाराणसी में साइबर अपराधियों को वाराणसी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। यह अपराधी वाराणसी में KIA मोटर की एजेंसी दिलाने के नाम पर वाराणसी में 72 लाख की ठगी करने वाले अपराधी हैं। इस साइबर क्राइम का मास्टरमाइंड ग्रेजुएट है और उसके दो साथी सहित चार व्यक्ति पकड़े गए हैं। इस पूरी घटना का मास्टरमाइंड प्रियजन कुमार है। इसके तीन दोस्त नालंदा विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट है।
आज वाराणसी पुलिस ने इसका खुलासा पुलिस लाइन में किया जहां पर पुलिस लाइन में एडीसीपी टी सरवन ने बताया कि यह सभी पढ़े लिखे शातिर किस्म के अपराधी है। इन सभी को डिजिटल फुटप्रिंट से पकड़ा गया है। पकड़े गए सभी को बिहार की राजधानी से साइबर क्राइम की टीम ने ढूंढ निकाला है।
भेलूपुर में भी की थी 72 लाख की ठगी।
एडीसीपी ने बताया कि भेलूपुर थाना क्षेत्र के गौरीगंज के रहने वाले तेजस्वी शुक्ला ने साइबर ठगी के एक मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें उसे KIA मोटर की एजेंसी दिलाने के नाम पर उसे 72 लाख रुपए एक अकाउंट में नहीं कई अकाउंट में ट्रांसफर कराए गए थे। उसके बाद पैसा लेने वाले फोन उठाना बंद कर दिया था। जब इन लोगों ने फोन उठाना बंद कर दिया तब शक होने पर तेजस्वी ने पुलिस को सूचना दी। इसके बाद हमने संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की थी।
एडीसीपी ने बताया कि इस पर पुलिस की एक टीम सर्विलांस, ओपन सोर्स इंटेलिजेंस टूल की मदद से साइबर अपराधियों की तलाश में लग गई। इसके बाद पुलिस को चार लोगों पर शक हुआ इसके बाद पुलिस ने उन्हें चिन्हित किया। पता चला कि सभी बिहार के रहने वाले थे।
ऐसे में पुलिस ने मिली जानकारी के आधार पर प्रिया रंजन निवासी ग्राम रघु बीघा हनुमान मंदिर, दक्षिण टोला नालंदा, बिहार सत्येंद्र सुमन उर्फ़ नेताजी निवासी ग्राम रघुवीगाह हनुमान मंदिर, दक्षिण टोला नालंदा बिहार, रंजन कुमार निवासी नियमित नगर थाना सिल्वर, जनपद नालंदा बिहार और रमेश सिंह बघेल निवासी चंद्र विहार गली नंबर 12 भद्रावली फाजिलपुर मधु विहार ईस्ट दिल्ली को पटना से गिरफ्तार कर लिया।
प्रियरंजन मास्टरमाइंड और शातिर किस्म के साइबर अपराधी है।
साइबर क्राइम प्रभारी निरीक्षक विजय नारायण मिश्र ने बताया पकड़े गए सभी शातिर किस्म के अपराधी है। और इसमें प्रिया रंजन और सत्येंद्र आपस में एक दूसरे के घर के अगल-बगल रहते हैं। प्रियरंजन ही इस पूरे गैंग का मास्टरमाइंड है। प्रियरंजन ही लोगों को फसाने का तरीका ढूंढता रहता है। ढूंढने के बाद साइबर फ्रॉड का पूरा जाल बिछाया जाता है और फर्जी ईमेल आईडी पीड़ितों को कॉल करना मूल बैंक खाते का प्रबंध और इंटरनेट बैंकिंग से पैसे ट्रांसफर करने का काम भी यही करता था।
घूमने फिरने और पार्टी के लिए करते थे साइबर फ्राड
इस पूरे मामले में पकड़ा गया मास्टरमाइंड रंजन ने बताया कि इन पैसों से हम लोग अपना शौक पूरा करते थे मौज मस्ती करते थे और दोस्तों के साथ पार्टी करते थे। हम सभी दोस्तों ग्रेजुएशन करने के बाद इस काम में लिप्त हो गए थे। फिलहाल पुलिस ने चारों को धारा 417, 420, 66 डी आईटी एक्ट में जेल भेज दिया है।
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