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काशी पिचाश मोचन कुंड पर किन्नरों ने अपने लोगों का किया पिंडदान।

धर्म की नगरी काशी में आज पिचाश मोचन कुंड पर किन्नर समाज ने अपने पूर्वजों का पिंडदान किया। यह पूरा पिंडदान महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के नेतृत्व में किया गया। किन्नर समाज हर साल की तरह किन्नर अखाड़े ने इस अनुष्ठान को कर पितरों की मुक्ति की कामना की। 35 किन्नर ने पिंडदान तर्पण किया इस आयोजन में किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर किन्नर डॉक्टर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कार्यक्रम में मुख्य भूमिका अदा की। किन्नर ने कहा कि ऐसे लोग जो हर साल छूट जाते हैं जिनका कोई नहीं होता हम उनका पिंडदान करते हैं।

गुरुओं की आत्मा की शांति के लिए कीनन ने किया त्रिपिंडी श्राद्ध।

महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि सारे किन्नर ने प्रण लिया है कि हर दूसरे साल काशी जाकर पिंडदान करेंगे। बहुत से किन्नर जो नेचुरल मौत मर जाते हैं और उनको सिर्फ जलाकर छोड़ दिया जाता है जिनका कोई श्राद्ध कर्म नहीं होता। इसलिए हम सारे किन्नर हर साल अज्ञात और ज्ञात किन्नर जिनकी मौत हो चुकी है उनका पिंडदान करते हैं। और हम सारे कीनन ने मिलकर यह संकल्प लिया है कि हर 2 साल पर हम काशी आएंगे और उनके लिए श्राद्ध कर्म करेंगे। 6

10 साल से हो रहा है सामूहिक पिंडदान।

किन्नर अखाड़े की प्रमुख महामंडलेश्वर आचार्य पंडित लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने बताया कि 2015 16 से जब से धर्म की गाड़ी पर वह बैठी हैं तब से धर्म का कार्य किन्नर समाज के लिए कर रही है। हर साल सामूहिक पिंडदान और त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है। 2020 में करोड़ों में मरे लोगों की मुक्ति के लिए भी किन्नर समाज ने कर्मकांड किया था। उन्होंने आगे बताया कि कीनन की जिंदगी बहुत ही दुख भरी होती है। जब परिवार के लोगों को पता चलता है कि यह किन्नर है तो उसे घर से निकाल दिया जाता है और समाज भी उसे अपने निगाह से गिरा देता है।

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